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    सुप्रीम कोर्ट ने यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा
    सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से यूनिफॉर्म सिविल कोड पर रुख स्पष्ट करने को कहा है

    सुप्रीम कोर्ट ने यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा

    लेखन मुकुल तोमर
    Sep 06, 2022
    11:47 am

    क्या है खबर?

    सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू करने की व्यवहार्यता पर तीन हफ्ते के अंदर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है।

    मुख्य न्यायाधीश (CJI) यूयू ललित और जस्टिस एस रविंद्र भट की बेंच ने शादी, तलाक और उत्तराधिकार आदि के कानूनों में एकरूपता लाने की मांग करने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सरकार को ये निर्देश दिया है।

    बेंच ने कहा कि ये UCC के ही विभिन्न पहलू हैं।

    याचिका

    याचिकाओं में क्या मांगें की गई हैं?

    शादी, तलाक और उत्तराधिकार आदि पर ये याचिकाएं भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय और लुबना कुरैशी ने दायर की हैं।

    उपाध्याय ने तलाक लेने के कारणों में एकरूपता लाने की मांग की है। उनके अनुसार, हिंदुओं, ईसाइयों और पारसियों में व्यभिचार (विवाहेत्तर संबंध) तलाक लेने का आधार हो सकता है, लेकिन मुस्लिमों में ऐसा नहीं है।

    इसके अलावा उन्होंने कहा कि हिंदुओं में गोद लिए बच्चे का भी संपत्ति पर अधिकार होता है, लेकिन बाकी धर्मों में ऐसा नहीं है।

    जानकारी

    सभी धर्मों की महिलाओं के साथ एक समान व्यवहार की भी मांग

    उपाध्याय ने अपनी याचिका में यह भी कहा है कि सभी धर्मों की महिलाओं के साथ एक समान व्यवहार होना चाहिए और ऐसी धार्मिक प्रथाएं जो उन्हें उनके मौलिक अधिकारों से वंचित करती हैं, उनकी रक्षा नहीं की जानी चाहिेए।

    विरोध

    ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने किया याचिकाओं का विरोध

    सुनवाई के दौरान ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इन याचिकाओं का विरोध किया और हलफनामा दाखिल करते हुए कहा कि UCC को पिछले दरवाजे से लाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

    बोर्ड ने कहा कि उपाध्याय ने 2015 में भी ऐसी ही याचिका दायर की थी, लेकिन फिर उसे वापस ले लिया। उसने कहा कि उपाध्याय ने मुस्लिम कानूनों के तहत होने वाली निकाह हलाला समेत अन्य तरह की शादियों को भी चुनौती दे रखी है।

    परिभाषा

    क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड?

    यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब है- देश के सभी वर्गों पर एक समान कानून लागू होना। अभी देश में विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और गोद जैसे मुद्दों पर सभी धर्मों के अपने अलग-अलग निजी कानून हैं और वे उन्हीं के मुताबिक चलते हैं।

    UCC लागू होने पर सभी धर्मों के लोगों को इन मुद्दों पर भी एक जैसे कानून का पालन करना होगा।

    ये महज एक अवधारणा है और विस्तार में इसका रूप कैसा होगा, इस पर कुछ तय नहीं है।

    संविधान

    संविधान का UCC पर क्या कहना है?

    भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 में UCC का जिक्र किया गया है। इसमें सरकार को सभी नागरिकों के लिए एक यूनिफॉर्म सिविल कोड बनाने का निर्देश दिया गया है।

    अभी देश में हिंदू, सिख, बौर्ध और जैन जैसे भारतीय धर्मों के लिए तो हिंदू कोड बिल हैं जो शादी, तलाक और उत्तराधिकार जैसे क्षेत्रों में लागू होते हैं, लेकिन अन्य धर्मों के अलग-अलग कानून हैं।

    मुस्लिमों पर मुस्लिम पर्सनल लॉ लागू होता है जिसमें 1937 से खास सुधार नहीं हुआ।

    रुख

    UCC पर कोर्ट और केंद्र सरकार का क्या रुख है?

    देश की विभिन्न कोर्ट कई मौकों पर सरकार को UCC लागू करने की दिशा में कदम उठाने का निर्देश दे चुकी हैं, लेकिन सरकार इस दिशा में आगे बढ़ने से हिचकती रही हैं।

    UCC लागू करना मौजूदा भाजपा सरकार का एक बड़ा वैचारिक वादा है।

    विशेषज्ञों का कहना है कि इसे लागू करने से पहले इस पर पर्याप्त बहस की जानी चाहिए और अगर UCC का इस्तेमाल केवल सांप्रदायिक राजनीति के संदर्भ में किया जाता है तो ये नुकसानदायक होगा।

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