सबरीमाला पर पुनर्विचार याचिकाएं सुनने को तैयार सुप्रीम कोर्ट, 6 फरवरी को होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की अनुमति वाले फैसले के खिलाफ दाखिल पुनर्विचार याचिकाओं को सुनने को तैयार हो गया है। इस मामले में पांच सदस्यीय संविधान पीठ 6 फरवरी को सुनवाई करेगी। जानकारी के मुताबिक, चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदू मल्होत्रा की संवैधानिक बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी। कोर्ट ने पिछले साल सिंतबर में सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश का फैसला दिया था।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिकाएं
सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच ने 28 सितंबर, 2018 को 4-1 के बहुमत से अपना फैसला सुनाया था। इस फैसले में कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में सभी महिलाओं के प्रवेश की इजाजत दे दी थी। कोर्ट ने अपने फैसले में मंदिर में चली आ रही 10-50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी को लिंग आधारित भेदभाव बताते हुए निरस्त कर दिया था। कोर्ट के फैसले के खिलाफ 45 से ज्यादा पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल की गई हैं।
22 जनवरी को होनी थी सुनवाई
इस मामले में 22 जनवरी को सुनवाई होनी थी, लेकिन बेंच में से जस्टिस इंदु मल्होत्रा के उपस्थित नहीं होने के कारण इस सुनवाई को टाल दिया गया था। अब इस मामले में 6 फरवरी को सुनवाई होगी।
कोर्ट के फैसले का विरोध जारी
कई हिंदूवादी संगठन और राजनीतिक दल सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। इसे लेकर राजनीतिक पार्टियों में भी खूब खींचतान रही थी। एक तरफ जहां राज्य सरकार मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को सुनिश्चित करने की कोशिश में थी, वहीं कांग्रेस और भाजपा समेत कई पार्टियां मंदिर में महिलाओं की एंट्री का विरोध कर रही थी। हालांकि, इस बीच कई महिलाओं ने मंदिर में प्रवेश कर भगवान अयप्पा के दर्शन कर लिए।
बिंदु अम्मिनी और कनकदुर्गा ने सबसे पहले किए दर्शन
कई लोग मंंदिर में महिलाओं की एंट्री का विरोध कर रहे थे। कई बार प्रदर्शनकारियों ने मंदिर जा रही महिलाओं का रास्ता भी रोका। भारी विरोध के बीच पिछले महीने कनकदुर्गा और बिंदु अम्मिनी नामक दो महिलाएं पुलिस सुरक्षा के साथ मंदिर में प्रवेश करने में कामयाब रही थी। इन दोनों महिलाओं ने सालों से चली आ रही परंपरा को तोड़ते हुए इतिहास रच दिया था। इनके बाद कई और महिलाओं ने मंदिर में प्रवेश का दावा किया।