बिजली चोरी के लिए शख्स को मिली थी 18 साल की सजा, सुप्रीम कोर्ट ने घटाई
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बिजली चोरी करने के लिए उत्तर प्रदेश के एक शख्स को मिली 18 साल की सजा को घटाकर दो साल कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो यह शख्स के स्वतंत्रता के अधिकार का हनन होगा। गौरतलब है कि पिछले तीन साल से जेल में बंद इस शख्स को एक निचली कोर्ट ने नौ केसों में दो-दो साल जेल की सजा सुनाई थी, जो उसे अलग-अलग पूरी करनी थी।
बिजली की चोरी हत्या के बराबर नहीं- CJI
भारत के मुख्य न्यायधीश (CJI) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा, "सुप्रीम कोर्ट ऐसे याचिकाकर्ताओं की आवाज सुनने के लिए मौजूद है। हमारे लिए कोई भी केस छोटा या बड़ा नहीं है। रोजाना ऐसे मामले हमारे पास आते हैं। क्या हम बिजली चोरी करने के आरोप में किसी को 18 साल के लिए जेल भेज सकते हैं?" उन्होंने कहा कि बिजली की चोरी को हत्या के बराबर नहीं माना जा सकता है।
क्या है पूरा मामला?
इकराम नामक इस शख्स को बिजली चोरी करने के आरोप में वर्ष 2019 में गिरफ्तार किया गया था। उसके खिलाफ नौ अलग-अलग मामलों में FIR दर्ज हुई थी, जिसके बाद कोर्ट ने 2020 में उसे सभी मामलों में दोषी पाते हुए दो-दो साल जेल की सजा सुनाई थी। निचली कोर्ट ने कहा था कि सभी नौ मामलों में मिली सजा एक साथ चलने की बजाय एक के बाद चलेंगी।
हाई कोर्ट ने खारिज कर दी थी इकराम की याचिका
सजा मिलने के बाद इकराम उन्हें एक साथ चलाने की मांग को लेकर हाई कोर्ट गया था, जहां उसकी यह याचिका खारिज हो गई। अब सुप्रीम कोर्ट ने इकराम की इस बात को मान लिया है और उसकी सजा को कम कर दिया है। गौरतलब है कि बिजली चोरी करने का दोषी पाए जाने पर विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 136 के तहत अधिकतम पांच वर्ष की जेल की सजा का प्रावधान है।