उत्तराखंड विधानसभा में UCC विधेयक पेश, जानें क्या-क्या प्रावधान
क्या है खबर?
उत्तराखंड विधानसभा में मंगलवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समान नागरिक संहिता (UCC) से संबंधित विधेयक पेश किया। इस दौरान विधानसभा में सत्तारूढ़ विधायकों ने 'वंदे मातरम' और 'जय श्री राम' के नारे लगाए।
दूसरी ओर विपक्षी पार्टी कांग्रेस के विधायकों ने सरकार पर सदन की संवैधानिक प्रक्रिया का उल्लंघन करने का आरोप लगाया और विधानसभा से बाहर इस मुद्दे पर प्रदर्शन किया।
बता दें कि UCC विधेयक को लेकर धामी सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है।
रिपोर्ट
विपक्ष ने क्या कहा?
विपक्ष का कहना है कि विधानसभा सत्र के दौरान विधायकों को प्रश्नकाल में नियम 58 के तहत अपने प्रदेश के ज्वलंत मुद्दे और क्षेत्रीय समस्याएं उठाने का अधिकार है।
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि हमारा मानना है कि सदन संवैधानिक प्रक्रिया और नियमावली के अनुसार चलता है, लेकिन भाजपा सरकार संख्याबल पर लगातार इसकी उपेक्षा कर रही है।
उन्होंने कहा कि UCC विधेयक का विरोध नहीं है, लेकिन इस पर सदन में चर्चा होनी चाहिए।
जानकारी
दोपहर 2:00 बजे तक सदन की कार्यवाही स्थगित
UCC विधेयक का अध्ययन करने के लिए दोपहर 2:00 बजे तक सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। विपक्ष लगातार प्रश्नकाल और कार्यस्थगन की कार्यवाही की मांग कर रहा है। सोमवार को नेता प्रतिपक्ष समेत एक विधायक कार्यमंत्रणा समिति से इस्तीफा दे चुके हैं।
प्रावधान
विधेयक में क्या हैं प्रावधान?
उत्तराखंड की सरकार ने UCC विधेयक में बेटे और बेटी दोनों के लिए संपत्ति में समान अधिकार सुनिश्चित करने का प्रावधान किया है।
इसके अलावा संपत्ति के अधिकार के संबंध में वैध और नाजायज बच्चों के बीच के अंतर को भी समाप्त किया गया है, चाहे वो किसी भी धर्म के क्यों न हों।
विधेयक में गोद लिए गए, सरोगेसी या अन्य प्रजनन तकनीक के माध्यम से पैदा हुए बच्चों को अन्य जैविक बच्चों के समान माना गया है।
प्रावधान
विधेयक में लड़कियों को संपत्ति और विवाह संबंधी अधिकार
UCC विधेयक में किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति में माता-पिता के अलावा उसकी पत्नी और बच्चों को समान अधिकार का प्रावधान किया गया है।
इसके अलावा संपत्ति बटवारे में लड़की का समान हक सभी धर्मों में लागू होगा।
इसके अलावा अन्य धर्म या जाति में विवाह करने पर भी लड़की के अधिकारों का हनन नहीं होगा और सभी धर्मों में विवाह की आयु लड़की के लिए 18 वर्ष अनिवार्य होगी ।
लिव-इन रिलेशनशिप
लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण अनिवार्य
विधेयक के अनुसार, अब प्रेमी जोड़ों को लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण अनिवार्य रूप से करना होगा।
21 साल से कम आयु वाले जोड़ों को पंजीकरण के लिए माता-पिता या अभिभावकों की अनुमति लेनी होगी।
पंजीकरण में गलत जानकारी देने पर 3 महीने जेल और 25,000 रुपये का जुर्माना देना होगा या दोनों हो सकते हैं।
इसके अलावा लिव-इन जोड़ों के पंजीकरण न कराने पर अधिकतम 6 महीने की जेल और 25,000 का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
तलाक
तलाक के लिए सभी के लिए समान प्रक्रिया, बहुविवाह समाप्त
UCC विधेयक में बहुविवाह को समाप्त किया गया है, यानि एक व्यक्ति एक समय पर एक ही शादी कर सकेगा।
इसमें सभी धर्मों की लड़कियों के लिए समान वैवाहिक उम्र और तलाक के लिए एक समान प्रक्रिया रखी गई है।
बाल विवाह की प्रथा भी समाप्त की गई है। इसके अलावा मुस्लिम महिलाओं के लिए हलाला और इद्दत जैसी इस्लामी प्रथाओं पर प्रतिबंध लगेगा।
अभी तलाक के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में अलग-अलग कानून हैं।
बैठक
उच्च स्तरीय समिति ने तैयार किया है UCC का मसौदा
सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में बनी समिति ने UCC विधेयक का मसौदा तैयार किया है। शुक्रवार को समिति ने 740 पन्नों का UCC विधेयक का आखिरी मसौदा मुख्यमंत्री धामी को सौंपा था।
दरअसल, मुख्यमंत्री धामी ने 2022 के विधानसभा चुनावों में UCC लागू करने का वादा किया था और 2022 में समिति का गठन किया गया। इस मसौदे को तैयार करने के लिए समिति ने प्रदेश भर में करीब 72 बैठकें की हैं।
प्लस
न्यूजबाइट्स प्लस
UCC का मतलब है, देश के सभी वर्गों पर एक समान कानून लागू होना। अभी देश में विवाह, तलाक और उत्तराधिकार जैसे मुद्दों पर सभी धर्मों के अपने अलग-अलग निजी कानून हैं और वह उन्हीं के मुताबिक चलते हैं।
UCC लागू होने पर सभी धर्मों के लोगों को इन मुद्दों पर भी एक जैसे कानून का पालन करना होगा। यह महज एक अवधारणा है और विस्तार में इसका रूप कैसा होगा, इस पर कुछ तय नहीं है।