
कर्नाटक के हिजाब विवाद में सुप्रीम कोर्ट का विभाजित फैसला, CJI तय करेंगे आगे की कार्रवाई
क्या है खबर?
कर्नाटक के हिजाब विवाद में सुप्रीम कोर्ट का विभाजित फैसला आया है। जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कक्षाओं में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगाने वाले सरकारी आदेश को बरकरार रखने के कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली छात्राओं की याचिका को खारिज कर दिया, वहीं जस्टिस हेमंत धूलिया ने सरकारी आदेश और हाई कोर्ट के फैसले दोनों को रद्द कर दिया है।
अब मामले को मुख्य न्यायाधीश (CJI) के सामने रखा जाएगा जो आगे की कार्रवाई तय करेंगे।
फैसला
जस्टिस गुप्ता ने अपने फैसले में क्या कहा?
हाई कोर्ट के फैसले को सही करार देते हुए जस्टिस गुप्ता ने कहा कि उन्होंने 11 सवाल तैयार किए हैं।
इसके बाद उन्होंने ये 11 सवाल पूछे जिसमें मामले के संवैधानिक बेंच को भेजे जाने से लेकर हिजाब के इस्लाम में एक आवश्यक धार्मिक प्रथा होने और इसके पहनने पर पाबंदी लगाने से अनुच्छेद 25 का उल्लंघन होने जैसे सवाल शामिल रहे।
उन्होंने कहा कि इन सवालों के जवाब याचिकाकर्ता के खिलाफ हैं, इसलिए वह याचिका को खारिज करते हैं।
दूसरा फैसला
जस्टिस धूलिया ने अपने फैसले में क्या कहा?
जस्टिस धूलिया ने मुस्लिम छात्राओं के हक में फैसला सुनाते हुए कहा कि ये केवल पसंद का मामला है और इससे ज्यादा कुछ नहीं।
उन्होंने कहा कि उनके लिए लड़कियों की शिक्षा सर्वोपरि है, इसलिए हाई कोर्ट के फैसले और सरकार के आदेश को रद्द कर रहे हैं।
उन्होंने पूछा, "लड़कियां स्कूल जाने से पहले घर का सारा काम करती हैं और क्या प्रतिबंध लगाकर हम उनका जीवन बेहतर बना रहे हैं। मैं अपने साथी जज से सम्मानपूर्वक असहमत हूं।"
हिजाब विवाद
क्या था पूरा विवाद?
विवाद की शुरूआत 28 दिसंबर को कर्नाटक के उडुपी के पीयू कॉलेज में छह छात्राओं को हिजाब पहनने पर कक्षाओं में प्रवेश न देने से हुई थी।
देखते ही देखते ये विवाद अन्य कॉलेजों में फैल गया और कई कॉलेजों ने हिजाब पर प्रतिबंध का सरकार का आदेश दिखाते हुए छात्राओं को प्रवेश देने से इनकार कर दिया।
इसके बाद मुस्लिम छात्राओं ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने के सरकारी आदेश को कर्नाटक हाई कोर्ट में चुनौती दी।
हाई कोर्ट का फैसला
कर्नाटक हाई कोर्ट ने क्या आदेश दिया था?
15 मार्च को सुनाए गए अपने फैसले में कर्नाटक हाई कोर्ट ने मुस्लिम छात्राओं को कक्षा में हिजाब पहनने की अनुमति देने से इनकार कर दिया।
याचिकाओं को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा था कि हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं है। कोर्ट ने कहा था कि स्कूल यूनिफॉर्म एक उचित पाबंदी है और छात्राएं इस पर आपत्ति नहीं उठा सकतीं।
छात्राएं इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई थीं जिसने अब विभाजित फैसला सुनाया है।
समस्याएं
विवाद के कारण छात्राओं को करना पड़ा कई समस्याओं का सामना
इस पूरे विवाद के कारण मुस्लिम छात्राओं को बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ा था। कई जगह पर हिंदू छात्र उनके विरोध में उतर आए और भगवान स्कार्फ और पगड़ी पहनकर स्कूल आने लगे।
कुछ स्कूलों में मुस्लिम छात्राओं और हिंदू छात्रों के बीच कहासुनी की घटनाएं भी देखने को मिलीं। छोटी बच्चियों से लेकर मुस्लिम शिक्षकों तक को स्कूल के गेट पर ही हिजाब उतारने को मजबूर करने के वीडियो भी सामने आए थे।