अंगूठी फंसने से लेकर दांतों के खोने तक, इन विचित्र कारणों के लिए आईं आपातकालीन कॉल्स
अगर आप आपातकालीन स्थिति में हैं तो आपातकालीन नंबरों पर कॉल कर मदद बुलाते हैं। हालांकि, जरूरी नहीं है कि बाकी लोग भी ऐसा करते हैं। दरअसल, कुछ लोग अजीबोगरीब कारणों से भी आपातकालीन सेवाओं से संपर्क करते हैं। ब्रिटेन की वेल्श एम्बुलेंस सेवा ने ऐसी ही अनुचित कॉलों की सूची जारी की है, जिनके कारण सुनकर आपको हैरानी होगी। किसी ने ज्यादा कबाब खाने पर तो किसी ने नकली दांत खोने पर आपातकालीन सेवाओं को याद कर लिया।
इन अनुचित वजहों से आईं आपातकालीन कॉल
वेल्श एम्बुलेंस सेवा के मुताबिक, 2023 में उनके पास ऐसी-ऐसी स्थिति के लिए आपातकालीन कॉल आईं, जिनकी वास्तव में जरूरत नहीं थी। इसमें एक व्यक्ति ने कॉल करके कहा, "मेरी पत्नी की आंखों में मिर्च चली गई है, जिससे उसकी आंखें जल रही है। उसने आंख धोने की कोशिश की है, लेकिन कुछ नहीं हुआ।" दूसरे व्यक्ति ने कहा, "रात में मैंने ज्यादा कबाब खा लिया था, जिसकी वजह से सुबह से मेरे पेट में बहुत दर्द हो रहा है।"
उंगली में अंगूठी फंसने पर भी लोगों ने कर दी आपातकालीन कॉल
एक व्यक्ति ने तो सिर्फ इसलिए आपातकालीन कॉल की थी क्योंकि उसकी अंगूठी उंगली में फंस गई थी। इसके जबाव में जब यह कहा गया कि एम्बुलेंस नहीं आ सकती तो उसने पूछा कि क्या वे सिर्फ उससे मिलने के लिए आ सकते हैं। इसके अलावा एक महिला, जो बोल नहीं सकती थी, उसने भी कॉल करके कहलवाया, "मैंने अपनी आवाज वापस पाने के लिए नींबू समेत कुछ चीजें आजमाई, लेकिन इससे कोई फायदा नहीं हो रहा।"
कॉल के लिए ये कारण भी हैं बेहद विचित्र
एक वाकया ऐसा भी था कि एक व्यक्ति का हाथ उसके मेलबॉक्स के अंदर फंस गया था, जिसके लिए उसने आपातकालीन कॉल कर दी। इसके अलावा अनुचित कालों की सूची में एक व्यक्ति ऐसा भी शामिल था, जिसने अपने नकली दांत खोने की वजह से आपातकालीन कॉल कर दिया था। व्यक्ति ने कॉल पर कहा कि उसे समझ नहीं आ रहा है कि दांत खोने के बाद अब क्या करना है।
रोजाना आईं 188 अनुचित कॉलें
जानकारी के मुताबिक, 2023 में आपातकालीन नंबर 999 पर कुल 4.14 लाख कॉलें दर्ज की गई, जिनमें से 68,416 फर्जी आपातकालीन कॉल नहीं थीं। इसका मतलब है कि रोजाना औसतन 188 फर्जी कॉल आपातकालीन सेवा के लिए की जाती थी, जिसकी असल में जरूरत थी ही नहीं। इस पर पैरामेडिसिन के कार्यकारी निदेशक एंडी स्विनबर्न ने कहा, "अनुचित कॉलें सेवा पर अतिरिक्त दबाव डालती है और दूसरों की मदद में देरी करती है। लोगों को यह बात समझनी चाहिए।"