कर्नाटक हिजाब विवाद: बेंगलुरू में दो हफ्ते तक स्कूल-कॉलेजों के पास प्रदर्शन करने पर प्रतिबंध
कर्नाटक में मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनकर कॉलेज आने पर विवाद के बीच बेंगलुरू में स्कूल और कॉलेजों के आसपास सभा या प्रदर्शन करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। ये प्रतिबंध दो हफ्ते तक लागू रहेगा। कानून-व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए बेंगलुरू पुलिस ने ये आदेश जारी किया है। इससे पहले मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई कल शांति और सद्भाव कायम करने के लिए तीन दिन तक स्कूल-कॉलेज बंद रहने का आदेश जारी किया था।
क्या है हिजाब से संबंधित पूरा विवाद?
कर्नाटक के कई स्कूल और कॉलेजों में छात्राओं के हिजाब पहनकर आने पर विवाद चल रहा है। इस विवाद की शुरूआत 28 दिसंबर को उडुपी के पीयू कालेज में छह छात्राओं को हिजाब पहनने पर कक्षाओं में प्रवेश न देने इसे हुई थी। इसके बाद छात्राओं ने प्रदर्शन शुरू कर दिया। कई छात्र इसके विरोध में उतर आए और यह विवाद उडुपी से दूसरे जिलों में भी फैलने लगा। स्थिति ज्यादा न बिगड़े, इसलिए स्कूल-कॉलेज तीन दिन तक बंद हैं।
हाई कोर्ट में पहुंचा मामला, बड़ी बेंच को किया गया रेफर
मामला कोर्ट में भी पहुंचा है और पांच मुस्लिम छात्रों ने कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। मंगलवार को इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने सभी पक्षों को शांति बनाए रखने की अपील की और कहा कि वह भावनाओं के आधार पर नहीं, बल्कि कानून के अनुसार फैसला लेगी। आज भी मामले पर सुनवाई हुई, लेकिन जस्टिस कृष्ण एस की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले को बड़ी बेंच के पास भेज दिया।
कोर्ट ने सरकार और याचिकार्ताओं से किए सख्त सवाल
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकर्ताओं और सरकार दोनों से कड़े सवाल पूछे। याचिकाकर्ताओं से सवाल करते हुए कोर्ट ने पूछा कि कुरान का कौन सा भाग हिजाब को अनिवार्य बनाता है। उसने कुरान की एक कॉपी मंगाकर याचिकाकर्ता से हिजाब को अनिवार्य बनाने वाली लाइन पढ़ने को भी कहा। उसने पूछा कि क्या ये सभी प्रथाएं मौलिक हैं। इसी तरह कोर्ट ने सरकार से सवाल पूछते हुआ कहा कि वह हिजाब पहनने की अनुमति क्यों नहीं दे सकती है।
पूरे विवाद की जड़ में है कर्नाटक सरकार का एक आदेश
बता दें कि इस पूरे विवाद की जड़ में कर्नाटक सरकार का एक सर्कुलर है। शनिवार को जारी किए गए इस सर्कुलर में सरकार ने स्कूल और कॉलेजों में कर्नाटक शिक्षा अधिनियम, 1983 की धारा 133 (2) लागू करने का आदेश दिया था। इसके तहत सभी सरकारी और निजी स्कूलों में विद्यार्थियों को प्रबंधन द्वारा निर्धारित यूनिफॉर्म ही पहनकर आना होगा। विवाद के बाद भी सरकार अपने फैसले का बचाव कर रही है।