
कोरोना वायरस: चीन से भारतीय नागरिकों को दिल्ली लाने के अभियान को कैसे अंजाम दिया गया?
क्या है खबर?
चीन में फैले कोरोना वायरस के बीच भारत ने वहां फंसे अपने 647 नागरिकों समेत कुल 654 लोगों को सकुशल वापस निकाला है।
इन लोगों को भारत लाने के लिए एयर इंडिया के दो विशेष विमान चीन भेजे गए थे। देखने-सुनने में यह पूरा अभियान भले ही आसान लगे, लेकिन ऐसा नहीं है।
इस दौरान बीमारी का खतरा भी रहा और कूटनीतिक मोर्चों पर समन्वय की जरूरत पड़ी।
आइये, जानते हैं कि इस अभियान को कैसे अंजाम दिया गया।
तैयारियां
स्थितियों पर नजर रखे हुए थे भारतीय दूतावास
पिछले साल दिसंबर में चीन के हुबेई प्रांत की राजधानी वुहान में कोरोना वायरस का पहला मामला सामने आया था।
चीन मे भारतीय दूतावास ने 2-3 जनवरी तक इसकी रिपोर्ट पर गौर करना शुरू किया। धीरे-धीरे वायरस का प्रकोप बढ़ता गया और इसने पूरे चीन में दशहत फैला दी।
22 जनवरी को चीन में भारत के राजदूत विक्रम मिस्री ने हुबेई प्रांत में रह रहे भारतीयों को लेकर चिंता जताई और अपनी टीम से तैयारियां शुरू करने को कहा।
जानकारी
गणतंत्र दिवस के एक आयोजन पर हुई चर्चा
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, गणतंत्र दिवस से पहले एक आयोजन में शामिल होने के लिए चीन के उप विदेश मंत्री भारतीय दूतावास में आए थे। इस दौरान इसे लेकर दोनों देशों के अधिकारियों के बीच चर्चा हुई।
चुनौती
सबसे पहली चुनौती क्या आई?
इस प्रक्रिया के दौरान दूतावास के सामने पहली चुनौती चीन में रहने वाले भारतीय नागरिकों की संख्या और उनके पते का पता लगाने की आई।
चीन में रहने वाले भारतीय नागरिकों के लिए दूतावास में खुद को रजिस्टर कराना जरूरी नहीं हैं।
हुबेई की जनसंख्या 5 करोड़ है। ऐसे में यहां भारतीयों को ढूंढना चुनौती भरा काम था। इसके बाद भारतीय मिशन ने वहां की सोशल मीडिया साइट्स पर हेल्पलाइन नंबर जारी किए।
बचाव अभियान
26 जनवरी से शुरू हुई बचाव अभियान की तैयारियां
26 जनवरी तक दुनियाभर में कोरोना वायरस के 2,000 मामले सामने आ चुके थे। इसके बाद भारतीय दूतावास ने दिल्ली के साथ मिलकर नागरिकों को वहां से निकालने की योजना तैयार की।
तब तक दूतावास ने चीन में रहने वाले भारतीय नागरिकों से जुड़े आंकड़े और उनके ठिकाने का पता लगा लिया था।
हुबेई में लगभग 700 भारतीय थे, जिनमें से आधे यहां की राजधानी वुहान में और अन्य वहां से 400-500 किलोमीटर दूर स्थित दूसरी जगहों पर रहते थे।
चुनौती
शहरों के बंद होने के कारण आई परेशानियां
तब तक वायरस को फैलने से रोकने के लिए वुहान शहर को पूरी तरह बंद कर दिया गया था। यहां यातायात के साधनों और लोगों के इकट्ठा होने पर रोक थी।
ऐसे में अधिकारियों के सामने भारतीय नागरिकों को एयरपोर्ट तक लाने की चुनौती आई। दूतावास ने प्राइवेट ट्रांसपोर्टर्स से बात की।
इनका कहना था कि वो नागरिकों को एयरपोर्ट तक पहंचा सकते हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें परमिशन की जरूरत होगी।
बचाव अभियान
खुद भारतीय राजदूत ने संभाला मोर्चा
चीनी प्रशासन ये परमिशन देने के लिए तैयार नहीं था। स्थानीय प्रशासन ने पहले बचाव अभियान में भी रूचि नहीं दिखाई।
इसके बाद भारतीय राजदूत मिस्री और दूसरे वरिष्ठ अधिकारियों ने खुद मोर्चा संभाला। 28 जनवरी को वहां के प्रशासन ने कहा कि स्थिति नियंत्रण में आ चुकी है और घबराने की जरूरत नहीं है। इस स्थिति में नागरिकों को भारत भेजा जा सकता है।
दूसरी तरफ दिल्ली में भी हलचल तेज थी।
बचाव अभियान
29 जनवरी को चीन ने दी औपचारिक अनुमति
दिल्ली में विदेश सचिव विजय गोखले नागरिक विमानन मंत्रालय, एयर इंडिया और सेना के साथ मिलकर तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटे थे।
एयर इंडिया को शॉर्ट नोटिस पर दो विमानों, क्रू और डॉक्टरों की टीम के साथ तैयार रहने को कहा गया था।
29 जनवरी को चीन ने बचाव अभियान के लिए मंजूरी दे दी। चीन की सरकार की तरफ से मिली इस मंजूरी को हुबेई प्रांत, वुहान शहर, यूनिवर्सिटी और दूसरी संस्थाओं के प्रशासन तक पहुंचाया गया।
बचाव अभियान
40 अधिकारियों ने लगातार चार दिन तक किया काम
दो चरणों मेंं लोगों को चीन से निकालने पर सहमति बनी। चीनी प्रशासन ने कहा कि बुखार से पीड़ित किसी भी नागरिक को देश छोड़ने की अनुमति नहीं मिलेगी।
पहले चरण में उन लोगों को दिल्ली लाया गया, जो वुहान और आसपास के शहरों में रहते थे।
40 अलग-अलग जगहों पर फंसे लोगों को एयरपोर्ट लाने के लिए 20 वाहनों को काम पर लगाया गया।
अभियान के दौरान लगभग 40 अधिकारी लगातार चार दिन तक काम पर लगे रहे।
बचाव अभियान
दो विमानों में भारत लौटे नागरिक
वुहान से पहले विमान के उड़ान भरने की अनुमति 31 जनवरी को मिली। इसके बाद भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष को फोन कर धन्यवाद दिया। 1 फरवरी को सुबह चार बजे विमान ने 324 यात्रियों को लेकर दिल्ली के लिए उड़ान भरी।
दूसरे चरण के लिए 12 वाहनों में 15 अलग-अलग जगहों से लोगों को एयरपोर्ट लाया गया। इन 323 लोगों को लेकर विमान ने 2 फरवरी को सुबह छह बजे दिल्ली के लिए उड़ान भरी।