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    हिजाब विवाद पर बोला कर्नाटक हाई कोर्ट- फैसला आने तक धार्मिक ड्रेस की जिद न करें
    कर्नाटक हाई कोर्ट ने कही फैसला आने तक धार्मिक ड्रेस पहनने की जिद नहीं करने की बात।

    हिजाब विवाद पर बोला कर्नाटक हाई कोर्ट- फैसला आने तक धार्मिक ड्रेस की जिद न करें

    लेखन भारत शर्मा
    Feb 10, 2022
    05:39 pm

    क्या है खबर?

    कर्नाटक हाई कोर्ट की तीन जजों वाली बड़ी बेंच ने राज्य में चल रहे हिजाब विवाद मामले को लेकर गुरुवार को अहम सुनवाई की।

    इसमें याचिकाकर्ताओं के वकील ने स्कूल और कॉलेजों में ड्रेस को लेकर कोई स्पष्ट आदेश नहीं होने की बात कही तो सरकार ने हिजाब और भगवा गमछे की अनुमति नहीं देने की बात कही।

    इस दौरान कोर्ट ने कहा कि फैसला आने तक छात्र धार्मिक ड्रेस की जिद न करें और स्कूल-कॉलेजों को तत्काल खोलना चाहिए।

    शुरुआत

    याचिकाकर्ताओं के वकील ने दी कानूनन पाबंदी नहीं होने की दलील

    सुनवाई शुरू होते ही याचिकाकर्ताओं के वकील संजय हेगड़े ने कहा कि स्कूल और कॉलेजों में ड्रेस पर कर्नाटक शिक्षा अधिनियम में कोई बात नहीं कही गई है। इसमें ड्रेस को लेकर कोई विशेष प्रावधान नहीं है।

    उन्होंने यह भी कहा कि हिजाब इस्लाम का हिस्सा है और इसके बाद भी छात्राओं को अनुमति नहीं दी जा रही है। मार्च में परीक्षा होने और छात्राओं की पढ़ाई को देखते हुए मामले में जल्द ही फैसला लिए जाने की जरूरत है।

    जानकारी

    सिखों को हेलमेंट में छूट की दलील दी

    सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं वकील हेगड़े सिखों का जिक्र करते हुए कहा कि धार्मिक आवश्यकताओं को देखते हुए ट्रैफिक नियमों के तहत उन्हें हेलमेट पहनने की छूट दी गई है। ऐसे में याचिकाकर्ता छात्राओं को भी अंतरिम राहत दी जानी चाहिए।

    दलील

    कर्नाटक सरकार ने दी ड्रेस कोड का पालन करने की दलील

    सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल ने कहा कि स्कूल-कॉलेजों में ड्रेस कोड का पालन किया जाना चाहिए और यदि कहीं ड्रेस कोड नहीं है तो शालीन कपड़े पहने जाने चाहिए।

    उन्होंने आगे कहा कि छात्रों को भगवा स्कार्फ या छात्राओं को हिजाब के साथ कक्षाओं में एंट्री नहीं दी जा सकती है। यह राज्य के शैक्षिक वातावरण के लिए अच्छी स्थिति नहीं होगी। ऐसे में सभी छात्र और छात्राओं को ड्रेस कोड में ही स्कूल आना चाहिए।

    टिप्पणी

    हिजाब के मूल अधिकार में आने के विषय पर कर रहे हैं विचार- हाई कोर्ट

    दलीलें सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी, जस्टिस कृष्णा दीक्षित और जेएम खाजी की पीठ ने कहा, "हम इस पर विचार कर रहे हैं कि हिजाब पहनना मूल अधिकार है या नहीं। इसके अलावा इस पर भी विचार कर रहे हैं कि क्या हिजाब पहनना इस्लाम धर्म के पालन के लिए जरूरी है या नहीं है।"

    कोर्ट ने कहा, "जब तक इस मामले में कोई फैसला नहीं दिया जाता है तब तक छात्र हिजाब पहनने की जिद करें।"

    अपील

    हाई कोर्ट ने कही शांति बहाल करने की बात

    हाई कोर्ट ने कहा कि वह अगले महीने होने वाली बच्चों की परीक्षाओं को देखते हुए स्कूल और कॉलेजों को फिर से खोलने के आदेश जारी करेगा। ऐसे में छात्रों को पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए।

    कोर्ट ने कहा कि राज्य में शांति व्यवस्था फिर से बहाल होनी चाहिए और सुनवाई पूरी होने तक मामले में किसी तहर का विवाद नहीं होना चाहिए।

    कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई सोमवार दोपहर 02:30 बजे के लिए निर्धारित की है।

    जानकारी

    हिजाब विवाद पर हर टिप्पणी की रिपोर्टिंग न करे मीडिया- हाई कोर्ट

    हाई कोर्ट ने हिजाब विवाद की सुनवाई करते हुए मीडिया को भी मामले में विशेष सावधानी बरतने की हिदायत दी है। कोर्ट ने कहा कि मीडिया हर एक टिप्पणी की रिपोर्टिंग न करे। उसे इस मामले में आखिरी आदेश तक का इंतजार करना चाहिए।

    पृष्ठभूमि

    क्या है कर्नाटक में चल रहा हिजाब विवाद?

    कर्नाटक में हिजाब विवाद की शुरूआत 28 दिसंबर को उडुपी के पीयू कालेज में छह छात्राओं को हिजाब पहनने पर कक्षाओं में प्रवेश न देने इसे हुई थी।

    इसके बाद छात्राओं ने प्रदर्शन शुरू कर दिया और हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी। कई छात्र विरोध में उतर आए और यह उडुपी से दूसरे जिलों में भी फैल गया।

    स्थिति को संभालने के लिए मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने तीन दिन तक स्कूल-कॉलेज बंद रखने का आदेश दिया था।

    रेफर

    कर्नाटक हाई कोर्ट ने बड़ी बेंच को रेफर किया था मामला

    कर्नाटक हाई कोर्ट ने बुधवार को इस मामले को तीन जजों वाली बड़ी बेंच को रेफर कर दिया था।

    इससे पहले मंगलवार को कोर्ट ने सभी पक्षों को शांति बनाए रखने की अपील की और कहा कि वह भावनाओं के आधार पर नहीं, बल्कि कानून के अनुसार फैसला लेगी।

    इधर, राज्य में बिगड़ती स्थिति को देखते हुए बेंगलुरू पुलिस ने स्कूल और कॉलेजों के आसपास अगले दो सप्ताह तक सभा या प्रदर्शन करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

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