जमानत आदेशों में देरी से सभी कैदी और बंदियों की स्वतंत्रता होती है प्रभावित- जस्टिस चंद्रचूड़
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने बुधवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट की ओर से आयोजित ऑनलाइन कोर्ट और ई-सेवा केंद्रों के ऑनालइन उद्घाटन समारोह में शिरकत की।
इसमें उन्होंने कानूनी प्रक्रियाओं के डिजिटलीकरण पर जोर देते हुए कहा कि जमानत आदेशों का जेल अधिकारियों तक देरी से पहुंचना बेहद गंभीर मामला है। जमानत मिलने के बाद आदेशों की देरी से सभी कैदी और बंदियों की मानव स्वतंत्रता प्रभावित होती है।
जानकारी
आर्यन खान के मामले में देरी से पहुंचे थे जमानत आदेश
बता दें कि हाल ही मुंबई क्रूज ड्रग मामले में गिरफ्तार हुए अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को जमानत मिलने के बाद भी जमानत आदेश जेल तक समय पर नहीं पहुंचे। इससे उन्हें जेल में एक दिन अतिरिक्त गुजारना पड़ा था।
ई-हिरासत
"ई-हिरासत प्रमाणपत्र से मिलेगा कैदी और बंदी का आवश्यक डेटा"
द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, जस्टिस चंद्रचूड़ ने ओडिशा में मंगलवार से शुरू की गई ई-हिरासत प्रमाणपत्र प्रणाली का उल्लेख करते हुए कहा, "वह प्रमाण पत्र हमें उस विशेष अंडर-ट्रायल या दोषी के संबंध में पहले रिमांड से लेकर सभी मामलों के बाद की प्रगति का सभी आवश्यक डेटा देगा।"
उन्होंने कहा, "इससे हमें यह सुनिश्चित करने में भी मदद मिलेगी कि जमानत आदेश जारी होने के तत्काल बाद उसे संबंधित जेल अधिकारियों तक पहुंचाया जा सके।"
जोर
जस्टिस चंद्रचूड़ ने दिया उपचारात्मक प्रणाली पर जोर
कानून व्यवस्था में एक उपचारात्मक प्रणाली की आवश्यकता पर जोर देते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, "आपराधिक न्याय प्रणाली में एक बहुत गंभीर कमी जमानत आदेशों के संचार में देरी है, जिसे हमें युद्ध स्तर पर सुधारने करने की आवश्यकता है। क्योंकि, यह हर विचाराधीन कैदी और सजा रद्द का लाभ लेने वाले कैदी की मानवीय स्वतंत्रता को प्रभावित करता है।"
उन्होंने कहा, "भारत में डिजिटल विभाजन के कारण हमें ई-सेवा केंद्र की आवश्यकता है।"
महत्व
जस्टिस चंद्रचूड़ ने बताया ई-सेवा केंद्रों का महत्व
ई-सेवा केंद्रों के महत्व पर बोलते हुए न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, "भारत में डिजिटल युग में हमें ई-सेवा केंद्र की आवश्यकता है। आबादी के एक बड़े हिस्से के पास कंप्यूटर तक व्यक्तिगत पहुंच नहीं है, हालांकि निश्चित रूप से अब हमारे ग्रामीण क्षेत्रों में भी स्मार्टफोन का प्रसार हो रहा है, लेकिन अभी भी बड़ा विभाजन है। बार के सदस्य बड़े पैमाने पर समाज के प्रतिनिधि हैं।"
उन्होंने कहा, "आभासी कोर्ट समान रूप से बहुत ही महत्वपूर्ण हैं।"
चालान
ट्रैफिक चालान की ऑनलाइन सुविधा भी है आवश्यक- जस्टिस चंद्रचूड़
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, "आप सोच सकते हैं कि एक आम नागरिक को ट्रैफिक चालान भरने के लिए अपनी एक दिन की मजदूरी छोड़कर कोर्ट जाना उपयोगी नहीं है। ऐसे में यदि आभासी अदालतों को एक राष्ट्रीयकृत बैंक के साथ जोड़ दिया जाए तो चालान का भुगतान इलेक्ट्रॉनिक रूप से किया जा सकता है और इससे लोगों को बड़ी राहत मिलेगी।"
इस दौरान उन्होंने लंबित मामलों के निस्तारण के लिए भी तकनीक पर जोर दिया।
संज्ञान
जमानत आदेशों में देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने लिया था संज्ञान
इस साल की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) एन वी रमन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने जमानत मिलने के बाद आगरा सेंट्रल जेल से 13 कैदियों की रिहाई में देरी पर संज्ञान लिया था।
पीठ ने जेल अधिकारियों को कोर्ट के आदेशों की त्वरित और सुरक्षित ऑनलाइन पहुंच के लिए नई प्रणाली स्थापित करने को कहा था।
कोर्ट ने कहा था कि इस प्रणाली से जमानत मिलने के बाद कैदी और बंदियों को इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
जानकारी
सुप्रीम कोर्ट ने मामले में की थी बड़ी टिप्पणी
इस मामले में CJI ने कहा था, "सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के युग में हम कबूतरों के जरिए आदेशों प्राप्त करने के लिए आसमान की ओर देख रहे हैं।" इसके बाद कोर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक प्रसारण के लिए नई प्रणाली लागू करने की अनुमति दी थी।