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हिजाब विवाद: कर्नाटक हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई में अब तक क्या-क्या हुआ?
कर्नाटक हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई में अब तक क्या-क्या हुआ?

हिजाब विवाद: कर्नाटक हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई में अब तक क्या-क्या हुआ?

Feb 17, 2022
08:59 pm

क्या है खबर?

कर्नाटक में चल रहे हिजाब विवाद को लेकर हाई कोर्ट की तीन जजों वाली बड़ी बेंच में लगातार सुनवाई चल रही है। गुरुवार को मामले में करीब एक घंटे तक सुनवाई हुई, लेकिन दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद भी इस पर कोई निर्णय नहीं निकल सका। ऐसे में हाई कोर्ट ने सुनवाई को शुक्रवार दोपहर 02:30 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया है। आइए जानते हैं हिजाब विवाद मामले में अब तक हुई सुनवाई में क्या-क्या हुआ।

शुरुआत

कर्नाटक हाई कोर्ट ने बड़ी बेंच को रेफर किया था मामला

मामले में कर्नाटक हाई कोर्ट में पहली सुनवाई 8 फरवरी को हुई थी। उस दिन कोर्ट ने सभी पक्षों को शांति बनाए रखने की अपील करते हुए कहा था कि वह भावनाओं के आधार पर नहीं, बल्कि कानून के अनुसार फैसला लेगी। इसके बाद सुनवाई 9 फरवरी तक स्थगित कर दी थी। अगले दिन हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मामले को तीन जजों वाली बड़ी बेंच को रेफर कर दिया था।

आदेश

हाई कोर्ट ने कही थी धार्मिक ड्रेस की जिद न करने की बात

मामले में 10 फरवरी को मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी, जस्टिस कृष्णा दीक्षित और जेएम खाजी की पीठ में सुनवाई हुई। उस दौरान सरकार और याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने कहा था कि वह हिजाब को लेकर मूल अधिकार पर विचार कर रहा है। ऐसे में मामले में फैसला आने तक छात्र धार्मिक ड्रेस पहनने की जिद नहीं कर सकते। इसी तरह कोर्ट ने सरकार से स्कूल और कॉलेजों को फिर से खोलने का आग्रह किया था।

दलील

याचिकाकर्ताओं ने दी अनुच्छेद 25 के उल्लंघन की दलील

मामले में 14 फरवरी को हुई सुनवाई में मामले को लेकर और भी याचिकाएं दर्ज की गई। उस दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील देवदत्त कामत ने कहा कि सरकार का आदेश संविधान के अनुच्छेद-25 (धार्मिक स्वतंत्रता) का उल्लंघन है। इस पर कोर्ट ने कहा कि क्या धार्मिक स्वतंत्रता के तहत अधिकार पूर्ण है? उसकी कोई सीमा है या नहीं। ऐसे में पब्लिक ऑर्डर का अध्ययन जरूरी है। इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई को अगले दिन तक के लिए स्थगित कर दिया।

दलील

याचिकार्ताओं ने दी धार्मिक मान्यताओं पर सवाल नहीं उठाए जाने की दलील

मामले में गत मंगलवार को हुई सुनवाई में वकील कामत ने कहा कि राज्य किसी व्यक्ति की धार्मिक मान्यताओं पर सवाल नहीं उठा सकता और लोगों को अपने धर्म का पालन करने और प्रचार करने का पूर्ण अधिकार है। यह देश के आपराधिक कानूनों के अधीन भी होना चाहिए। इस दौरान उन्होंने दक्षिण अफ्रीका की डरबन गर्ल्स हाई स्कूल के मामले का भी हवाला दिया। इसके अलावा अनुच्छेद 25 के विभिन्न खंडों पर भी अपनी दलीलें पेश की।

