विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत की रैकिंग को सरकार ने खारिज किया, कही ये बातें
केंद्र सरकार ने बताया है कि वह भारत में प्रेस की आजादी को लेकर 'रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स' के निष्कर्ष से सहमत नहीं है। मंगलवार को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने छोटे सैंपल साइज समेत कई कारणों का हवाला देते हुए लोकसभा में कहा कि इसके लिए अपनाई गई कार्यप्रणाली संदिग्ध और अपारदर्शी है और इसमें प्रेस की आजादी की स्पष्ट परिभाषा नहीं है। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी के सवाल के जवाब में उन्होंने यह जानकारी दी।
प्रेस सूचकांक में भारत का 142वां स्थान
बीते साल 'रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स' की तरफ से जारी विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत को 180 देशों में से 142वें पायदान पर रखा गया था। सूचकांक में नॉर्वे पहले, फिनलैंड दूसरे और डेनमार्क तीसरे स्थान पर थे, जबकि एरिट्रिया आखिरी पायदान पर था।
गृह राज्यमंत्री ने दिया यह जवाब
कांग्रेस सांसद के सवाल का लिखित जवाब देते हुए राय ने कहा कि विश्व प्रेस सूचकांक का प्रकाशन एक विदेशी NGO 'रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स' करता है। सरकार इसके नजरिये और देशों की रैंकिंग से सहमत नहीं है। छोटे सैंपल साइज, प्रेस की आजादी की स्पष्ट परिभाषा का अभाव, लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों और बहुत कम महत्व देने और दूसरे कई कारणों के चलते सरकार इसके निष्कर्ष को भी उचित नहीं मानती है।
पत्रकारों पर दर्ज मामलों पर सरकार ने क्या कहा?
कश्मीर और दूसरे इलाकों में पत्रकारों पर दर्ज किए गए मामलों से जुड़े सवाल के जवाब में राय ने कहा कि सरकार संविधान के अनुच्छेद 19 में दिए गए बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि देश में प्रेस की आजादी को सरंक्षित करने के लिए प्रेस काउंसिल एक्ट के तहत प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया का गठन किया गया था और यह मामलों का स्वत: संज्ञान ले सकती है।
प्रेस की आजादी में पड़ोसी देशों की क्या स्थिति?
2016 में भारत विश्व प्रेस सूचकांक में 133वें स्थान पर था। 2019 में यह गिरकर 142वें पर आ गया और 2020 में भी यही पायदान बरकरार रखा। पड़ोसी देशों की बात करें तो नेपाल 106वें, श्रीलंका 127वें, पाकिस्तान 145वें, बांग्लादेश 152वें और चीन 177वें स्थान पर है। वहीं उत्तर कोरिया 179वें स्थान पर है। सूचकांक की रिपोर्ट में बताया गया है कि ब्राजील, मेक्सिको और रूस के साथ भारत पत्रकारिता के लिए सबसे खराब देश है।
UAPA के तहत 796 मामले दर्ज
अपने सवाल में मनीष तिवारी ने गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत गिरफ्तार और सजा पाए लोगों की जानकारी भी मांगी थी। इसके जवाब में गृह मंत्रालय ने बताया कि ताजा आंकड़ों के अनुसार, 2020 में UAPA के तहत 796 मामले दर्ज किए गए है, 1,321 लोगों की गिरफ्तारी हुई है, 116 लोग रिहा हुए हैं और 80 लोगों को दोषी ठहराया गया है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ये आंकड़े इकट्ठा करता है।