किसानों ने खारिज किया कृषि कानून स्थगित करने का प्रस्ताव, वापस लेने की मांग पर अड़े
तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर पिछले 56 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों और सरकार के बीच गतिरोध नहीं थम रहा है। बुधवार को किसानों के साथ हुई 10वें दौर की बैठक में सरकार ने किसानों को 12-18 महीनों तक तीनों कानूनों के क्रियान्वन पर रोक लगाने का प्रस्ताव दिया था। इसके बाद गुरुवार को हुई संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया है।
कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े किसान
शाम को हुई संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में किसानों ने तीनों कृषि कानूनों को पूरी तरह रद्द कराने और सभी किसानों के लिए सभी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए एक कानून बनवाने की मांग पर कायम रखने का फैसला किया गया। किसानों ने सर्वसम्मति से कानूनों को रद्द किए जाने तक आंदोलन जारी रखने का निर्णय किया। ऐसे में सरकार के प्रस्ताव के बाद नजर आई आंदोलन खत्म होने की उम्मीद भी खत्म हो गई।
कानून निरस्त होने तक स्वीकार नहीं होगा कोई भी प्रस्ताव- उग्राहन
संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक के बाद किसान नेता जोगिंदर सिंह उग्राहन ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने तक सरकार का कोई भी प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि शुक्रवार को सरकार के साथ होने वाले अगले दौर की बैठक में किसानों की केवल एक ही मांग होगी कि कानूनों को निरस्त किया जाए और MSP को लेकर कानून बनाया जाए। सभी किसान नेताओं ने सर्वसम्मति से यह निर्णय किया है।
सरकार ने 10वें दौर की बैठक में दिया था प्रस्ताव
बता दें कि सरकार और किसानों के बीच बुधवार को 10वें दौर की बैठक हुई थी। इसमें किसानों ने कानूनों को निरस्त करने की मांग की। इसके बाद केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पीयूष गोयल और सोमप्रकाश ने किसानों को एक-डेढ़ साल तक कानून लागू नहीं करने तथा सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर करने का प्रस्ताव दिया था। इस पर किसानों ने संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में निर्णय करने के बाद जवाब देने की बात कही थी।
MSP के कानून के लिए दिया था समिति बनाने का प्रस्ताव
इसके साथ ही सरकार ने किसानों को MSP पर खरीद की गारंटी के कानून बनाने के लिए समिति बनाने का प्रस्ताव दिया था। सरकार ने कहा था कि समिति में किसान संगठनों के लोग भी शामिल होंगे, लेकिन किसानों ने इसे भी खारिज कर दिया।
कृषि मंत्री ने जताई थी समाधान निकलने की उम्मीद
बैठक के बाद कृषि मंत्री तोमर ने कहा था कि सरकार एक-डेढ़ साल तक इन कानूनों के अमल पर रोक लगाने को तैयार है। इस दौरान सरकार और किसानों के प्रतिनिधि मिलकर इस मुद्दे का समाधान ढूंढ लेंगे। जो भी समाधान होगा, उसके साथ आगे बढ़ा जाएगा। उन्होंने यह भी कहा था कि बातचीत सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रही है और 22 जनवरी की बैठक में समाधान निकलने की उम्मीद है।
क्यों आंदोलन कर रहे हैं किसान?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।