तुलना

बुधवार को हुई सुनवाई में की अन्य धर्मों के साथ तुलना

मामले में बुधवार को हुई सुनवाई में याचिकाकर्ताओं के वकील रवि कुमार ने कहा कि समझ नहीं आता कि सरकार हिजाब का मुद्दा उठाकर मुस्लिमों महिलाओं से दुश्मनों जैसा व्यवहार क्यों कर रही है। जब हिंदू लड़कियां चूड़ी और बिंदी धारण करती है, क्रिश्चियन क्रॉस पहनते हैं और सिख पगड़ी पहन हैं, क्या वे धार्मिक प्रतीक नहीं हैं। ऐसे में मुस्लिम लड़कियां ही निशाना क्यों। सीनियर एडवोकेट आदिश अग्रवाल ने इंटरवेंशन एप्लिकेशन के बारे में जानकारी दी।

जानकारी

सरकार की आधिसूचना पर भी उठाए सवाल

वकील रवि कुमार ने कहा कि मुस्लिम छात्राओं पर ही रोक लगाना संविधान के अनुच्छेद 15 का उल्लंघन है। राज्य सरकार की अधिसूचना पूरी तरह से अवैध है। इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई को गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दिया था।

मांग

रमजान और शुक्रवार को हिजाब पहनने की छूट देने की मांग

गुरुवार को हुई सुनवाई में याचिकाकर्ता विनोद कुलकर्मी ने कहा कि मुस्लिम छात्राओं की धार्मिक मान्यताओं का सम्मान करते हुए उन्हें प्रत्येक शुक्रवार यानी जुमा और रमजान के दौरान हिजाब पहनने की अनुमति देनी चाहिए। इस पर कोर्ट ने अनुरोध पर विचार करने की बात कही। इसी तरह याचिकाकर्ताओं ने मामले का जल्द निपटारा करने की भी मांग की। इस पर कोर्ट ने आश्वासन देते हुए सुनवाई को शुक्रवार दोपहर तक के लिए स्थगित कर दिया।

आदेश

कर्नाटक सरकार की अल्पसंख्यक संस्थानों में हिजाब पर रोक

इधर, कर्नाटक सरकार गुरुवार को राज्य में संचालित सभी सरकारी अल्पसंख्यक संस्थानों में हिजाब पहनने पर रोक लगा दी है। अल्पसंख्यक कल्याण, हज एवं वक्फ विभाग के सचिव मेजर पी मणिवन्नन ने कहा कि विभाग के तहत संचालित सभी शिक्षण संस्थानों, आवासीय विद्यालयों और मौलाना आजाद मॉडल स्कूलों (अंग्रेजी माध्यम) में हिजाब पहनने पर रोक लगाई गई है। इसके अलावा अन्य संस्थानों में भगवा शॉल और अन्य धार्मिक प्रतीकों के इस्तेमाल पर भी रोक रहेगी।

जानकारी

कोर्ट ने खारिज की हस्तक्षेप याचिका

हाई कोर्ट ने एडवोकेट रहमतुल्लाह कोतवाल द्वारा दायर की गई एक हस्तक्षेप याचिका को जनहित याचिका अधिनियम, 2018 के तहत न होना बताते हुए खारिज कर दिया। इसके अलावा कोर्ट का समय खराब करने के लिए जुर्माना भी लगाया।

पृष्ठभूमि

क्या है कर्नाटक में चल रहा हिजाब विवाद?

कर्नाटक में हिजाब विवाद की शुरूआत 28 दिसंबर को उडुपी के पीयू कालेज में छह छात्राओं को हिजाब पहनने पर कक्षाओं में प्रवेश न देने इसे हुई थी। इसके बाद छात्राओं ने प्रदर्शन शुरू कर दिया और हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी। कई छात्र विरोध में उतर आए और यह उडुपी से दूसरे जिलों में भी फैल गया। स्थिति को संभालने के लिए मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने तीन दिन तक स्कूल-कॉलेज बंद रखने का आदेश दिया था।

जानकारी

कर्नाटक में फिर से खुल चुके हैं स्कूल और कॉलेज

कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश पर सरकार ने 14 फरवरी से 10वीं तक के स्कूल और बुधवार से सभी कॉलेजों को फिर से खोल दिया हैं। हालांकि, अभी भी कुछ छात्राएं हिजाब पनकर कॉलेज पहुंच रही है। इसको लेकर आठ जिलों में धारा-144 लागू है।