G-7 देश करेंगे भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे का समर्थन, सम्मेलन में और क्या-क्या घोषणा हुई?
इटली में 2 दिवसीय G-7 शिखर सम्मेलन का समापन हो गया है। इस मौके पर सम्मेलन का घोषणा पत्र जारी किया गया। इसमें भारत के लिए बड़ी बात कही गई है। G-7 देशों ने वादा किया है कि वे भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (IMEC) का समर्थन करेंगे। देशों ने इसके लिए शपथ ली है। वैश्विक नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय कानून द्वारा शासित स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की भी पुष्टि की है।
IMEC के बारे में G-7 देशों ने क्या कहा?
घोषणा पत्र में कहा गया है, "हम वैश्विक अवसंरचना और निवेश के लिए साझेदारी (PGII) से जुड़ी पहलों, प्रमुख परियोजनाओं और गुणवत्तापूर्ण अवसंरचना और निवेश के लिए परिवर्तनकारी आर्थिक गलियारे विकसित करने की पहलों को बढ़ावा देंगे। इनमें लोबिटो कॉरिडोर, लुजोन कॉरिडोर, मिडिल कॉरिडोर और भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक कॉरिडोर के लिए हमारे समन्वय और वित्तपोषण को गहरा करना शामिल है। साथ ही यूरोपीय संघ (EU) ग्लोबल गेटवे, ग्रेट ग्रीन वॉल और मैटेई योजना का निर्माण करना भी इसमें शामिल है।"
सम्मेलन में और किन मुद्दों पर हुई चर्चा?
सम्मेलन के दूसरे दिन प्रवासन और मानव तस्करी से निपटने तथा उन देशों में निवेश बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की, जहां से प्रवासी जान खतरे में डालकर दूसरे देश जाते हैं। इसके अलावा यूक्रेन को वित्तीय सहायता, इजरायल-हमास युद्ध, आर्टिफिशिलयल इंटेलीजेंस (AI), जलवायु परिवर्तन, चीन की औद्योगिक नीति और आर्थिक सुरक्षा जैसे मुद्दों पर भी बातचीत हुई। हालांकि, घोषणापत्र को लेकर कुछ मतभेद भी सामने आए। गर्भपात के संदर्भ को शामिल करने पर कुछ देशों ने असहमति जताई।
सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने क्या कहा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "टेक्नोलॉजी का लाभ समाज के सभी वर्गों तक पहुंचना चाहिए। इसके लिए प्रत्येक व्यक्ति की क्षमता का उपयोग किया जाए, ताकि सामाजिक असमानताएं समाप्त करने में मदद मिले।" उन्होंने आगे कहा, "वैश्विक समुदाय को टेक्नोलॉजी में एकाधिकार को सभी के लिए पहुंच में बदलना चाहिए। हमें निश्चित रूप से टेक्नोलॉजी को रचनात्मक बनाना चाहिए, विनाशकारी नहीं। टेक्नोलॉजी का उद्देश्य सभी की प्रगति और कल्याण को बढ़ावा देना होना चाहिए।"
क्या है IMEC?
IMEC से भारत को यूरोप तक कनेक्टिविटी मिलेगी। इस कॉरिडोर के जरिए रेल और बंदरगाहों का नेटवर्क बनाया जाएगा, जिससे देशों के बीच व्यापार सुगम होगा। इस कॉरिडोर में 2 अलग-अलग कॉरिडोर होंगे। एक पूर्वी कॉरिडोर होगा, जो भारत को पश्चिम एशिया/मध्य पूर्व से जोड़ेगा और एक उत्तरी कॉरि़डोर होगा, जो पश्चिम एशिया या मध्य पूर्व को यूरोप से जोड़ेगा। इस परियोजना में अमेरिका, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ (EU) शामिल हैं।
फ्रांस-अमेरिका पहले भी कर चुके हैं कॉरिडोर का समर्थन
कॉरिडोर पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा था, "ये दुनिया को जोड़ने की शानदार पहल है और गेमचेंजर साबित होने वाला है। अमेरिका अपने साथियों की मदद से इस सपने को साकार करेगा। 10 साल में हम इसे हकीकत साबित कर देंगे।" फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा था, "मैं वादा करता हूं कि फ्रांस इसमें निवेश भी करेगा और शानदार तकनीक भी देगा। इससे कई देशों में विकास होगा, क्योंकि नया इन्फ्रास्ट्रक्चर बनेगा।"