यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करेगी उत्तराखंड सरकार; आखिर ये है क्या?
उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू करने का फैसला लिया है। राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ये जानकारी देते हुए कहा कि राज्य कैबिनेट ने UCC पर जल्द से जल्द विशेषज्ञों की समिति बनाने की मंजूरी दे दी है और इसे जल्द ही लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड UCC लागू करने वाला देश का पहला राज्य होगा। इसे लागू करना भाजपा का एक बड़ा चुनावी वादा था।
मुख्यमंत्री घोषित होने के बाद धामी ने कही थी UCC लागू करने की बात
बता दें कि भाजपा नेतृत्व के उन्हें उत्तराखंड का मुख्यमंत्री घोषित करने के ठीक बाद भी धामी ने राज्य में जल्द से जल्द UCC लागू करने की बात कही थी। उन्होंने कहा था, "सबसे पहले मैं मुझ पर भरोसा जताने और पांच साल के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के तौर पर काम करने का मौका देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं। हम यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने समेत अपने सभी वादे पूरे करेंगे।"
क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड?
यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब है- देश के सभी वर्गों पर एक समान कानून लागू होना। अभी देश में विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और गोद जैसे मुद्दों पर सभी धर्मों के अपने अलग-अलग निजी कानून हैं और वे उन्हीं के मुताबिक चलते हैं। UCC लागू होने पर सभी धर्मों के लोगों को इन मुद्दों पर भी एक जैसे कानून का पालन करना होगा। ये महज एक अवधारणा है और विस्तार में इसका रूप कैसा होगा, इस पर कुछ तय नहीं है।
संविधान का UCC पर क्या कहना है?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 में UCC का जिक्र किया गया है। इसमें सरकार को सभी नागरिकों के लिए एक यूनिफॉर्म सिविल कोड बनाने का निर्देश दिया गया है। अभी देश में हिंदू, सिख, बौर्ध और जैन जैसे भारतीय धर्मों के लिए तो हिंदू कोड बिल हैं जो शादी, तलाक और उत्तराधिकार जैसे क्षेत्रों में लागू होते हैं, लेकिन अन्य धर्मों के अलग-अलग कानून हैं। मुस्लिमों पर मुस्लिम पर्सनल लॉ लागू होता है जिसमें 1937 से खास सुधार नहीं हुआ।
UCC पर कोर्ट और केंद्र सरकार का क्या रुख है?
देश की विभिन्न कोर्ट कई मौके पर सरकार को UCC लागू करने की दिशा में कदम उठाने का निर्देश दे चुकी हैं, लेकिन सरकार इस दिशा में आगे बढ़ने से हिचकती रही हैं। UCC लागू करना मौजूदा भाजपा सरकार का एक बड़ा वैचारिक वादा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसे लागू करने से पहले इस पर पर्याप्त बहस की जानी चाहिए और अगर UCC का इस्तेमाल केवल सांप्रदायिक राजनीति के संदर्भ में किया जाता है तो ये नुकसादायक होगा।