अगर कोरोना वैक्सीन के गंभीर दुष्परिणाम हुए तो क्या कोई कानूनी विकल्प है?
ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) द्वारा कोरोना वैक्सीन 'कोविशील्ड' और 'कोवैक्सिन' को सीमित आपात इस्तेमाल की मंजूरी देने के बाद सरकार मेगा वैक्सीनेशन अभियान शुरू करने के लिए तैयार है। हालांकि, कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप के कारण सरकार ने वैक्सीन के विकास और विनियामक प्रक्रियाओं पर तेजी से कार्य किया है। ऐसे में सवाल है कि वैक्सीनेशन (AEFI) के बाद गंभीर दुष्परिणाम आने पर क्या होगा? क्या इसके लिए कोई कानूनी विकल्प मौजूद है? आइए जानें।
भारत में दो वैक्सीनों को मिली आपात इस्तेमाल की मंजूरी
बता दें कि सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (SEC) ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) की 'कोविशील्ड' और भारत बायोटेक की 'कोवैक्सिन' को आपातकालीन मंजूरी देने की सिफारिश की थी। कमेटी की सिफारिशों पर गौर करने के बाद DCGI ने दोनों वैक्सीनों के इस्तेमाल की मंजूरी जारी कर दी। इसमें 'कोवैक्सिन' को सीमित आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिली है। ऐसे में दोनों वैक्सीनों में मुआवजे की व्यवस्था अलग-अलग होगी।
कोवैक्सिन खुराक लेने वाले हो सकते हैं वॉलेंटियर के रूप में मुआवजे के पात्र
इंडस-लॉ के साझेदार कार्तिक गणपति ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार 'कोवैक्सिन' की खुराक लेने वाले लोगों को ट्रायल वॉलेंटियर्स के रूप में मान्यता मिलेगी। इसका कारण है कि सरकार ने वैक्सीन के तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल का विस्तार करने की बात कही है। ऐसे में वैक्सीनेशन के दौरान इसकी खुराक लेने वाले लोग नए ड्रग्स एंड क्लिनिकल ट्रायल रूल्स, 2019 के तहत गंभीर दुष्परिणाम होने पर मुआवजे के पात्र माने जाएंगे।
वकीलों ने जताई मुआवजा मिलने की संभावना
गणपति ने कहा, "आसान भाषा में कहें तो इस मुआवजे में चिकित्सा प्रबंधन के साथ ही आजीविका के नुकसान के लिए क्षतिपूर्ति शामिल है।" वकीलों ने कहा कि यदि AEFI होता है तो एथिक्स कमेटी गठित होगी, हालांकि मुआवजा राशि कम हो सकती है।
'कोविशिल्ड' के लिए अलग होंगे कानूनी विकल्प
एमिकस के प्रमुख वकील और सिप्ला तथा ग्लेनमार्क के लिए पूर्व वैश्विक वकील मुरली नीलकांतन ने कहा कि 'कोविशील्ड' को फॉर्म CT-23 (बिक्री और वितरण के लिए निर्माण की अनुमति) में अनुमति दी गई है। इसका मतलब है कि जिन लोगों को SII की वैक्सीन मिलेगी वो ट्रायल वॉलेंटियर के रूप में पात्र नहीं होंगे। इसके अलावा उन्हें देखभाल और मुआवजे सहित न्यू ड्रग्स रूल्स, 2019 के तहत भी सुरक्षा नहीं मिल सकेगी।
'कोविशिल्ड' की खुराक लेने वालों के पास होगा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का विकल्प
वैसे देखा जाए तो 'कोविशील्ड' की खुराक लेने के बाद गंभीर दुष्परिणाम सामने आने पर पीड़ितों के पास कुछ कानूनी विकल्प मौजूद रहेंगे। पीड़ित आमतौर पर इस आधार पर अदालतों का रुख कर सकते हैं कि दवा नकली और मिलावटी है या फिर दवा में ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट द्वारा निर्धारित विनिर्माण दोष हैं। विशेषज्ञों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि इस स्थिति में पीड़ित कानून के तहत न्यायालय या उपभोक्ता संरक्षण न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं।
विशेषज्ञों ने दी बड़ी फार्मा कंपनी पर मुकदमा चलने की चेतावनी
हालांकि, विशेषज्ञों ने चेतावनी दी कि बड़ी फार्मा कंपनी के खिलाफ कई मुकदमे लंबे समय तक चल सकते हैं। इससे उन्हें आर्थिक नुकसान भी हो सकता है। इस तरह के मामलों में बड़े सुबूतों की आवश्यकता होगी। बता दें कि "आपातकालीन उपयोग" शब्द का उल्लेख कानूनों में नहीं किया गया है। एक वकील ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि वैक्सीन के मामले में हर कोई अपने दायित्व से पीछे हट रहा है।