क्या भारत के लिए कम घातक साबित होगा कोरोना वायरस का ओमिक्रॉन वेरिएंट?
कोरोना के 32 म्यूटेंट वाले ओमिक्रॉन वेरिएंट ने दुनियाभर में खलबली मचा रखी है। अब तक 29 देशों में इसके मामले सामने आ चुके हैं और भारत भी इस सूची में शामिल हो गया है। गुरुवार को कर्नाटक में दो लोगों को इससे संक्रमित पाया गया है। इसी बीच बड़ा सवाल यह उठता है भारत में इस वेरिएंट की घातकता कैसी रहेगी? इसको लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि यह भारत में कम घातक साबित हो सकता है।
भारत में कैसी रहेगी ओमिक्रॉन वेरिएंट की घातकता?
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा, "भारत में वैक्सीनेशन की तेज गति और सीरोलॉजिकल सर्वे में अधिकतर लोगों में डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ एंटीबॉडी मिलने को देखते हुए ओमिक्रॉन वेरिएंट का कम प्रभाव देखने को मिल सकता है। हालांकि, इसको लेकर अभी अभी वैज्ञानिक साक्ष्य सामने नहीं आए हैं।" मंत्रालय ने कहा, "यह वेरिएंट दुनियाभर में फैल सकता है, लेकिन इसकी गंभीरता का पैमाना अभी भी स्पष्ट नहीं है।"
WHO ने ओमिक्रॉन को क्यों बताया 'वेरिएंट ऑफ कंसर्न'?
स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने ओमिक्रोन वेरिएंट में 32 म्यूटेशन और इम्यूनिटी से बच पाने की क्षमता को देखते हुए उसे 'वेरिएंट ऑफ कंसर्न' करार दिया है। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट अधिक संक्रामक है या नहीं। इसी तरह इसकी अन्य वेरिएंटों की तुलना में घातकता का भी कोई अंदाजा नहीं है। इसकी स्थिति को स्पष्ट करने के लए चिकित्सा विशेषज्ञ लगातार अध्ययन में जुटे हुए हैं।
क्या ओमिक्रॉन वेरिएंट के खिलाफ कारगर होगी मौजूदा वैक्सीन?
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, "इस बात का कोई सबूत नहीं है कि मौजूदा वैक्सीन ओमाइक्रोन पर काम नहीं करेगी, लेकिन वेरिएंट अधिक म्यूटेशन इसकी प्रभाविकता कम कर सकते हैं।" मंत्रालय ने कहा, "वैक्सीन से सुरक्षा एंटीबॉडी और सेलुलर इम्यूनिटी के जरिए मिलती है। ऐसे में वैक्सीनों से गंभीर बीमारी से सुरक्षा मिलने की पूरी उम्म्मीद है और लोगों को महामारी से बचाव के लिए निर्धारित समय पर वैक्सीन की खुराक लगवानी चाहिए।"
ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित होने का कैसे लगाया जा सकता पता?
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, "वर्तमान में अधिकतर RT-PCR टेस्ट ओमिक्रॉन और दूसरे वेरिएंट में फर्क करने में सक्षम नहीं हैं। इससे वेरिएंटों का सही पता लगाना मुश्किल है। हालांकि, कुछ RT-PCR टेस्ट से इसका पता लगाया जा सकता है, लेकिन वह भी पूरी तरह स्पष्ट नहीं होते हैं।" स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, "ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित होने का सही तरह से पता लगाने के लिए जीनोम सीक्वेंसिंग ही सबसे सही तरीका माना जा रहा है।"
ओमिक्रॉन वेरिएंट के संक्रमण से बचने के लिए क्या बरती जाए सावधानी?
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, ओमिक्रॉन वेरिएंट से बचने के लिए लोगों को नियमित रूप से और सही तरह से मास्क लगाना चाहिए। इसी तरह यदि वैक्सीन नहीं लगवाई है तो अपने निर्धारित समय पर वैक्सीन की खुराक लगवाएं और हवादार क्षेत्र में रहने की आदत डालें। इसके अलावा लोगों को सोशल डिस्टेसिंग सहित अन्य सभी कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से परहेज करना चाहिए। सावधानी ही सबसे बड़ी सुरक्षा है।
क्यों खतरनाक माना जा रहा है ओमिक्रॉन वेरिएंट?
दक्षिण अफ्रीका, हांगकांग और बोत्सवाना समेत 29 देशों में मिल चुके ओमिक्रॉन वेरिएंट का वैज्ञानिक नाम B.1.1.529 है और इसकी स्पाइक प्रोटीन में 32 म्यूटेशन हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, वेरिएंट वायरस के अन्य वेरिएंट्स की तुलना में अधिक संक्रामक और खतरनाक हो सकता है। इसके वैक्सीनों को चकमा देने की आशंका भी लगाई जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे 'वेरिएंट ऑफ कंसर्न' बताया है और इस ऐलान के बाद कई देश यात्रा प्रतिबंध लागू कर चुके हैं।
भारत में सामने आए ओमिक्रॉन वेरिएंट के दो मामले
बता दें कि कर्नाटक में ओमिक्रॉन वेरिएंट के दो मामलों की पुष्टि हुई है। इनमें एक 46 वर्षीय डॉक्टर है और उसका कोई यात्रा इतिहास भी नहीं रहा है। इसी तरह दूसरा संक्रमित 66 वर्षीय दक्षिण अफ्रीकी नागरिक है। वह 20 नंवबर को निगेटिव रिपोर्ट के साथ भारत आया था और 27 नवंबर को UAE लौट चुका है। दोनों मामलों के संपर्कों का पता लगाकर उन्हें भी क्वारंटाइन कर दिया है और उनकी रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।