#NewsBytesExplainer: उत्तराखंड के बाद अन्य किन राज्यों में लाया जा सकता है UCC?
क्या है खबर?
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) से संबंधित विधेयक लाया गया है।
इसी के साथ गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और असम जैसे राज्य भी इसे लागू करने के लिए उत्सुक हैं।
इस तरह भाजपा ने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों के घोषणापत्र में UCC लागू करने का जो वादा किया था, वह पूरा होता नजर आ रहा है।
आइए जानते हैं कि उत्तराखंड के बाद कौन से राज्य UCC ला सकते हैं।
उत्तराखंड
क्यों लगाया जा रहा अन्य राज्यों के भी UCC लाने का कयास?
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि अन्य राज्य UCC मसौदे को लेकर उनसे संपर्क कर चुके हैं।
उन्होंने राज्यों के नाम तो नहीं बताए, लेकिन ऐसा लगता है कि गुजरात सरकार ने UCC मसौदे में अपनी रुचि व्यक्त की है।
धामी ने संकेत दिया कि उत्तराखंड के UCC का अध्ययन राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में किया जाएगा क्योंकि उत्तराखंड इसे लागू करने वाला पहला राज्य बनने जा रहा है।
गुजरात
गुजरात का UCC को लेकर क्या रुख है?
गुजरात भी UCC को लागू करने की तैयारी कर रहा है।
गृह मंत्री हर्ष सांघवी ने अक्टूबर, 2022 में कहा था कि UCC लागू करने के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा।
उन्होंने कहा था कि सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून लागू करने का उल्लेख भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 के भाग 4 में भी किया गया है।
राज्य मंत्री परषोत्तम रूपाला ने दावा किया था कि प्रस्तावित UCC किसी भी मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं करेगा।
असम
असम में कब UCC कानून लाया जा सकता है?
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने जनवरी में कहा था कि असम उत्तराखंड और गुजरात के बाद UCC लागू करने वाला तीसरा राज्य होगा।
उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि असम का UCC आदिवासी समुदायों पर लागू नहीं होगा और इसमें बाल विवाह और बहुविवाह के खिलाफ कानून होंगे।
उन्होंने बहुविवाह को समाप्त करने की आवश्यकता पर जोर दिया। इसके लिए असम सरकार इस महीने विधानसभा के बजट सत्र में एक विधेयक लाने की योजना बना रही है।
उत्तर प्रदेश, हरियाणा
उत्तर प्रदेश और हरियाणा में भी UCC की संभावना
भाजपा शासित राज्य उत्तर प्रदेश में भी UCC से संबंधित विधेयक लाया जा सकता है। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने संकेत दिया कि उत्तर प्रदेश UCC से असहमत नहीं है, इसे सही समय पर लागू करेगा।
दूसरी तरफ हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने 2022 में कहा था कि राज्य में UCC को लेकर अध्ययन किया जा रहा है।
उन्होंने कहा था कि सरकार के लिए प्रत्येक नागरिक समान है और कुछ जगहों पर UCC पर विचार किया जाएगा।
महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश
महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश भी हो रहा विचार
महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना की सरकार भी UCC के समर्थन में है। पिछले साल शिवसेना सांसद राहुल शेवाले ने अपने एक बयान में इसे बाल ठाकरे का सपना बताया था। हाल ही में मांग उठी थी कि बजट सत्र में UCC पर एक विधेयक पारित किया जाए।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इसी महीने एक टीवी इंटरव्यू में कहा था कि उनकी सरकार UCC लागू करेगी। उन्होंने जोर दिया कि केंद्र जो कहेगा, वह उसका पालन करेंगे।
विरोध
दक्षिणी राज्यों का UCC को लेकर क्या रुख है?
दक्षिणी राज्य UCC का विरोध कर रहे हैं।
केरल विधानसभा ने पिछले अगस्त में UCC के खिलाफ सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया था और इसे केंद्र का 'एकतरफा और जल्दबाजी' में उठाया गया कदम बताया था।
मुख्यमंत्री पिनरई विजयन द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव में केंद्र सरकार के कदम पर चिंता और निराशा व्यक्त की गई।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया भी UCC के पक्ष में नहीं हैं।
उत्तराखंड UCC
न्यूजबाइट्स प्लस
उत्तराखंड सरकार के UCC विधेयक में बेटा और बेटी दोनों को संपत्ति में समान अधिकार दिए गए हैं। नाजायज संतान को भी संपत्ति में समान अधिकार दिया गया है।
इसमें बहुविवाह पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया गया है और हलाला और इद्दत जैसी इस्लामी प्रथाओं पर प्रतिबंध लगाने का प्रावधान भी है।
विधेयक में लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण भी अनिवार्य किया गया है और ऐसा न करने पर जेल का प्रावधान है।
तलाक की प्रक्रिया सभी धर्मों में समान रहेगी।