कौन है भारतीय मूल के ऋषि सुनक, जिनके इस्तीफे से शुरू हुआ बोरिस जॉनसन का पतन?
क्या है खबर?
भारतीय मूल के ब्रिटिश राजनेता ऋषि सुनक के मंगलवार को वित्त मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद 40 से अधिक मंत्रियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
इतना ही इनमें से अधिकतर ने प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन से तत्काल इस्तीफा देने की मांग भी की है।
इसके चलते प्रधानमंत्री जॉनसन आज अपने पद से इस्तीफा देने का मन बना लिया है।
आइये जानते हैं कौन है ऋषि सुनक, जिनके इस्तीफे के बाद बोरिस जॉनसन का पतन शुरू हुआ।
परिचय
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से MBA है सुनक
ऋषि सुनक का जन्म दक्षिण पूर्व इंग्लैंड के हैम्पशायर के साउथेम्प्टन में 12 मई, 1980 को हुआ था।
उनके भारतीय माता-पिता 1960 में पूर्वी अफ्रीका से यहां आकर बसे थे। उनके पिता एक सामान्य चिकित्सक थे, जबकि मां एक फार्मासिस्ट थीं। सुनक तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं।
सुनक की पढ़ाई विंचेस्टर कॉलेज से हुई और बाद में उन्होंने ऑक्सफोर्ड के लिंकन कॉलेज से दर्शनशास्त्र और अर्थशास्त्र की पढ़ाई की। उन्होंने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से MBA भी किया है।
करियर
सुनक ने निवेश बैंक में विश्लेषक के रूप में किया काम
सुनक 2001 से 2004 तक निवेश बैंक गोल्डमैन सैच्स में एक विश्लेषक के रूप में काम किया।
उन्होंने द चिल्ड्रन इन्वेस्टमेंट फंड मैनेजमेंट (TCI) में शामिल होने के लिए नौकरी छोड़ दी और सितंबर 2006 में एक भागीदार बन गए। वह 2009 में एक अन्य हेज फंड फर्म थेलेम पार्टनर्स में शामिल हो गए।
उन्होंने अपने ससुर और इंफोसिस के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति के स्वामित्व वाली निवेश फर्म कटमरैन वेंचर्स के निदेशक के रूप में भी काम किया है।
राजनीति
सुनक ने साल 2014 में रखा था राजनीति में कदम
सुनक ने 2014 में राजनीति में कदम रखा था। उन्हें रिचमंड (यार्क) के लिए कंजर्वेटिव पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुना गया था।
उस साल उन्होंने पालिसी एक्सचेंज की ब्लैक एंड माइनॉरिटी एथनिक (BME) रिसर्च यूनिट का नेतृत्व किया और यूनाइटेड किंगडम में BME समुदायों पर एक रिपोर्ट का सह-लेखन किया था।
इसके बाद साल 2015 के आम चुनावों में उन्हें रिचमंड (यार्क) से सांसद के रूप में चुना गया था।
कार्य
सुनक ने संभाली है कई बड़ी जिम्मेदारियां
सुनक ने साल 2015 से 2017 तक पर्यावरण, खाद्य और ग्रामीण मामलों की चयन समिति के सदस्य के रूप में कार्य किया। इसके बाद 2017 के आम चुनाव में भी वह उसी सीट से फिर सांसद चुने गए।
वह जनवरी 2018 से जुलाई 2019 तक संसदीय अवर सचिव रहे और उन्होंने 2019 के कंजर्वेटिव पार्टी नेतृत्व चुनाव में बोरिस जानसन का समर्थन किया था।
इसके बाद जॉनसन ने उन्हें वित्त विभाग का मुख्य सचिव नियुक्त किया था।
जानकारी
2019 में ही प्रिवी काउंसिल के सदस्य बने थे सुनक
सुनक 25 जुलाई, 2019 को प्रिवी काउंसिल के सदस्य बने थे और 2020 में कैबिनेट के फेरबदल में उन्हें वित्त मंत्री के रूप में पदोन्नत किया गया था। कोरोना महामारी के बीच सुनक ने अपना पहला बजट 11 मार्च, 2020 को पेश किया था।
दावेदार
प्रधानमंत्री पद के प्रमुख दावेदारों में हैं सुनक का नाम
सुनक ब्रिटेन के लोकप्रिय राजनेताओं में शामिल हैं। वह साल 2017 से ही भगवद्गीता हाथ में लेकर अपने पद की शपथ लेते रहे हैं।
2020 में ब्रिटेन की कंपनी की ओर से कराए गए एक सर्वे में 60 प्रतिशत लोगों ने सुनक को प्रधानमंत्री के रूप में अपना पसंदीदा उम्मीदवार बताया था।
कोरोना महामारी के दौरान अर्थव्यवस्था के लिए जारी किए गए बचाव पैकेज के लिए भी उनकी काफी तारीफ हुई थी, जिसमें एक रोजगार कार्यक्रम भी शामिल था।
पृष्ठभूमि
सुनक के साथ स्वास्थ्य मंत्री साजिद जाविद ने भी दिया था इस्तीफा
सुनक के वित्त मंत्री पद से इस्तीफा देने के थोड़ी ही देर बाद पाकिस्तानी मूल के स्वास्थ्य मंत्री साजिद जाविद ने भी इस्तीफा दे दिया था।
उन्होंने कहा था कि लोग सरकार से गंभीरता, सक्षमता और ठीक से काम करने की उम्मीद करते हैं। वह मानते हैं यह उनका आखिरी मंत्री पद हो सकता है, लेकिन यह स्टैंडर्ड लड़ने लायक हैं, इसलिए वह इस्तीफा दे रहे हैं।
इसी तरह जाविद ने भी कंजर्वेटिव पार्टी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया था।
इस्तीफे
दो दिन में आई इस्तीफों की बाढ़
सुनक और जाविद के मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद ब्रिटिश सरकार में इस्तीफों की बाढ़ सी आ गई।
दो दिन में ही 40 से अधिक कैबिनेट मंत्रियों और अन्य पदाधिकारियों ने जॉनसन की खिलाफत करते हुए इस्तीफा दे दिया।
इतना ही नहीं नए-नवेले वित्त मंत्री नादिम जहावी और शिक्षा मंत्री मिशेल डोनेलन ने भी इस्तीफा देते हुए जॉनसन से प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने की मांग कर दी। उसके बाद जॉनसन ने इस्तीफा देने का मन बनाया है।
जानकारी
उत्तराधिकारी चुने जाने तक प्रधानमंत्री बने रहना चाहते हैं जॉनसन
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जॉनसन इस्तीफे का ऐलान कर सकते हैं, लेकिन कंजर्वेटिव पार्टी का नया नेता और प्रधानमंत्री चुनने तक वह पद पर रहना चाहते हैं। नया नेता चुनने की प्रक्रिया सितंबर-अक्टूबर तक पूरी होने की संभावना है।