
स्वतंत्रता दिवस 2025: ओलंपिक खेलों में भारत के सबसे यादगार और ऐतिहासिक पल
क्या है खबर?
भारत ने ओलंपिक इतिहास में कई यादगार पल रचे हैं। भारतीय हॉकी टीम की अजेय जीत से लेकर नीरज चोपड़ा के स्वर्ण पदक तक, भारत ने खेलों में नई ऊंचाइयां हासिल कीं। पेरिस ओलंपिक 2024 तक भारत का पदक आंकड़ा 41 पर पहुंच चुका है। ऐसे में स्वतंत्रता दिवस 2025 के मौके पर आइए उन बड़े और गर्व से भर देने वाले ओलंपिक पलों को याद करें, जिन्होंने भारत को दुनिया के खेल मंच पर गौरवान्वित किया।
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आजाद भारत का पहला पदक
साल 1948 भारतीय खेल इतिहास के सबसे यादगार पलों में से एक लेकर आया। आजादी के एक साल बाद भारत ने स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में पहला ओलंपिक पदक जीता। यह जीत खास थी क्योंकि लंदन में खेले गए फाइनल में हॉकी टीम ने ग्रेट ब्रिटेन को 4-0 से हराया। किशन लाल की कप्तानी में इससे पहले ऑस्ट्रिया, अर्जेंटीना और स्पेन को मात दी थी। यह लम्हा आज भी खेल प्रेमियों के दिलों में गर्व भर देता है।
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अभिनव बिंद्रा ने दिलाया था पहला व्यक्तिगत स्वर्ण पदक
साल 2008 में निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने इतिहास रचते हुए भारत को ओलंपिक में पहला व्यक्तिगत स्वर्ण पदक दिलाया था। उन्होंने पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में यह उपलब्धि हासिल की। यह निशानेबाजी में भारत का दूसरा ओलंपिक पदक था। इससे पहले 2004 एथेंस ओलंपिक में राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने पुरुष डबल ट्रैप में रजत पदक जीतकर भारत का नाम रोशन किया था। बिंद्रा की यह जीत आज भी भारतीय खेल इतिहास का सुनहरा अध्याय मानी जाती है।
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नीरज ने रचा इतिहास
टोक्यो ओलंपिक 2020 में नीरज ने इतिहास रचते हुए ओलंपिक में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय बने। पुरुष भाला फेंक खेल के फाइनल में उनके 87.58 मीटर के थ्रो ने उन्हें भारतीय खेल इतिहास में अमर कर दिया। खास बात यह थी कि नीरज ने आजादी के बाद एथलेटिक्स में भारत को पहला ओलंपिक पदक दिलाया था। इससे पहले 1900 में ब्रिटिश-भारतीय एथलीट नॉर्मन प्रिचर्ड ने भारत के लिए 2 रजत पदक जीते थे।
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इन खिलाड़ियों ने भी बढ़ाया भारत का मान
साल 1996 में लिएंडर पेस ने भारत को टेनिस में पहला ओलंपिक पदक दिलाया। उनका यह कांस्य आज भी सिंगल्स और डबल्स, दोनों में भारत का एकमात्र ओलंपिक पदक है। 2012 लंदन ओलंपिक में साइना नेहवाल ने इतिहास रचते हुए बैडमिंटन में भारत के लिए पहला ओलंपिक पदक जीता। 2008 में विजेंदर सिंह ने मुक्केबाजी में भारत का पहला ओलंपिक पदक अपने नाम किया। इन तीनों की उपलब्धियां भारतीय खेल इतिहास में मील का पत्थर मानी जाती हैं।