बिलकिस बानो को सुप्रीम कोर्ट से झटका, दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका खारिज
क्या है खबर?
साल 2002 के गुजरात दंगों में गैंगरेप का शिकार हुई पीड़ित बिलकिस बानो को शनिवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है।
कोर्ट ने मामले के 11 दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली उनकी याचिका को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही बिलकिस बानो की दोषियों को फिर से सजा दिलाने की उम्मीद भी खत्म हो गई है।
इससे पहले उन्होंने 15 अगस्त को हुई दोषियों की रिहाई को भी रद्द करने की मांग की थी।
याचिका
बिलकिस बानो ने क्या दायर की थी याचिका?
दरअसल, बिलकिस बानो ने पिछले महीने दायर की गई अपनी याचिका में 11 दोषियों को रिहा करने के फैसले को चुनौती देते हुए मई 2022 के फैसले पर पुनर्विचार करने की गुहार लगाई थी।
उन्होंने याचिका में कहा था कि मामले में रिहाई की नीति महाराष्ट्र सरकार की लागू होनी चाहिए, न कि गुजरात सरकार की। महाराष्ट्र में ही यह मामला सुना गया और सजा भी वहीं सुनाई गई थी। ऐसे में गुजरात सरकार की नीति प्रभावी नहीं होती है।
पृष्ठभूमि
बिलकिस बानो गैंगरेप केस क्या है?
साल 2002 में गोधरा में कारसेवकों से भरे ट्रेन के डिब्बे में लगी आग के बाद गुजरात में दंगे भड़क गए थे।
3 मार्च, 2002 को दाहोद के रंधिकपुर गांव में गुस्साए लोगों ने बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप किया गया था। उस समय वह 21 साल की थीं और पांच महीने की गर्भवती थीं।
दंगाइयों ने बिलकिस के परिवार के 14 सदस्यों की हत्या भी कर दी थी। मरने वालों में बिलकिस की तीन वर्षीय बेटी भी शामिल थी।
जानकारी
CBI कोर्ट ने सुनाई थी उम्रकैद की सजा
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की विशेष अदालत ने 21 जनवरी, 2008 को मामले में 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी, वहीं बाकियों को सबूतों के अभाव में छोड़ना पड़ा था। अब इन 11 दोषियों को भी जेल से रिहा कर दिया गया है।
रिहाई
दोषियों को स्वतंत्रता दिवस पर किया गया था रिहा
गुजरात सरकार ने 1992 की माफी नीति के तहत 15 अगस्त को बिलकिस बानो गैंगरेप मामले के सभी 11 दोषियों को रिहा कर दिया था।
सरकार का कहना है कि जेल में 14 साल पूरे होने और उम्र, जेल में बर्ताव और अपराध की प्रकृति जैसे कारकों के चलते दोषियों की सजा में छूट के आवेदन पर विचार किया गया था। उम्रकैद का मतलब न्यूनतम 14 साल की सजा होती है और इन दोषियों ने इतनी सजा काट ली है।
अधिकार
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था गुजरात सरकार को रिहाई पर फैसले का अधिकार
मामले में एक दोषी राधेश्याम ने लंबी सजा के बाद सुप्रीम कोर्ट में माफी के लिए याचिका दायर की थी। इस पर मई में कोर्ट ने रिहाई पर फैसला करने का अधिकार गुजरात सरकार को दिया था।
उसके बाद गुजरात सरकार ने मामले में एक समिति का गठन किया था, जिसने सर्वसम्मति से सभी 11 दोषियों को रिहा करने की सिफारिश की।
इस समिति में दो भाजपा नेता भी शामिल थे। ऐसे में सभी आरोपियों को रिहा किया गया था।
याचिका
सुप्रीम कोर्ट के फैसले को दी जा चुकी है चुनौती
बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में दोषियों को बरी करने के खिलाफ पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है।
इससे पहले रिहाई के खिलाफ कई याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं। सभी याचिकाओं में दोषियों की रिहाई के गुजरात सरकार के आदेश को तत्काल रद्द कर दोषियों को जेल भेजने की मांग की गई है।
इसी तरह विपक्षी दलों और आलोचकों ने भी दोषियों की रिहाई पर सवाल खड़े करते हुए उनके दोबारा गिरफ्तार करने की मांग की थी।