कीर स्टार्मर बनेंगे ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री, भारत के प्रति कैसा है उनका रुख?
ब्रिटेन चुनाव की मतगणना जारी है और रुझानों में लेबर पार्टी की प्रचंड जीत दिख रही है। लेबर पार्टी 400 से ज्यादा सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं, जबकि कंजर्वेटिव पार्टी 112 सीटों पर ही आगे हैं। प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने भी हार स्वीकार कर ली है। ऐसे में अब लेबर पार्टी के कीर स्टार्मर का अगला प्रधानमंत्री बनना तय हो गया है। ऐसे में आइए जानते हैं कि स्टार्मर के प्रधानमंत्री बनने के भारत के लिए क्या मायने होंगे।
लेबर पार्टी ने किया है प्रगतिशील यथार्थवादी विदेश नीति का वादा
साल 2010 से ब्रिटेन की सत्ता से बाहर लेबर पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में प्रगतिशील यथार्थवादी की विदेश नीति का वादा किया है। विदेश सचिव बनने वाले डेविड लैमी ने कहा, "हम अधिक अस्थिर दुनिया को देख रहे हैं। जैसा कि हम चाहते हैं यह वैसी नहीं है।" पार्टी ने ब्रेक्जिट को कारगर बनाने और यूरोपीय संघ के साथ एक महत्वाकांक्षी सुरक्षा समझौते की तलाश करने का भी वादा किया है।
स्टार्मर का होगा भारत के साथ मजबूत रिश्ते बनाने का लक्ष्य
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्टार्मर की विदेश नीति के एजेंडे का एक और महत्वपूर्ण पहलू यूनाइटेड किंगडम (UK) और भारत रिश्तों को मजबूत करना होगा। यही कारण है कि स्टार्मर ने ऐतिहासिक गलतियों, खासकर कश्मीर जैसे मुद्दों पर पार्टी के रुख को स्वीकार करते हुए भारत के साथ एक नई रणनीतिक साझेदारी बनाने का संकल्प लिया है। इसी तरह वह मुक्त व्यापार समझौते (FTA) और टेक्नोलॉजी, सुरक्षा, शिक्षा और जलवायु परिवर्तन में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाना चाहते हैं।
स्टार्मर का भारतीयों को खुश रखने का होगा प्रयास
अपने कार्यकाल में स्टार्मर का प्रयास भारतीय प्रवासियों को खुश रखने का होगा। यही कारण है कि लेबर पार्टी ने भारतीय प्रवासियों के साथ तनावपूर्ण संबंधों को सुधारने के प्रयास में घरेलू आउटरीच कोशिशों की शुरुआत की। उन्होंने हिन्दुओं के खिलाफ अत्याचार की निंदा की और होली-दिवाली जैसे सांस्कृतिक त्योहारों का जश्न मनाया। इससे साफ है कि लेबर पार्टी ब्रिटिश-भारतीय समुदायों के भीतर अधिक विश्वास बढ़ाना चाहती है। ऐसे में ये प्रयास आगे भी जारी रह सकते हैं।
लेबर पार्टी भारत विरोधी नहीं- स्टार्मर
चुनाव से पहले स्टार्मर ने कहा था कि लेबर पार्टी बदल गई है और वह भारत विरोधी नहीं है। यह वह पार्टी नहीं है, जिसका नेतृत्व जेरेमी कॉर्बिन ने किया था और कश्मीर मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप का आह्वान किया था। रुझानों के सामने आने के बाद लेबर पार्टी की अध्यक्ष एनेलिसे डोड्स ने दावा किया कि स्टार्मर के नेतृत्व में पार्टी को विश्वास है कि उसने भारत पर चरमपंथी विचार वाले किसी भी सदस्य को बाहर कर दिया है।
आव्रजन नीतियों की राह में मुश्किल
हालांकि, स्टार्मर की महत्वाकांक्षी विदेश नीति के लक्ष्यों को साकार करने की राह में चुनौतियां भी काफी होंगी। खासतौर पर आव्रजन नीतियों और व्यापार समझौतों के संबंध में। आव्रजन को कम करने की आवश्यकता पर द्विदलीय सहमति के साथ ब्रिटेन के सेवा उद्योग में भारतीय श्रमिकों के लिए अस्थायी वीजा पर बातचीत लेबर के लिए एक नाजुक स्थिति पेश करती है। इससे निपटना स्टार्मर के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।
भारत लंबे समय से कर रहा है वीजा की मांग
भारत FTA के तहत अपने सेवा क्षेत्र के कार्यबल के लिए अस्थायी वीजा की मांग कर रहा है। यदि स्टार्मर इस पर कदम उठाते हैं तो यह भारत के लिए लाभदायक हो सकता है। UK के IT और वित्तीय सेवा क्षेत्र में भारतीयों की बड़ी संख्या हैं। ऐसे में अस्थायी वीजा पर सहमति बनती है तो इससे भारतीयों को लाभ हो सकता है। हालांकि, ब्रिटेन के राजनीतिक माहौल को देखते हुए लेबर पार्टी वीजा मुद्दे पर सख्ती बरत सकती है।
भारत-ब्रिटेन में हो सकता है मुक्त व्यापार समझौता
भारत और ब्रिटेन के बीच 2022 से मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर बातचीत हो रही है। स्टार्मर के प्रधानमंत्री बनने के बाद इस पर हस्ताक्षर संभव है। दोनों देश अब तक FTA पर 14 दौर की वार्ता कर चुके हैं। इस समझौते से भारत को कार, कपड़े, मादक पेय और चिकित्सा उपकरणों पर आपसी टैरिफ में छूट मिल सकती है। बता दें कि दोनों देशों के बीच सालाना व्यापार लगभग 38.1 अरब पाउंड (4.28 लाख करोड़ रुपये) का है।