क्या है कर्नाटक में चल रहा हिजाब विवाद जिसको लेकर हाई कोर्ट पहुंची हैं छात्राएं?

कर्नाटक में हिजाब पहनने को लेकर शुरु हुआ विवाद अभी तक थमने का नाम नहीं ले रहा है। उडुपी के सरकारी कॉलेज से शुरू हुआ यह विवाद अब अन्य कॉलेजों तक पहुंच गया है। गुरुवार को उडुपी जिले के कुंडापुर स्थित भंडारकर कॉलेज में भी हिजाब पहनकर पहुंची छात्राओं को कालेज में प्रवेश करने से रोक दिया गया। जिसको लेकर छात्राओं ने हंगामा कर दिया। आइए जानते हैं आखिर क्या है हिजाब विवाद और क्यों हाई कोर्ट पहुंची है छात्राएं?
बता दें कि हिजाब विवाद की शुरुआत 28 दिसंबर को उडुपी के सरकारी पीयू कालेज में छह छात्राओं को हिजाब पहनने पर कक्षाओं में प्रवेश न देने से हुई थी। कॉलेज प्रशासन का कहना था कि छात्राएं कैंपस में हिजाब पहन सकती हैं, लेकिन क्लास में नहीं। यदि उन्हें परेशानी है तो वह ऑनलाइन क्लास का विकल्प ले सकती हैं। इस पर छात्राओ ने कालेज का फैसला मानने से इनकार करते हुए कॉलेज के बाहर प्रदर्शन शुरू कर दिया था।
कॉलेज प्रशासन के फैसले के खिलाफ छात्राएं प्रतिदिन कॉलेज तो जा रही है, लेकिन उन्हें कक्षाओं में नहीं बैठने दिया जा रहा है। इस पर वह प्रतिदिन कॉलेज के बाहर प्रदर्शन कर रही है। गत 31 दिसंबर को कॉलेज प्रशासन ने छात्राओं को चेतावनी देते हुए कहा था कि यदि वह हिजाब पहनने के लिए कॉलेज परिसर में विवाद खड़ा करेंगे तो उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। कॉलेज की अन्य मुस्लिम छात्राएं भी आदेश का पालन कर रही है।
कॉलेज प्रशासन के कार्रवाई की चेतावनी देने के बाद 1 फरवरी को छात्राएं फिर से हिजाब पहनकर पहुंच गई, लेकिन उन्हें प्रवेश देने से रोक दिया गया। इसके बाद छात्रा रेशम फारूक ने कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी। याचिका में कहा गया है कि छात्राओं को हिजाब पहनने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 14 और 25 (1) के तहत दिया गया धार्मिक स्तंत्रता का मौलिक अधिकार है। इसके अलावा हिजाब इस्लाम धर्म की आवश्यक प्रथा है।
इस मामले में कॉलेज प्राचार्य रुद्र गौड़ा का कहना है, "1985 में कॉलेज की स्थापना के बाद से हिजाब पहनने का नियम लागू है। छात्राएं अपनी डेस्क तक हिजाब पहन सकती है, लेकिन कक्षा शुरू होने पर उन्हें हिजाब हटाना होगा। इसके बाद भी इस पर विवाद किया जा रहा है।" उन्होंने कहा, "छह मुस्लिम छात्राएं जानबूझकर हिजाब पहनकर कॉलेज के ड्रेस कोड का उल्लंघन कर रही हैं। इसके पीछे का कारण समझ नहीं आ रहा है।"
इधर, कर्नाटक सरकार ने मामले की समीक्षा करने और इसका हल निकालने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है। समिति की रिपोर्ट आने तक छात्राओं को हिजाब के साथ कक्षाओं में जाने की अनुमति नहीं देने की बात कही गई है।
ताजा विवाद कुंडापुर के भंडारकर कॉलेज से सामने आया है। वहां गुरुवार को कॉलेज प्रशासन ने हिजाब पहनकर आई छात्राओं को प्रवेश नहीं दिया। मामले में प्राचार्य का कहना है कि छात्राओं को शासन के आदेश और कालेज के दिशा-निर्देशों के अनुसार कक्षाओं में ड्रेस कोड में आना होगा। इधर, छात्राओं का तर्क है कि वो लंबे समय से हिजाब में कालेज आ रही हैं और उन्हें अनुमति दी जानी चाहिए, लेकिन प्राचार्य ने प्रवेश देने से इनकार कर दिया।
इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जिसमें कॉलेज प्रशासन को दरवाज बंद करते हुए देखा जा सकता है। इसके अलावा छात्राओं को प्रवेश देने के लिए कॉलेज प्राचार्य के साथ भी बहस करते हुए देखा जा सकता है।
#WATCH | Udupi Hijab row, Karnataka: Students wearing hijab being denied entry at Bhandarkars' College Kundapura pic.twitter.com/JNOqk3LeIx
— ANI (@ANI) February 3, 2022
मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनकर कॉलेज में जाने को लेकर विवाद करने पर अब हिंदू संगठन भी विरोध में उतर आए हैं। बुधवार को भंडारकर्स कॉलेज में भी 100 से अधिक हिंदू छात्र भगवा शॉल पहनकर पहुंच गए थे, लेकिन कॉलेज प्रशासन ने उन्हें भी प्रवेश देने से मना कर दिया। उनका कहना था कि यदि मुस्लिम छात्राएं हिजाब पहनकर आएंगी तो वो भी भगवा शॉल पहनेंगे। उस दौरान छात्रों ने 'जय श्री राम' के नारे भी लगाए थे।
गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने कहा, "हिजाब विवाद के पीछे सांप्रदायिक ताकतों की जांच के लिए पुलिस को निर्देश दिए हैं। हम देश की एकता में बाधक तत्वों को नहीं बख्शेंगे। कक्षाओं में नकाब, बुर्का, हिजाब, केसरी या हरी शॉल की अनुमति नहीं है। शिक्षा मंत्री पहले ही ड्रेस अनिवार्य कर चुके हैं।" उडुपी के जिला प्रभारी मंत्री एस अंगारा ने कहा, "सभी स्कूलों और कॉलेजों के लिए एक नियम होगा। मामले को लेकर जिला आयुक्त से बात करूंगा।"
देश में प्रत्येक नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार मिला है। अनुच्छेद-25 (1) के तहत धार्मिक स्वतंत्रता की बात है। इसके तहत हर नागरिक को अपने धर्म के प्रति आस्था रखने, उसे मानने और प्रचार-प्रसार करने का अधिकार है। हालांकि, सरकार इसे सार्वनिक आदेश, हेल्थ और नैतिकता के आधार पर नियमित कर सकती है। अनुच्छेद-19 (1), अनुच्छेद-21 और अनुच्छेद-25 (1) के तहत धर्म विशेष की ड्रेस पहनने से रोकना मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।