
भारत शुरू कर सकता है एक व्यक्ति को दो अलग-अलग वैक्सीनों की खुराकें लगाने का ट्रायल
क्या है खबर?
भारत सरकार यह जानने के लिए ट्रायल शुरू करने की योजना बना रही है कि क्या लाभार्थी को अलग-अलग कोरोना वायरस वैक्सीनों की खुराकें देने से प्रभावकारिता बढ़ती है और क्या ऐसा करने से उन खुराकों का असर लंबे समय तक रहेगा?
स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी है।
कुछ दिन पहले देश की कोरोना टास्क फोर्स के प्रमुख डॉ वीके पॉल ने कहा था कि अलग-अलग वैक्सीनों की खुराक लेना चिंता की बात नहीं है।
इंटरचेंजेबल डोज रिजीम
भारत को इस दिशा में सोचना चाहिए- पॉल
द हिंदू के अनुसार, अलग-अलग वैक्सीनों की खुराक देने (इंटरचेंजेबल डोज रिजीम) से जुड़े ट्रायल के बारे में बताते हुए डॉ पॉल ने कहा कि इस मुद्दे पर वैज्ञानिक समझ बढ़ रही है और भारत को भी इस दिशा में सोचना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इससे वैक्सीन की प्रभावकारिता बढ़ने की संभावना है और अगर ऐसा होता है तो यह देश के वैक्सीनेशन अभियान में तेजी लाएगा और लोगों को बेहतर बूस्टर शॉट मिल सकेगा।
वैक्सीनेशन अभियान
ट्रायल की शुरुआत के बारे में जानकारी नहीं- पॉल
डॉ पॉल ने कहा जून से देश में वैक्सीन की खुराकों की उपलब्धता में इजाफा होगा और अधिक से अधिक लोगों को वैक्सीनेशन के लिए आगे आना चाहिए। लोगों को वैक्सीन लगवानी चाहिए और महामारी से बचाव के सभी नियमों का पालन करना चाहिए।
जब उनसे इंटरचेंजेबल डोज रिजीम से जुड़े ट्रायल की शुरुआत के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें इसकी शुरुआत की तारीख का पता नहीं है।
जानकारी
क्यों दी जाती है अलग-अलग वैक्सीनों की खुराकें?
देश में वैक्सीनेशन पर सलाह के लिए बने तकनीकी सलाहकार समूह के प्रमुख एनके अरोड़ा ने कहा कि इंटरचेंजेबल डोज रिजीम में अलग-अलग वैक्सीन की खुराकों को मिलाया नहीं जाता है।
उन्होंने बताया कि लाभार्थी को वैक्सीनेशन का शेड्यूल पूरा करने के लिए अलग-अलग कंपनियों की वैक्सीनों की खुराकें दी जाती हैं। इसका मकसद वैक्सीन की प्रभावकारिता और इससे मिलने वाली सुरक्षा को बढ़ाना होता है। इसे इंटरचेंजेबिलिटी भी कहा जाता है।
कोरोना वैक्सीन
अलग-अलग खुराकों से नहीं होता नुकसान- पॉल
बीते महीने मीडिया से बात करते हुए डॉ वीके पॉल ने कहा था कि लोगों को एक ही वैक्सीन की दोनों खुराकें लेनी चाहिए, लेकिन अगर अलग-अलग वैक्सीन की खुराकें लगती हैं तो भी चिंता की कोई बात नहीं है।
उन्होंने कहा, "इसकी जांच की जरूरत है। हमें अभी और वैज्ञानिक समझ के लिए इंतजार करना होगा, लेकिन अगर अलग-अलग वैक्सीन लगा दी जाती है तो भी चिंता की जरूरत नहीं है।"
वैक्सीनेशन अभियान
भारत में नहीं है अलग-अलग खुराकें लेने की अनुमति
देश में जनवरी से चल रहे वैक्सीनेशन अभियान में कोविशील्ड, कोवैक्सिन और स्पूतनिक-V का इस्तेमाल किया जा रहा है। ये सभी दो-दो खुराकों वाली वैक्सीन्स है।
भारत में अभी तक एक ही वैक्सीन की दोनों खुराक दी जा रही हैं और इंटरचेंजेबल डोज रिजीम की अनुमति नहीं है।
हालांकि, कुछ अध्ययनों में सामने आया है कि अलग-अलग खुराकों से कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ अधिक और लंबे समय तक सुरक्षा मिलती है।
कोरोना वायरस
देश में क्या है वैक्सीनेशन अभियान की स्थिति?
देश में चल रहे दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीनेशन अभियान की बात करें तो अब तक वैक्सीन की 21,60,46,638 खुराकें लगाई जा चुकी हैं। बीते दिन 27,80,058 खुराकें लगाई गईं।
खुराकों की कमी के चलते वैक्सीनेशन अभियान रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है और यह बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है।
वैक्सीन की कमी के चलते आलोचना का सामना कर रही केंद्र सरकार ने बताया है कि जून में वैक्सीनेशन के लिए देशभर में 12 करोड़ खुराकें उपलब्ध होंगी।