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    जीका वायरस क्या है, यह कैसे फैलता है और किसके लिए खतरनाक है?
    कर्नाटक में जीका वायरस का पहला मामला सामने आया है

    जीका वायरस क्या है, यह कैसे फैलता है और किसके लिए खतरनाक है?

    लेखन मुकुल तोमर
    Dec 13, 2022
    06:40 pm

    क्या है खबर?

    जीका वायरस ने कर्नाटक में भी दस्तक दे दी है और राज्य के रायचूर जिले में एक पांच वर्षीय बच्ची को इस वायरस से संक्रमित पाया गया है।

    ये भारत में जीका वायरस का पहला मामला नहीं है और इससे पहले केरल, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में भी इस वायरस के मामले सामने आ चुके हैं।

    आइए आपको बताते हैं कि जीका वायरस आखिर क्या है और इसके संक्रमण के लक्षण और उपचार क्या हैं।

    परिचय

    क्या है जीका वायरस और इसे कहां से मिला नाम?

    जीका वायरस फ्लेविविरिडी (Flaviviridae) वायरस फैमिली से आता है और यह पहली बार 1947 में युगांडा में बंदरों में पाया गया था।

    जिस जंगल में यह वायरस पहली बार पाया गया था, उसका नाम जीका था और इसी से इस वायरस को अपना नाम मिला है।

    इंसानों में इसका पहला मामला 1952 में सामने आया और इसके बाद से अफ्रीका, एशिया और प्रशांत क्षेत्र के कई देशों में कई बार इसका प्रकोप देखने को मिला है।

    प्रसार

    कैसे फैलता है जीका वायरस?

    अमेरिकी रोग नियंत्रण केंद्र (CDC) के अनुसार, जीका वायरस चार तरीके से फैल सकता है।

    मुख्य तौर पर यह एडीज प्रजाति के मच्छरों के जरिए फैलता है। इसके अलावा यह गर्भवती महिलाओं से उनके अजन्मे बच्चों में भी फैल सकता है।

    अन्य तरीकों की बात करें तो यह संक्रमित व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बनाने या संक्रमित व्यक्ति का खून चढ़ाने से भी फैल सकता है। हालांकि खून के जरिए फैलने की अभी पूरी तरह पुष्टि नहीं हुई है।

    लक्षण

    क्या हैं जीका वायरस से संक्रमण के लक्षण?

    जीका वायरस से संक्रमण के लक्षणों में बुखार, त्वचा पर चकत्ते, आंख आना, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, अस्वस्थता और सिरदर्द शामिल हैं।

    ये लक्षण कुछ दिन से लेकर एक हफ्ते तक रह सकते हैं। कई लोगों में तो संक्रमण के कोई लक्षण नहीं दिखते हैं या हल्के लक्षण दिखते हैं।

    जीका वायरस से संक्रमित ज्यादातर लोगों को अस्पताल जाने की जरूरत नहीं पड़ती और वो सात दिन में खुद से ठीक हो जाते हैं।

    खतरनाक

    किसके लिए खतरनाक है जीका वायरस?

    जीका वायरस वैसे तो खतरनाक नही है, लेकिन अगर कोई गर्भवती महिला इससे संक्रमित हो जाती है तो गर्भ में पल रहे बच्चे को माइक्रोसेफली जैसी मानसिक समस्या हो सकती है। इसमें बच्चे के दिमाग का पूरा विकास नहीं होता और सिर छोटा रह जाता है।

    इसके अलावा इसके कारण गर्भपात, मरा हुआ बच्चा पैदा होना और अन्य जन्म दोष भी देखने को मिल सकते हैं।

    कुछ संक्रमितों में नर्वस सिस्टम से संबंधित एक दुर्लभ सिंड्रोम भी देखा गया है।

    इलाज

    क्या जीका वायरस का इलाज उपलब्ध है?

    जीका वायरस का कोई विशिष्ट उपचार नहीं है और डॉक्टर इसके लक्षणों के आधार पर ही इसका उपचार करते हैं।

    इससे संक्रमित मरीजों को शरीर में पानी की कमी को दूर करने के लिए लगातार पानी और अन्य तरल पदार्थ पीने की सलाह दी जाती है।

    बुखार या दर्द को कम करने के लिए डॉक्टर अपने हिसाब से दवाई देते हैं, वहीं मरीजों से पूरी तरह से आराम करने को भी कहा जाता है।

    जीका की वैक्सीन भी नहीं है।

    जानकारी

    संक्रमण से बचाव कैसे करें?

    जीका वायरस के संक्रमण से बचने के लिए पूरी बाजू की शर्ट और फुल पैंट पहनें। इसके अलावा मच्छरों को मारने के लिए बाजार में उपलब्ध उत्पादों का इस्तेमाल करें। मच्छरों को बाहर रखने के लिए घर को बंद रखें और मच्छरदानी का इस्तेमाल करें।

    तुलना

    क्या कोरोना वायरस जितना खतरनाक हो सकता है जीका वायरस?

    जीका वायरस के कोरोना वायरस जितना खतरनाक होने की संभावना न के बराबर है। कोरोना हवा और इंसानी संपर्क के जरिए फैलता है और इसी कारण इसने इतने अधिक लोगों को संक्रमित किया। जीका वायरस के साथ ऐसा नहीं है।

    2016 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी कह चुका है कि जीका वायरस अंतरराष्ट्रीय चिंता लायक स्वास्थ्य इमरजेंसी नहीं है।

    अभी तक कुल 86 देशों में इसके मामले सामने आ चुके हैं जिनमें भारत भी शामिल है।

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