जस्टिस चंद्रचूड़ होंगे देश के अगले मुख्य न्यायाधीश, मौजूदा CJI यूयू ललित ने की सिफारिश
क्या है खबर?
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ देश के अगले मुख्य न्यायाधीश (CJI) होंगे। जस्टिस चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे वरिष्ठ वकील हैं और मौजूदा CJI यूयू ललित ने आज सुबह हुई सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की बैठक में अपने उत्तराधिकारी के तौर पर उनके नाम की सिफारिश की।
अब इस संबंध में कानून मंत्रालय को एक पत्र भेजा जाएगा, जिसके बाद मंत्रालय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से जस्टिस चंद्रचूड़ को CJI बनाने का आदेश जारी करने की सिफारिश करेगा।
कार्यक्रम
9 नवंबर को 50वें CJI के तौर पर शपथ लेंगे जस्टिस चंद्रचूड़
मौजूदा CJI यूयू ललित का कार्यकाल 8 नवंबर को खत्म हो रहा है, जिसके बाद 9 नवंबर को जस्टिस चंद्रचूड़ CJI के पद की शपथ लेंगे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उन्हें ये शपथ दिलाएंगी। वो देश के 50वें मुख्य न्यायाधीश होंगे।
जस्टिस चंद्रचूड़ दो साल तक CJI के पद पर रहेंगे, जिसे एक लंबा कार्यकाल माना जा सकता है।
इसके विपरीत CJI ललित का कार्यकाल मात्र दो महीने और कुछ दिन का रहा और उन्होंने अगस्त में ही कार्यभार संभाला था।
परिचय
जस्टिस चंद्रचूड़ के पिता भी रह चुके हैं मुख्य न्यायाधीश
जस्टिस चंद्रचूड़ एक जाने-माने कानूनी परिवार से संबंध रखते हैं और उनके पिता वाईवी चंद्रचूड़ देश के 16वें मुख्य न्यायाधीश रहे थे।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने दिल्ली के प्रसिद्ध सेंट स्टीफंस कॉलेज से इकोनॉमिक्स ऑनर्स में ग्रेजुएशन किया है। इसके बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के लॉ सेंटर से LLB की।
उन्होंने अमेरिका के प्रसिद्ध हार्वर्ड लॉ स्कूल से LLM भी की हुई है और इसके बाद उन्होंने इसी यूनिवर्सिटी से न्यायिक विज्ञान में PhD की।
पेशेवर करियर
कैसा रहा जस्टिस चंद्रचूड़ का करियर?
पढ़ाई पूरी करने के बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने वकील के तौर पर अपने करियर की शुरूआत की। 1998 में उन्हें बॉम्बे हाई कोर्ट में वरिष्ठ वकील के तौर पर नामित किया गया और कुछ ही महीनों में वह भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल बन गए।
मार्च, 2020 में वह पहली बार बॉम्बे हाई कोर्ट के जज बने। वह 2013-2016 तक इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश भी रहे हैं। मई, 2016 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया।
अहम फैसले
अपने प्रगतिशील फैसलों के लिए जाने जाते हैं जस्टिस चंद्रचूड़
जस्टिस चंद्रचूड़ को उनके उदारवादी और प्रगतिशील फैसलों के लिए जाना जाता है। पिछले महीने ही उन्होंने अविवाहित महिलाओं के गर्भपात के अधिकार को कायम रखने वाला आदेश जारी किया था।
वह सुप्रीम कोर्ट की उस संवैधानिक बेंच में भी शामिल थे जिसने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर किया। इसके अलावा वह निजता को मूल अधिकार घोषित करने वाली और विवाहेत्तर संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने वाली संवैधानिक बेंचों में भी शामिल रहे।