युद्ध प्रभावित यूक्रेन से वापस लाए जा चुके हैं 22,500 से अधिक भारतीय- विदेश मंत्री
क्या है खबर?
रूस और यूक्रेन के बीच मंगलवार को 20वें दिन भी युद्ध जारी है। रूसी सेना लगातार हमलों की रफ्तार बढ़ा रही है, वहीं यूक्रेन की सेना भी हार मानने को तैयार नहीं है।
इसी बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राज्यसभा में बताया कि रूस के हमले के बाद से यूक्रेन से 22,500 से अधिक भारतीय नागरिकों को वापस लाया जा चुका है। सरकार ने युद्ध के कारण बनी विषम चुनौतियों के बाद भी नागरिकों की वापसी सुनिश्चित की है।
सफलता
कठिन चुनौतियों के बीच हासिल की सफलता- विदेश मंत्री
विदेश मंत्री ने कहा, "हमने प्रधानमंत्री के निर्देश पर ऑपरेशन गंगा की शुरुआत की थी। यह रूस-यूक्रेन में चल रहे संघर्ष की स्थिति के बीच सबसे चुनौतीपूर्ण निकासी अभ्यासों में से एक रहा। हमारा समुदाय पूरे यूक्रेन में फैला हुआ था और अपनी खुद की रसद चुनौतियों का सामना कर रहा था।"
उन्होंने कहा, "यूक्रेन में चल रहे गंभीर संघर्ष से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद हमने अपने 22,500 से नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की है।"
खतरा
"दो देशों की दुश्मनी ने 20,000 से अधिक भारतीयों को खतरें में डाला"
विदेश मंत्री ने कहा, "दो देशों (यूक्रेन और रूस) की दुश्मनी ने 20,000 से अधिक भारतीयों को सीधे खतरे में डाल दिया था। जब हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में इस स्थिति के वैश्विक विचार-विमर्श में भाग ले रहे थे, तब भी हमारे नागरिकों की सुरक्षा और यह सुनिश्चित करने की चुनौती थी कि उन्हें कोई दिक्कत न हो।"
उन्होंने कहा, "हमने हवाई हमले और गोलाबारी सहित सैन्य कार्रवाई के बीच इस अभियान को सफल बनाया है।"
प्रयास
सरकार ने राजनयिक संबंधों का किया कुशल इस्तेमाल- विदेश मंत्री
विदेश मंत्री ने कहा, "रूस के हमले के साथ यूक्रेन के अपना एयरस्पेस बंद करने के बाद मैने पड़ोसी देशों से भारतीयों को वापस लाने के लिए देर रात रोमानिया, पोलैंड, हंगरी के विदेश मंत्रियों से बात अपने राजनयिक संबंधों का बेहतर इस्तेमाल किया था।"
उन्होंने कहा, "मेरे अलावा प्रधानमंत्री मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमीर जेलेंस्की से भी बात कर भारतीयों की सुरक्षित वापसी पर जोर दिया था।"
सराहना
विदेश मंत्री अभियान में सहयोग देने वालों की सराहना की
विदेश मंत्री ने कहा कि यूक्रेन में फंसे भारतीयों की सुरक्षित वापसी के लिए यूक्रेन के साथ पड़ोसी देशों में स्थित भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने बेहतरीन काम किया है। उन्होंने लगातार एडवाइजरी जारी करते हुए नागरिकों को उपयुक्त सलाह दी और 24X7 हेल्पलाइन के जरिए उनकी मदद की।
इसी तरह नागरिक उड्डयन मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, NDRF, वायुसेना और निजी एयरलाइंस कंपनियों ने भारतीयों की वापसी में सराहनीय योगदान दिया है।
जानकारी
यूक्रेन में हुई थी दो भारतीय छात्रों की मौत
यूक्रेन में दो भारतीय छात्रों की मौत हो चुकी है। 1 मार्च को खारकीव में गोलाबारी में कर्नाटक निवासी नवीन की मौत हुई थी। इसी तरह 2 मार्च को पंजाब के बरनाला निवासी 22 वर्षीय चंदन जिंदल की ब्रेन हेमरेज से मौत हुई थी।
टीमें
भारतीयों की सुरक्षित वापसी के लिए तैनात की गई थी टीमें
यूक्रेन से भारतीयों को सुरक्षित रूप से निकालने के लिए सरकार ने चारों पड़ोसी देशों में स्थिति अपने दूतावास से टीमों को यूक्रेन सीमा पर भेजा था।
इसके अलाचा चार केंद्रीय मंत्रियों को विशेष दूत के रूस में वहां भेजा था। ये सभी अधिकारी और मंत्री संबंधित देशों की सरकार से समन्वय कर भारतीयों की वापसी सुनिश्चित कर रहे थे।
अभियान में एयर इंडिया के साथ स्पाइसजेट, इंडिगो और भारतीय वायुसेना के C-16 विमानों की मदद ली गई थी।