अलग-अलग कोरोना वैक्सीन की खुराकों से नहीं होता नुकसान, चिंता का कारण नहीं- सरकार
क्या है खबर?
हाल ही में उत्तर प्रदेश में कुछ लोगों को अलग-अलग वैक्सीनों की खुराक लगाने का मामला सामने आया था।
इस पर सरकार का कहना है कि अगर किसी को अलग-अलग कोरोना वायरस वैक्सीन की खुराक दे दी जाती है तो इसके कोई दुष्परिणाम होने की आशंका बेहद कम है।
सरकार की तरफ से कहा गया है कि अलग-अलग वैक्सीनों की खुराक लगाने से दुष्परिणाम नहीं होता, लेकिन अभी इस दिशा में और जांच की जरूरत है।
जानकारी
क्या था मामला?
उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले में इसी सप्ताह लगभग 20 लोगों को दो अलग-अलग कोरोना वैक्सीनों की खुराकें लगा दीं गईं। इन लोगों को कोवैक्सिन और कोविशील्ड की एक-एक खुराक लगाई गई थी।
चिकित्सा अधिकारियों ने इसे चूक बताते हुए दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही थी।
अधिकारियों ने यह भी बताया कि अलग-अलग खुराकें लेने वाले किसी भी शख्स में कोई भी गंभीर साइट इफेक्ट नहीं हैं।
वैक्सीनेशन
लोगों को एक ही वैक्सीन की खुराकें लेनी चाहिए- पॉल
मीडिया से बात करते हुए नीति आयोग के सदस्य और कोरोना टास्क फोर्स के प्रमुख डॉ वीके पॉल ने कहा कि लोगों को एक ही वैक्सीन की दोनों खुराकें लेनी चाहिए, लेकिन अगर अलग-अलग वैक्सीन की खुराकें लगती है तो भी चिंता की कोई बात नहीं है।
उन्होंने कहा, "इसकी जांच की जरूरत है। हमें अभी और वैज्ञानिक समझ के लिए इंतजार करना होगा, लेकिन अगर अलग-अलग वैक्सीन लगा दी जाती है तो भी चिंता की जरूरत नहीं है।"
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नुकसान होने की आशंका कम- पॉल
डॉ पॉल ने कहा कि अलग-अलग वैक्सीन लेने से कोई नुकसान होने की संभावना बहुत कम है, लेकिन अभी इस दिशा में काफी काम किया जाना बाकी है। सरकार के अलावा कई विशेषज्ञ भी कह चुके हैं कि अलग-अलग वैक्सीन लेना नुकसानदायक नहीं होता।
वैक्सीनेशन
क्या अलग-अलग वैक्सीन लेना सुरक्षित है?
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने एक अध्ययन किया था, जिसमें सामने आया कि अलग-अलग वैक्सीन एक साथ मिलाने से साइड इफेक्ट्स बढ़ जाते हैं।
प्रतिष्ठित मेडिकल पत्रिका 'द लैंसेट' में प्रकाशित इस अध्ययन में 830 लोगों को चार समूहों में एस्ट्राजेनेका और फाइजर की वैक्सीनों की खुराकें लगाई गईं।
नतीजों में सामने आया कि वैक्सीनों को मिलाने पर ज्यादा लोगों में साइड इफेक्ट्स देखे गए। हालांकि, ये साइड इफेक्ट्स हल्के रहे और किसी को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत नहीं पड़ी।
वैक्सीनेशन
आने वाले हफ्तों में पता चलेगा, इम्युनिटी बढ़ती है या नहीं- विशेषज्ञ
इस अध्ययन का नेतृत्व करने वाले ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैक्सीनोलॉजी प्रोफेसर डॉ मैथ्यू स्नैप ने नतीजों पर कहा, "वैक्सीनों से ऐसे साइड इफेक्ट्स होते ही हैं। ये लगभग वैसे ही साइड इफेक्ट्स हैं जो आम तौर पर देखे जा रहे हैं। बस वे ज्यादा लोगों में हो रहे हैं, लेकिन जल्दी खत्म भी हो जा रहे है।"
उन्होंने कहा कि वैक्सीन मिलाने से इम्युनिटी बढ़ेगी या नहीं, इसके बारे में आने वाले कुछ हफ्तों में पता चलेगा।
कोरोना वैक्सीनेशन
कई देशों में हो रहा इस दिशा में काम
दुनियाभर में वैज्ञानिक और स्वास्थ्य अधिकारी यह जानने की कोशिश कर रहे है कि क्या अलग-अलग वैक्सीन मिलाने से इम्यूनिटी पर किसी तरह का असर पड़ता है या नहीं।
पिछले महीने चीन ने कहा था कि वह कम प्रभावकारिता को दूर करने के लिए दो वैक्सीनों को मिलाने की सोच रहा है।
यहां यह बता देना जरूरी है कि अभी भी विशेषज्ञ एक ही वैक्सीन की दोनों खुराक लेने की बात कह रहे हैं।
कोरोना वायरस
भारत में क्या है वैक्सीनेशन अभियान की स्थिति?
दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक देश होने के बावजूद भारत कई हफ्तों से वैक्सीन की कमी से जूझ रहा है। इसके चलते कई राज्यों में 18-44 साल वाले लोगों का वैक्सीनेशन थमा हुआ है। भारत में अब तक वैक्सीन की 20,26,95,874 खुराकें ही लगाई गई हैं।
अब वैक्सीन की कमी को दूर करने के लिए भारत सरकार घरेलू कंपनियों की क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ विदेशी कंपनियों से भी आपूर्ति के लिए संपर्क कर रही है।