एक राज्य तक सीमित है आंदोलन, किसानों को बरगलाया जा रहा- कृषि मंत्री तोमर
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आज संसद को बताया कि कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन केवल एक राज्य तक सीमित हैं और किसानों को 'बरगलाया' जा रहा है। राज्यसभा में बोलते हुए तोमर ने कहा कि किसान संगठन और विपक्षी दल तीनों नए कृषि कानूनों में एक भी खामी नहीं निकाल सके हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार और प्रधानमंत्री मोदी किसानों के हित के लिए प्रतिबद्ध हैं।
कोई किसान कानूनों में खामियां नहीं बता सका- तोमर
बजट सत्र के छठे दिन राज्यसभा में बोलते हुए तोमर ने विपक्षी दलों से कृषि कानूनों की उन खामियों को पूछा, जिनसे किसानों को नुकसान हो सकता है। उन्होंने कहा, "मैंने किसान संगठनों से दो महीने यह पूछते हुए बीता दिए कि इन कानूनों में क्या कमियां हैं और मुझे कोई जवाब नहीं मिला। मुझे आजतक कोई ये नहीं बता पाया है कि ये कानून किसानों का नुकसान कैसे करेंगे।"
किसी ने नहीं बताया कि इन कानूनों में काला क्या- तोमर
कृषि कानूनों पर राज्यसभा में बहस के दौरान तोमर ने यह भी कहा कि अगर केंद्र सरकार कानूनों में बदलाव कर रही है तो इसका मतलब यह नहीं है कि मौजूदा कानूनों में किसी प्रकार की कमी है। तोमर ने कहा कि विपक्ष कृषि कानूनों के मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए तीनों कानूनों को काले कानून बता रहा है, लेकिन कोई यह नहीं बता रहा कि इन कानूनों में काला क्या है।
किसानों को बरगलाया जा रहा- तोमर
तोमर ने कहा कि सरकार ने किसानों के साथ ससम्मान बातचीत की और उनको कई प्रस्ताव दिए, लेकिन किसान आंदोलन पर लगे हुए हैं। एक राज्य के लोग गलतफहमी का शिकार है। किसानों को इस बात के लिए बरगलाया गया है कि इन कानूनों से उनकी जमीन चली जाएगी। उन्होंने कहा कि उन्होंने सबकी बात सुनी, लेकिन कानून के प्रावधान किसान के प्रतिकूल कैसे हैं, यह बताने की कोशिश किसी ने नहीं की।"
तोमर ने कांग्रेस पर साधा निशाना
तोमर ने कहा कि केंद्र का कानून टैक्स खत्म करता है, जबकि राज्य सरकार टैक्स लगाता है। टैक्स लगाने वाले के खिलाफ आंदोलन होना चाहिए, लेकिन टैक्स हटाने वाले के खिलाफ आंदोलन हो रहा है। इस मौके पर कृषि तोमर ने कांग्रेस पर भी जमकर निशाना साधा। उन्होने कहा कि खून से खेती सिर्फ कांग्रेस कर सकती है। भाजपा खून से खेती नहीं कर सकती। उनकी इस टिप्पणी पर कांग्रेस के सांसदों ने जमकर हंगामा किया।
कृषि कानूनों के खिलाफ क्यों हो रहे प्रदर्शन?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।
किसान आंदोलन की फिलहाल क्या स्थिति?
सुप्रीम कोर्ट इन तीनों कानूनों के अमल पर अस्थायी रोक लगा चुका है। दूसरी तरफ सरकार और किसानों के बीच कई दौर की बातचीत के बाद गतिरोध का हल नहीं निकल सका है। सरकार संशोधन को तैयार है, लेकिन किसान कानून रद्द कराने की मांग पर अड़े हैं। किसानों ने अपनी मांगों को लेकर ट्रैक्टर परेड निकाली थी, जिसमें जमकर हिंसा हुई। अब किसानों ने 6 फरवरी को तीन घंटे तक देशभर में चक्का जाम का आह्वान किया है।