उत्तरकाशी सुरंग हादसा: वर्टिकल ड्रिलिंग हुई शुरू, मजदूरों को निकालने में भारतीय सेना भी करेगी मदद
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बचाने के अभियान की गति धीमी पड़ गई है। सुरंग में अमेरिकी ऑगर मशीन के 45 मीटर लंबे ब्लेड ड्रिलिंग के दौरान पाइप में फंसकर टूट गए हैं। रविवार को मशीन के हिस्सों को प्लाज्मा कटर की मदद से काटकर बाहर निकाला जा रहा है। इस बीच बचाव टीम ने सुरंग में वर्टिकल ड्रिलिंग की योजना पर काम करना शुरू कर दिया है, जिसमें कई दिन लग सकते हैं।
हैदराबाद से साइट पर पहुंचा प्लाजा कटर
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सुरंग में बिछाई पाइप के हिस्से में फंसे ऑगर मशीन के ब्लेड को काटने लिए रविवार सुबह 5:00 बजे हैदराबाद से प्लाज्मा कटर साइट पर पहुंचा है। सूत्रों का कहना है कि मशीन के 20 मीटर ब्लेड के हिस्से को पहले ही गैस कटर से काटकर निकाला जा चुका है, जबकि 25 मीटर हिस्से को प्लाजा कटर से काटा जा रहा है और इसमें 1-1.5 दिन का समय लग सकता है।
बड़कोट की ओर से वर्टिकल ड्रिलिंग का काम शुरू
24 घंटे के बाद रविवार सुबह बचाव टीमों ने बड़कोट की ओर से सुरंग के ऊपर हिस्से पर वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू कर दी है। यहां चट्टान और संरचना की मोटाई की जांच के बाद ड्रिलिंग शुरू की गई है। बचाव अभियान में जुटे विशेषज्ञों का कहना है कि सुंरग में करीब 90 मीटर तक वर्टिकल खुदाई की योजना है। हालांकि, सुरंग में ऊपर से ड्रिलिंग करने में 6 से 7 दिन का समय लग सकता है।
देहरादून से वायुसेना ने पहुंचाए बचाव उपकरण
भारतीय वायुसेना ने कहा कि उसने उत्तरकाशी में चल रहे बचाव अभियान को गति देने के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा बनाए उपकरण देहरादून से साइट पर भेजे हैं। वायुसेना ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर यह जानकारी साझा की है। इस बीच शनिवार को टेलीकॉम कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) ने फंसे हुए मजदूरों को उनके परिवारों से बात करने के लिए साइट एक छोटा टेलीफोन एक्सचेंज स्थापित कर दिया है।
अधिकारी बोले- 2 विकल्पों पर चल रहा बचाव अभियान
विशेषज्ञों का कहना है कि मजदूरों तक पहुंचने के लिए केवल 10-12 मीटर की ड्रिलिंग की आवश्यकता है और सभी अवरोधों को हटाए जाने के बाद मैनुअल ड्रिलिंग का सहारा भी लिया जा सकता है। अधिकारियों का कहना है कि बचाव टीम ने अभी 2 विकल्पों पर ध्यान केंद्रित किया है। इसमें पहला ये है कि सुरंग से मलबे को हटाकर मैनुअल ड्रिलिंग की जाए, जबकि दूसरा विकल्प है कि सुरंग के ऊपर से 85-90 मीटर वर्टिकल ड्रिलिंग की जाए।
भारतीय सेना करेगी मैनुअल ड्रिलिंग
पिछले 15 दिनों से सुरंग में फंसे हैं मजदूर
12 नवंबर की सुबह लगभग 5:00 बजे भूस्खलन के चलते यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित निर्माणाधीन सिलक्यारा-डंडालगांव सुरंग का एक हिस्सा अचानक ढह गया था, जिसके कारण 8 राज्यों के 41 मजदूर सुरंग में अंदर फंस गए। इन सभी मजदूरों को बचाने के लिए के लिए अलग-अलग राहत और बचाव कार्य में लगी हुई हैं और सुरंग में सभी सुरक्षित हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से लगातार बचाव अभियान की जानकारी ले रहे हैं।