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    प्रधानमंत्री मोदी की रूस यात्रा: भारत के लिए रूस का साथ क्यों जरूरी है?
    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस से 2 दिवसीय दौरे पर गए हैं

    प्रधानमंत्री मोदी की रूस यात्रा: भारत के लिए रूस का साथ क्यों जरूरी है?

    लेखन भारत शर्मा
    Jul 09, 2024
    12:39 pm

    क्या है खबर?

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस के 2 दिवसीय दौरे पर हैं। सोमवार को उनके रूस पहुंचते ही राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने उनका भव्य स्वागत किया।

    इसी तरह रात को निजी डिनर पार्टी में दोनों नेताओं के बीच रूसी सेना में धोखे से भर्ती हुए भारतीयों को रिहाई पर भी सहमति बन गई।

    अब मंगलवार को दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय वार्ता के साथ 22वीं भारत-रूस वार्षिक शिखर बैठक भी होगी।

    आइए जानते हैं आखिर भारत के लिए रूस क्यों जरूरी है।

    कूटनीति

    कूटनीतिक मामलों में भारत का सहयोगी रहा है रूस

    कूटनीतिक दृष्टि से भारत के लिए रूस काफी अहम है। वह कश्मीर मुद्दे पर कई अंतरराष्ट्रीय मंचों, विशेषकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है।

    2019 में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने पर भी रूस ने स्पष्ट किया था कि यह भारत का आंतरिक मामला है और वह इसके बीच नहीं बोलेगा।

    इसी तरह दोनों देशों ने आपसी चिंताओं पर ब्रिक्स, शंघाई सहयोग संगठन (SCO) और G-20 में भी सहयोग किया है।

    जानकारी

    रूस ने UNSC में भारत की स्थायी सीट का भी किया समर्थन

    रूस ने UNSC में स्थायी सीट के लिए भारत की मांग का भी समर्थन किया। इसी तरह उसने 2017 के डोकलाम संकट और 2020 के गलवान घाटी हिंसा के दौरान भी भारत और चीन के बीच तनाव को कम करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

    अर्थव्यवस्था

    अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर भी भारत का लिए काफी अहम है रूस

    भारतीय अर्थव्यवस्था में रूस साल 2021-22 में 13 अरब डॉलर (1.07 लाख करोड़ रुपये) के साथ भारत का 25वां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था।

    भारत में रूस के 14 अरब डॉलर (1.16 लाख करोड़ रुपये) के निवेश में एस्सार ऑयल के लिए रोसनेफ्ट का 13 अरब डॉलर (1.07 लाख करोड़ रुपये) भी शामिल है।

    यह सौदा रूस के लिए भारत में सबसे बड़ा FDI निवेश है। दोनों के बीच द्विपक्षीय व्यापार लक्ष्य 2025 तक 30 अरब डॉलर रखा गया था।

    व्यापार

    भारत और रूस के बीच 2023-24 में हुआ सबसे ज्यादा व्यापार

    वाणिज्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार वित्त वर्ष 2023-24 में 43 अरब से बढ़कर 65.70 अरब डॉलर (5.39 लाख करोड़ रुपये) के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया।

    द इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, भारत ने रूस के वेंकोर ऑयलफील्ड में 26 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल कर ली है, जबकि ऑयल इंडिया (OIL), इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC) और भारत पेट्रोरिसोर्सेज (BPRL) के एक संघ ने इस क्षेत्र में 23.9 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल कर ली है।

    रक्षा

    रक्षा क्षेत्र में रूस पर है भारत की निर्भरता

    रक्षा क्षेत्र में भारत काफी हद तक रूस पर निर्भर है। भारत के 60-70 प्रतिशत रक्षा उपकरण रूस और सोवियत मूल के हैं।

    SIPRI की एक रिपोर्ट के अनुसार, रूस ही भारत का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता है। हालांकि, 2017 और 2022 के बीच भारतीय रक्षा आयात में इसकी हिस्सेदारी 62 से घटकर 45 प्रतिशत रह गई है।

    रूस के बाद फ्रांस और अमेरिका क्रमशः 29 प्रतिशत और 11 प्रतिशत के साथ भारत के सबसे बड़े रक्षा उपकरण आपूर्तिकर्ता हैं।

    संभावना

    रूस के भविष्य में भी महत्वपूर्ण भागीदार बने रहने की संभावना

    कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि रूस के आगामी कुछ और दशकों तक रक्षा क्षेत्र में भारत का एक महत्वपूर्ण भागीदार बने रहने की संभावना है।

    इसका कारण है कि भारत ने S400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम, मिग-29 लड़ाकू विमान, कामोव हेलीकॉप्टर, SU-30MKI लड़ाकू विमान, AK-203 असॉल्ट राइफल और ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की आपूर्ति के लिए रूस के साथ कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर कर रखे हैं। ऐसे में इन्हें पूरा किया जाना जरूरी है।

    रणनीति

    चीन से बिगड़ते संबंधों में रूस से सहयोग की उम्मीद

    रूस और चीन के संबंध साल 2000 लगातार अच्छे हैं। चीन के आर्थिक विस्तार के साथ हाइड्रोकार्बन सहित रूसी कच्चे माल की मांग ने उनके संबंधों को मजबूत किया है।

    दोनों देशों की पश्चिमी प्रभुत्व के खिलाफ नीति ने भी उन्हें करीब किया है। इसके चलते चीन ने यूक्रेन में रूस की कार्रवाई पर हस्तक्षेप करने से भी इनकार कर दिया।

    ऐसे में भारत के चीन से लगातार बिगड़ते संबंधों में उसे रूस के हस्तक्षेप की जरूरत पड़ सकती है।

    जानकारी

    भारत ने अमेरिका की रूस के निष्कासन की पहल का किया विरोध

    रूस से संबंध मजबूत बनाए रखने के लिए भारत ने अमेरिका की यूक्रेन युद्ध के बार रूस के UNSC से निष्कासन की पहल का भी विरोध किया है। हालांकि, उसने रूस-अमेरिका संबंधों के बीच संतुलन बनाए रखने में सतर्कता भी बरती है।

    एजेंडा

    भारत-रूस शिखर बैठक का क्या होगा एजेंडा?

    दोनों नेता द्विपक्षीय संबंधों के व्यापक स्पेक्ट्रम की समीक्षा करेंगे और आपसी हित के समकालीन क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे।

    अन्य विषयों में व्यापार और ऊर्जा, गगनयान के लिए अंतरिक्ष सहयोग और रक्षा आपूर्ति शामिल हो सकते हैं।

    इसी तरह रूस से रक्षा क्षेत्र के उपकरणों की खरीद में कमी और 'मेक इन इंडिया' के प्रयास की प्रगति को देखते हुए इस मामले में भी गहन चर्चा हो सकती है।

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