कौन हैं पेगासस जासूसी मामले की जांच करने वाली समिति के प्रमुख जस्टिस आरवी रविंद्रन?
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पेगासस जासूसी मामले में अपना फैसला सुनाते हुए विशेषज्ञ समिति का गठन किया है। रिटायर जस्टिस आरवी रविंद्रन इस समिति का नेतृत्व करेंगे। 1968 में वकालत के करियर की शुरुआत करने वाले रविंद्रन को सुप्रीम कोर्ट से रिटायरमेंट के समय तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश (CJI) एसएच कपाड़िया ने 'रियल हीरो' करार दिया था। सुप्रीम कोर्ट में रहते हुए कई अहम फैसले सुनाने वाले रविंद्रन लोढ़ा समिति में भी शामिल रह चुके हैं।
2005 में बने थे सुप्रीम कोर्ट के जज
द प्रिंट के अनुसार, जस्टिस आरवी रविंद्रन ने 1968 में वकालत शुरू की थी और उन्हें 1993 में कर्नाटक हाई कोर्ट का जज बनाया गया था। इसके बाद 2004 में वो मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने। अगले ही साल उन्हें सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति मिल गई और वो छह साल के कार्यकाल के बाद 2011 में रिटायर हुए थे। सुप्रीम कोर्ट में रहते हुए उन्होंने OBC आरक्षण समेत कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर फैसले सुनाए थे।
कई महत्वपूर्ण फैसले सुनाने वाली पीठ में रहे शामिल
साल 2006 में जस्टिस आरवी रविंद्रन उस पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ के सदस्य थे, जिसने IIT और IIM समेत केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण के कानून को बरकरार रखा था। वो उस पीठ का भी हिस्सा थे, जिसने जुलाई, 2004 में राष्ट्रपति द्वारा हरियाणा, गुजरात, उत्तर प्रदेश और गोवा के राज्यपालों को हटाने के मामले में दायर जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई की थी।
राज्यपाल की भूमिका को लेकर आया था अहम फैसला
जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्यपाल को केवल इस आधार पर नहीं हटाया जा सकता कि वह केंद्र सरकार या सत्तारूढ़ पार्टी की विचारधारा से अलग मत रखता है या केंद्र सरकार ने उसमें विश्वास खो दिया है।
पूर्व CJI ने बताया था 'असली हीरो'
साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट से जस्टिस रविंद्रन की विदाई समारोह में तत्कालीन CJI एसएच कपाड़िया ने उन्हें 'असली हीरो' और अपना 'दोस्त, मार्गदर्शक और दार्शनिक' बताया था। पूर्व CJI ने कहा, "दोस्तों अगर आपको एक भारतीय हीरो, असली हीरो चाहिए तो मेरा वोट जस्टिस रविंद्रन को जाएगा। वो इस कोर्ट के सबसे महान जजों में से एक है।" इसी समारोह में पता चला था कि जस्टिस रविंद्रन लॉ स्कूल में पढ़ाई के पहले साल फेल हो गए थे।
रिटायरमेंट के बाद लोढ़ा समिति में रहे
रिटायरमेंट के बाद जस्टिस रविंद्रन BCCI में सुधार के लिए 2014 में बनाई गई लोढ़ा समिति के सदस्य रहे। समिति ने लगभग एक साल दिसंबर, 2015 में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। समिति और इसकी गतिविधियों पर लगभग छह करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उनसे केरल की निवासी हादिया के जबरन धर्म परिवर्तन के मामले में NIA की जांच की देखरेख करने की गुजारिश की, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया।