हरियाणा सरकार ने NH-9 पर फिर खड़ी की पत्थरों की बैरिकेडिंग, किसानों ने हटाई
हरियाणा सरकार ने रविवार को एक बार फिर से नेशनल हाईवे-9 (NH-9) पर बैरिकेडिंग लगाकर किसानों को रोकने की कोशिश की, लेकिन किसान इन्हें हटाते हुए दिल्ली की तरफ बढ़ गए। सरकार ने पत्थर, सीवर पाइप और सीमेंट आदि के जरिए ये बैरिकेडिंग लगाई थी और इसे रातों-रात खड़ा किया गया था। इससे पहले शनिवार को भी सरकार ने पंजाब के साथ सीमा पर तीन मार्गों को कुछ समय के लिए सील कर दिया था।
ग्रामीणों ने भी बैरिकेडिंग हटाने में किसानों की मदद
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, सरकार ने ये बैरिकेडिंग हिसार जिले के हांसी के सिंघवी गांव के पास स्थित पिप्ला पुल पर खड़ी की गई। रातों-रात लगाई गई ये बैरिकेडिंग जब सुबह दिल्ली जा रहे पंजाब और हरियाणा के किसानों को दिखी तो उन्होंने दोपहर 12:30 बजे तक रास्ते को पूरी तरह से साफ कर दिया गया। आसपास के इलाकों के लोगों ने भी मौके पर पहुंच कर किसानों की मदद की और सरकार के खिलाफ जमकर नारे लगाए।
पिछली शाम को साफ था रास्ता
रविवार को पंजाब से दिल्ली जा रहे यूथ अकाल दल के कार्यकर्ता रणजोध सिंह लंबी ने बताया, "मैं अन्य ग्रामीणों के साथ दिल्ली जा रहा था, तभी हमें पिप्ला पुल नाकाबंदी दिखी और बाद में हमें हरियाणा सरकार द्वारा बैरिकेडिंग किए जाने के बारे में पता चला। किसानों ने कहा कि इसे शायद रातों-रात खड़ा किया गया था क्योंकि पिछली शाम को रास्ता साफ था। दोपहर 12:30 बजे तक किसानों ने सभी बाधाओं को हटा दिया।"
किसान बोले- हर बाधा को हटाकर दिल्ली पहुंचेंगे
पंजाब के ही एक अन्य किसान जसविंदर सिंह ने कहा, "मैं नहीं जानता कि हरियाणा सरकार बाधाएं क्यों खड़ी कर रही है, जबकि उन्हें पता है कि किसान उन्हें किसी भी तरह हटा देंगे। दिल्ली जाने के लिए 100 से अधिक ट्रालियों और कई कार को इस पुल से निकलना था।" किसानों ने हिसार से निकलते समय भी मिट्टी से भरे 5-6 वाहनों को सड़क किनारे खड़े देखा और उन्हें लगता है कि सरकार इनसे और बाधाएं खड़ी करेगी।
क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं किसान?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है जिनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का जमकर विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से छुटकारा पाना चाहती है।
अब तक असफल रही है किसानों और सरकार के बीच की बातचीत
इन कानूनों के खिलाफ किसान पिछले कई महीने से सड़कों पर हैं और 25 नवंबर से दिल्ली के आसपास डटे हुए हैं। किसानों और सरकार के बीच पांच दौर की बैठक भी हो चुकी है, हालांकि इनमें समाधान का कोई रास्ता नहीं निकला है। सरकार ने किसानों को कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव दिया है, हालांकि किसानों ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है और वे कानूनों को वापस लिए जाने की मांग पर अड़े हुए हैं।