बिलकिस बानो मामला: सुप्रीम कोर्ट से पुनर्विचार याचिका खारिज होना झटका नहीं- पीड़िता की वकील
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप करने वाले 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका खारिज किए पर उनके पति याकूब रसूल ने कहा है कि उनका परिवार कानूनी पहलुओं को समझने की कोशिश कर रहा है और उन्हें कोर्ट पर पूरा भरोसा है। वहीं, उनकी वकील शोभा गुप्ता ने कहा कि याचिका खारिज होना बिलकिस बानो के लिए कानूनी तौर पर झटका नहीं है।
बिलकिस बानो गैंगरेप केस क्या है?
वर्ष 2002 में गोधरा में कारसेवकों से भरे ट्रेन के डिब्बे में लगी आग के बाद गुजरात में दंगे भड़क गए थे। 3 मार्च, 2002 को दाहोद के रंधिकपुर गांव में गुस्साए लोगों ने बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप किया गया था। उस समय वह 21 साल की थीं और पांच महीने की गर्भवती थीं। दंगाइयों ने बिलकिस के परिवार के 14 सदस्यों की हत्या भी कर दी थी। मरने वालों में बिलकिस की तीन वर्षीय बेटी भी शामिल थी।
बिलकिस बानो के पति ने क्या कहा?
याकूब रसूल ने कहा, "हम दोषियो को मिली की छूट और समय से पहले हुई रिहाई से दुखी हैं, यह एक ऐसी चीज नहीं है, जिससे हम शांति बना सकें, लेकिन हमें कोर्ट पर भरोसा है। हमने इसे चुनौती देते हुए याचिका दायर की है, जिस पर जनवरी के पहले सप्ताह में सुनवाई होगी।" उन्होंने आगे कहा, "हमें उम्मीद है कि अदालत न्याय को बहाल करेगी, जो हमसे छीन लिया गया है और शायद तब बिलकिस फिर से सो सकेगी।"
याचिका खारिज होने पर क्या बोलीं बिलकिस की वकील?
बिलकिस की वकील शोभा गुप्ता ने कहा, "दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 432 के मुताबिक, जिस राज्य में दोषियों को सजा सुनाई गई है, उसी राज्य सरकार के पास दोषियों को छोड़ने का अधिकार है। इस मामले में मुंबई के एक विशेष जज ने फैसला सुनाया है और क्षेत्राधिकार महाराष्ट्र सरकार का होना चाहिए। यह सिर्फ 11 दोषियों की रिहाई के आदेश की समीक्षा करने के लिए दायर की गई याचिका का विषय नहीं है।"
याचिका खारिज होना झटका नहीं- गुप्ता
शोभा गुप्ता ने बताया, "कोर्ट ने समीक्षा से संबंधित याचिका को खारिज किया है, जबकि रिहाई को चुनौती देने के लिए एक अलग याचिका है। यह याचिकाकर्ता के लिए कोई झटका नहीं है।" उन्होंने आगे कहा, "हमें अभी आदेश नहीं मिला है और केवल अदालत की रजिस्ट्री से एक ई-मेल मिला है, जिसमें आदेश का निष्कर्ष बताया गया है। आदेश में कहा जा सकता है कि याचिकाकर्ता याचिका में सभी बिंदुओं को उठाने के लिए स्वतंत्र है।"
दोषियों को स्वतंत्रता दिवस पर किया गया था रिहा
गुजरात सरकार ने 1992 की माफी नीति के तहत 15 अगस्त को बिलकिस बानो गैंगरेप मामले के सभी 11 दोषियों को रिहा कर दिया था। सरकार ने कहा था कि जेल में 14 साल पूरे होने और उम्र, जेल में बर्ताव और अपराध की प्रकृति जैसे कारकों के चलते दोषियों की सजा में छूट के आवेदन पर विचार किया गया था। उम्रकैद का मतलब न्यूनतम 14 साल की सजा होती है और इन दोषियों ने इतनी सजा काट ली थी।