रूस में भारतीयों को जबरदस्ती यूक्रेन से युद्ध लड़वाने का मामला क्या है?
क्या है खबर?
रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच एक ऐसी रिपोर्ट सामने आ रही है, जिसने भारत सरकार की चिंता बढ़ा दी है।
रूसी कंपनियां जिन भारतीयों को सैन्य सहायक के तौर पर काम पर रख रही थीं, उन्हें जबरदस्ती यूक्रेन के खिलाफ युद्ध लड़ने पर मजबूर किया जा रहा है।
द हिंदू ने अपनी एक रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी है।
ऐसे में अब रूस में फंसे इन भारतीय नागरिकों ने भारत सरकार से मदद की गुहार लगाई है।
भारतीय
जंग में कैसे और कितने भारतीय फंसे?
रिपोर्ट के अनुसार, कम से कम 3 भारतीय नागरिक रूस- यूक्रेन सीमा पर रूसी सैनिकों के साथ जंग लड़ने को मजबूर हैं।
पीड़ितों का कहना है कि उन्हें एक एजेंट ने धोखे से सेना सुरक्षा सहायक के रूप में काम करने के लिए रूस भेज दिया था।
एक एजेंट ने बताया कि नवंबर, 2023 से लगभग 18 भारतीय यूक्रेन की सीमा पर मारियुपोल, खार्किव, डोनेट्स्क, रोस्तोव-ऑन-डॉन में फंसे हुए हैं। इस दौरान एक भारतीय की मौत हो चुकी है।
एजेंट
कैसे रूस पहुंचे भारतीय?
पीड़ित ने बताया कि वह रूस में एक एजेंट के जरिए आया था, जिसका नाम फैसल खान है जो 'बाबा व्लॉग्स' नामक एक यूट्यूब चैनल चलाता है।
पीड़ित ने कहा , "13 नवंबर को, हमें एक शिविर में भर्ती कराया गया और मॉस्को से लगभग ढाई घंटे दूर एक सुनसान जगह पर ले जाया गया। भारतीय एजेंटों ने आश्वासन दिया कि हमें सहायक के रूप में तैनात किया जाएगा, लेकिन 4 जनवरी को हमें लड़ने के लिए डोनेट्स्क भेजा गया।"
वादा
लाखों की सैलरी का वादा कर युद्ध के मैदान में उतार दिया
उत्तर प्रदेश के पीड़ितों में से एक ने बताया कि उन्हें रूसी सेना द्वारा हथियार और गोला-बारूद चलाने के लिए बुनियादी प्रशिक्षण दिया गया, फिर रोस्तोव-ऑन-डॉन युद्ध के लिए भेज दिया।
उसने कहा, "हम नवंबर 2023 में यहां आए थे और हमें युद्ध में न उतारने की बात कही गई। उन्हें 1.95 लाख रुपये वेतन और प्रति माह 50,000 रुपये का अतिरिक्त बोनस देने का वादा किया गया। हमें 2 महीने के बोनस के अलावा कुछ पैसा नहीं मिला।"
एजेंट
एजेंट ने कहा- फंसे हुए भारतीयों की जान पर खतरा
एक एजेंट ने बताया कि अगर सरकार जल्द ही कोई कदम नहीं उठाती तो इनकी जान को गंभीर खतरा है।
एजेंट ने कहा, "उन्हें रूस में सैन्य सुरक्षा सहायक की नौकरी का ऑफर दिया गया था। उन्हें बताया गया कि 3 महीने के प्रशिक्षण के बाद कुछ सामान्य टेस्ट होंगे फिर उनसे किचन सहायक जैसे कुछ काम कराए जाएंगे। एक महीने बाद उनके पासपोर्ट छीन लिए गए और यूक्रेन के खिलाफ युद्ध लड़ने को मजबूर किया गया।"
गुहार
मॉस्को में भारतीय दूतावास ने नहीं की मदद- पीड़ित
पीड़ित ने बताया कि कई दिनों तक उनके पास अपने लोगों से संपर्क के लिए फोन नहीं था, लेकिन किसी तरह युद्ध क्षेत्र से भागकर वह अपने परिवार को संपर्क करने में सफल रहे।
उन्होंने कहा, "मॉस्को में भारतीय दूतावास से बार-बार की गई अपील अनसुनी कर दी गई। मेरे पास उचित दस्तावेज नहीं हैं और पैसे नहीं हैं, दूतावास हमारी मदद नहीं कर रहा है।"
बयान
विदेश मंत्रालय ने इस मामले पर क्या कहा?
विदेश मंत्रालय ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है।
सूत्रों के मुताबिक भारतीय दूतावास ऐसी सभी शिकायतों पर नजर रख रहा है। उनमें से कई जो सीमा पर जबरन युद्ध का दावा कर रहे उनमें से कई देश छोड़ना नहीं चाहते हैं। उनमें से कई ने विदेश में अपने परिवारों के पास वापस जाने के लिए कुछ पैसे कमाए बिना वापस नहीं आना चाहते।
अधिकारियों का कहना है कि इसी कारण उनके हाथ बंधे हुए हैं।