इलाहाबाद हाई कोर्ट POCSO के दुरुपयोग पर नाराज, बोले- सहमति से संबंध पर किशोर फंस रहे
उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाई कोर्ट ने किशोरों के मामले में यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) कानून के गलत उपयोग को लेकर चिंता और नाराजगी जताई है। बार एंड बेंच के मुताबिक, कोर्ट ने कहा कि सहमति से संबंध बनाने वाले किशोरों के खिलाफ कानून का दुरुपयोग हो रहा है। न्यायमूर्ति कृष्ण पहल ने कहा कि ऐसे मामलों में सूक्ष्म दृष्टिकोण और सावधानीपूर्वक न्यायिक विचार की आवश्यकता होती है ताकि न्याय उचित रूप से दिया जाना सुनिश्चित हो।
सहमति और असली मामलों में अंतर करना चुनौती- कोर्ट
रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने कहा कि शोषण के वास्तविक मामलों और सहमति से बने संबंधों के मामलों के बीच अंतर करना चुनौती है। न्यायमूर्ति पहल ने कहा कि कोर्ट ने समय-समय पर किशोरों पर POCSO अधिनियम के आवेदन के बारे में चिंता जताई है, जबकि अधिनियम का प्राथमिक उद्देश्य वयस्कता (18) से कम उम्र के बच्चों को यौन शोषण से बचाना है। मामले पर कोर्ट ने विचार करते हुए कुछ सुझाव भी दिए हैं।
क्या दिए सुझाव?
कोर्ट ने कहा कि हर मामले का मूल्यांकन उसके व्यक्तिगत तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर होना चाहिए। रिश्ते की प्रकृति और दोनों पक्षों के इरादों की सावधानीपूर्वक जांच होनी चाहिए। कोर्ट ने कथित पीड़ित के बयान पर उचित विचार करने को कहा और कहा कि अगर रिश्ता सहमति और आपसी स्नेह पर आधारित है तो इसे जमानत और अभियोजन से संबंधित निर्णयों में शामिल करना चाहिए। उन्होंने रिश्ते की सहमति की प्रकृति को अनदेखा करने से बचने को कहा।
किस मामले पर कोर्ट ने कही यह बात?
मामला जनवरी, 2023 का है। सतीश उर्फ चांद पर आरोप था कि वह एक व्यक्ति की नाबालिग बेटी को बहला-फुसलाकर भगा ले गया। सतीश को इस साल 5 जनवरी को गिरफ्तार किया गया। सतीश के वकील ने कोर्ट से कहा कि लड़की ने खुद रजामंदी से भागने की बात कही है और अपनी उम्र 18 साल बताई है। दोनों एकदूसरे से प्यार करते हैं और भागकर मंदिर में शादी की है। कोर्ट ने आरोपी को जमानत दे दी।