उत्तरकाशी सुरंग हादसा: ड्रिलिंग के दौरान टूटी ऑगर मशीन, लंबा खिंच सकता है बचाव अभियान
उत्तरकाशी के सिल्क्यारा सुरंग में 41 मजदूर 14 दिन से फंसे हुए हैं। मजदूरों को निकालने के लिए जारी बचाव अभियान को तब बड़ा झटका लगा, जब ऑगर ड्रिलिंग मशीन अंतिम चरण में फंसकर टूट गई। अब बचाव अभियान में और देरी होने की संभावना जताई जा रही है। अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ ने कहा है कि मजदूरों को निकालने के लिए सभी विकल्प देखें जा रहे हैं और हो सकता है वे सभी क्रिसमस तक अपने घर लौटें।
कैसे टूटी ऑगर मशीन की ब्लेड?
पिछले कई दिनों से भारी-भरकम ऑगर मशीन ड्रिलिंग कर रही है, जिससे वो क्षतिग्रस्त हो चुकी है। ड्रिलिंग के दौरान कभी लोहे के सरिया तो कभी रोड के आने से ड्रिलिंग में रुकावटें आ रही थीं। कई बार मशीन को ठीक करके ड्रिलिंग शुरू की गई थी। केवल 10-12 मीटर की ड्रिलिंग बाकी थी, लेकिन इस बार लोहे के कई सरिया में फंसकर ब्लेड पाइप में टूट गई है। अब मशीन को बाहर निकाला जा रहा है।
मशीन के ब्लेड काटने के लिए मंगाया गया है प्लाज्मा कटर
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मीडिया से बातचीत में कहा, "सुरंग से मजदूरों को निकालने के लिए सभी विकल्पों पर विचार किया जा रहा है।" उन्होंने बताया कि पाइप में फंसे मशीन के ब्लेड को अब काटने के लिए हैदराबाद से प्लाज्मा कटर मंगाया गया है, जो एक घंटे में 4 मीटर टुकड़े को काटेगा। अब दूसरी ऑगर मशीन के जरिए ड्रिलिंग का काम नहीं किया जाएगा। रविवार से मैन्युअल ड्रिलिंग शुरू की जाएगी।
मैन्युअल ड्रिलिंग में कितना समय लगेगा?
बचाव दल के अधिकारियों के मुताबिक, फंसे हुए श्रमिकों को बचाने का अंतिम उपाय मैन्युअल ड्रिलिंग है क्योंकि कुल सुरंग का केवल 10 प्रतिशत हिस्सा ही बचा है। हालांकि, इस विधि में मशीन ड्रिलिंग की तुलना में 18-24 घंटे अतिरिक्त समय लग सकता है।
अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ ने बताया कब बाहर आएंगे मजदूर?
सिल्कयारा सुरंग बचाव अभियान पर अंतरराष्ट्रीय टनलिंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स ने कहा, "हम कई विकल्पों पर विचार कर रहे हैं, लेकिन प्रत्येक विकल्प के साथ, हम इस बात पर विचार कर रहे हैं कि हम यह कैसे सुनिश्चित करें कि 41 आदमी सुरक्षित बाहर आयें। उन्होंने कहा, "ड्रिलिंग मशीन फिर से खराब हुई है, इसलिए हम अपने दृष्टिकोण पर पुनर्विचार कर रहे हैं। मुझे विश्वास है कि 41 लोग क्रिसमस तक अपने घर लौटेंगे।"
चिंता से बिगड़ने लगी है कुछ मजदूरों की तबियत
बचाव अभियान में देरी से अंदर फंसे मजदूरों की चिंताएं बढ़ने लगी हैं, जिसका असर अब उनके स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। कुछ मजदूरों ने सिरदर्द और सीने में दर्द की शिकायत की है। आज उत्तर प्रदेश से आए राज्य समन्वयक अरुण कुमार मिश्रा ने सुरंग के अंदर फंसे राज्य के 8 मजदूरों से बात की। इस दौरान उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जनपद के संतोष ने उन्हें जल्द निकालने के लिए कहा।
12 नवंबर से सुरंग में फंसे हैं मजदूर
12 नवंबर की सुबह लगभग 5:00 बजे भूस्खलन के चलते यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित सिलक्यारा-डंडालगांव सुरंग का एक हिस्सा अचानक ढह गया था, जिसके कारण 8 राज्यों के 41 मजदूर सुरंग में अंदर फंस गए। मजदूरों को बचाने के लिए सुरंग में 5 तरफ से ड्रिलिंग की जा रही है, जिसमें अलग-अलग एजेंसियां जुटी हुई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मुख्यमंत्री धामी से लगातार अभियान की जानकारी ले रहे हैं।