हिजाब विवाद: संविधान और कोर्ट के पुराने फैसलों का मामले पर क्या कहना है?
क्या है खबर?
कर्नाटक में मुस्लिम छात्राओं के हिजाब को लेकर शुरू हुआ विवाद बढ़ता ही जा रहा है। मामले पर हर रोज नेताओं के बयान आ रहे हैं जो तनाव को और बढ़ाने का काम कर रहे हैं।
इस बीच विवाद कर्नाटक हाई कोर्ट भी पहुंच गया है जिसने भावनाओं की बजाय कानून को ध्यान में रखते हुए फैसला सुनाने की बात कही है।
चलिए फिर जानते हैं कि इस विवाद पर कानून क्या कहता है।
संविधान
संविधान में क्या कहा गया है?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 में भारतीय नागरिकों को अपने धर्म के पालन और प्रचार करने की आजादी दी गई है। हालांकि कानून-व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य के आधार पर इस पर पाबंदी लगाई जा सकती है।
इसी तरह अनुच्छेद 15 में कहा गया है कि राज्य किसी भी व्यक्ति के खिलाफ धर्म, लिंग और नस्ल आदि के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकता।
हालांकि ये सभी स्वतंत्रताएं स्कूल में यूनिफॉर्म पर लागू होंगी या नहीं, इस पर कोर्ट फैसला लेगा।
अन्य प्रावधान
संविधान में और क्या प्रावधान हैं?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में भारतीय नागरिकों को व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है। इसके तहत लोगों को अपने कपड़े खुद चुनने की आजादी भी है, हालांकि इस पर शालीनता और सार्वजनिक नैतिकता के रूप में दो पाबंदियां भी हैं।
इसका मतलब जब तक आप शालीनता और सार्वजनिक नैतिकता का उल्लंघन नहीं कर रहे, आप कुछ भी पहन सकते हैं। हालांकि संविधान में इन दोनों शब्दों की परिभाषा तय नहीं की गई है।
कोर्ट
हिजाब के मामले पर कोर्ट पहले क्या कह चुका है?
हिजाब का मामला पहले भी कोर्ट में पहुंच चुका है। जुलाई, 2015 में केरल हाई कोर्ट ने दो मुस्लिम छात्राओं को हिजाब और पूरी बांह के कपड़े पहनकर ऑल इंडिया प्री-मेडिकल टेस्ट (AIPMT) में बैठने की इजाजत दे दी थी। हालांकि कुछ दिन बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को पलट दिया।
मई, 2017 में केरल हाई कोर्ट ने मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनकर AIIMS की परीक्षा में बैठने की इजाजत भी दी थी।
जानकारी
प्राइवेट स्कूलों को निर्देश देने से मना कर चुका है केरल हाई कोर्ट
दिसंबर, 2018 में केरल हाई कोर्ट ने ही एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि प्राइवेट स्कूलों को यह आदेश नहीं दिया जा सकता कि वे छात्रों को उनकी धार्मिक मान्यताओं के हिसाब से यूनिफॉर्म पहनने की आजादी दें।
अहम फैसला
सुप्रीम कोर्ट का 35 साल पुराना फैसला रह सकता है अहम
इस पूरे विवाद में सुप्रीम कोर्ट का एक 35 साल पुराना फैसला अहम साबित हो सकता है।
अगस्त, 1986 में सुनाए गए अपने फैसले में ईसाई समुदाय के तीन छात्रों को स्कूल में राष्ट्रगान न गाने को लेकर सुरक्षा दी थी।
इन छात्रों को स्कूल से निकाल दिया गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द करते हुए कहा था कि छात्रों को राष्ट्रगान गाने के लिए बाधित करना संविधान में प्रदान किए गए उनके धार्मिक अधिकार का उल्लंघन है।
हिजाब
क्या है कर्नाटक में चल रहा हिजाब विवाद?
कर्नाटक के कई स्कूल और कॉलेजों में मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनकर आने पर विवाद चल रहा है।
इस विवाद की शुरूआत 28 दिसंबर को उडुपी के पीयू कालेज में छह छात्राओं को हिजाब पहनने पर कक्षाओं में प्रवेश न देने से हुई।
इसके बाद छात्राओं ने प्रदर्शन शुरू कर दिया। कई छात्र इसके विरोध में उतर आए और यह विवाद उडुपी से दूसरे जिलों में भी फैलने लगा।
स्थिति ज्यादा न बिगड़े, इसलिए स्कूल-कॉलेज तीन दिन तक बंद हैं।