उत्तर प्रदेश पुलिस का ट्विटर इंडिया के प्रमुख को भेजा गया नोटिस दुर्भावनापूर्ण- कर्नाटक हाई कोर्ट
क्या है खबर?
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में मुस्लिम बुजुर्ग के साथ मारपीट के वीडियो के टि्वटर पर वायरल होने के मामले में ट्विटर इंडिया के प्रबंध निदेशक मनीष माहेश्वरी को शुक्रवार को कर्नाटक हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है।
उत्तर प्रदेश की गाजियाबाद पुलिस की ओर से भेजे गए नोटिस को चुनौती देने वाली माहेश्वरी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया। ऐसे में अब माहेश्वरी को पूछताछ के लिए गाजियाबाद नहीं जाना पड़ेगा।
प्रकरण
गाजियाबाद के लोनी इलाके में हुई थी मुस्लिम बुजुर्ग से मारपीट
बता दें कि यह मामला गाजियाबाद के लोनी इलाके में एक बुजुर्ग अब्दुल समद सैफी की पिटाई से जुड़ा है। 14 जून को इस घटना का सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हुआ था।
इसमें सैफी का आरोप था कि कुछ लोगों ने उन्हें ऑटो में बैठाया और एकांत जगह पर ले जाकर पिटाई की और दाढ़ी काट दी।
इस मामले में पुलिस ने टि्वटर इंडिया के निदेशक, एक समाचार पोर्टल सहित नौ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
जांच
पुलिस ने मामले में सांप्रदायिक एंगल होने से किया था इनकार
वीडियो की प्राथमिक जांच के बाद पुलिस ने इस मामले में सांप्रदायिक एंगल होने से इनकार कर दिया था।
पुलिस का कहना था कि आरोपी उस 'ताबीज' से नाखुश थे, जो अब्दुल शमद सैफी (पीड़ित) ने उन्हें बेचा था। ताबीज बेचे जाने के बाद लोगों को उससे कोई फायदा नहीं हुआ और उन्होंने इसकी का गुस्सा निकाला था।
हालांकि, बाद में पुलिस ने इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि अन्य आरोपियों की तलाश जारी है।
नोटिस
पुलिस ने टि्वटर इंडिया के निदेशक को भेजा था कानूनी नोटिस
मामले में पुलिस ने 'सांप्रदायिक अशांति फैलाने' के लिए माहेश्वरी को कानूनी नोटिस भी भेजने के साथ उनके खिलाफ मामला दर्ज किया था। पुलिस का कहना था कि नफरत फैलाने वाले वीडियो पर ट्विटर ने पर कोई संज्ञान नहीं लिया।
इस पर माहेश्वरी ने जवाब भेजते हुए पूछताछ के लिए ऑनलाइन उपस्थित होने की बात कही थी।
इसके बाद पुलिस ने 21 जून को उनके जवाब को संतोषप्रद न मानते हुए उन्हें दूसरा नोटिस जारी कर दिया था।
चुनौती
माहेश्वरी ने 23 जून को दी थी पुलिस के नोटिस को चुनौती
इस मामले में माहेश्वरी ने 23 जून को कर्नाटक हाई कोर्ट में नोटिस को चुनौती दी थी।
इसमें उन्होंने कहा था कि वह उत्तर प्रदेश पुलिस की पूछताछ के लिए ऑनलाइन उपलब्ध हो सकते हैं, लेकिन पुलिस ने उनके प्रस्ताव को ठुकरा दिया।
उन्होंने पुलिस को यह भी कहा था कि यदि वह उन्हें गिरफ्तार नहीं करने का वादा करती है तो वह 24 घंटे में गाजियाबाद पहुंच जाएंगे। उस दौरान कोर्ट ने उनकी गिरफ्तार पर रोक लगा दी थी।
जानकारी
मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी उत्तर प्रदेश पुलिस
उत्तर प्रदेश पुलिस ने कर्नाटक हाई कोर्ट के गिरफ्तारी पर रोक लगाने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन इस मामले पर अभी तक सुनवाई नहीं हुई है। ऐसे में हाई कोर्ट का नया आदेश भी प्रभावी माना जाएगा।
सुनवाई
हाई कोर्ट ने नोटिस को बताया दुर्भावनापूर्ण
मामले में सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने पुलिस के नोटिस को निरस्त कर दिया और कहा कि माहेश्वरी को अब गवाह के रूप में पेश होने, पूछताछ और गवाही देने के लिए उत्तर प्रदेश जाने की जरूरत नहीं होगी।
कोर्ट ने कहा कि पुलिस का ट्विटर इंडिया के प्रमुख को नोटिस देना दुर्भावनापूर्ण और उत्पीड़न करने वाला है। पुलिस ने पहले नोटिस पर नहीं पहुंचने के कारण उन पर धारा 41A लगाई जो पूरी तरह से गलत है।
जानकारी
पुलिस मामले में अब तक पेश नहीं कर पाई ठोस सुबूत
जस्टिस जी नरेंद्र ने कहा कि गाजियाबाद पुलिस मामले में अब तक ऐसा कोई सबूत नहीं दिखा पाई है जो इस घटना में ट्विटर इंडिया के अधिकारी की संलिप्तता को प्रदर्शित कर सके। जबकि, मामले की सुनवाई पिछले काफी समय से चल रही है।