किसानों को सरकार ने फिर दिया बातचीत का न्योता, कहा- सभी मुद्दों पर वार्ता को तैयार
केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारी किसानों को एक बार फिर बातचीत के लिए न्योता दिया है। कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने संयुक्त किसान मोर्चा को पत्र लिखकर कहा है कि सरकार किसानों के सभी मुद्दों पर बातचीत और उनका समाधान करने के लिए तैयार है। उन्होंने किसान संगठनों से अपनी मर्जी से तारीख और समय तय कर बैठक के लिए आने को कहा है।
पांच दौर की बातचीत के बाद भी नहीं बन पाई सहमति
सरकार और किसानों के बीच गतिरोध को समाप्त करने के लिए अब तक पांच दौर की औपचारिक और एक बार अनौपचारिक बैठक हो चुकी है। इसके बावजूद कोई समाधान निकलता नहीं दिख रहा है। सरकार कानूनों में संशोधन की बात कह रही है, लेकिन किसान संगठनों की मांग है कि जब तक तीनों कानून वापस नहीं लिए जाते, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। बीते सोमवार को भी सरकार ने बातचीत का न्योता भेजा था, जिसे किसानों ने ठुकरा दिया।
ताजा पत्र में क्या लिखा गया है?
ताजा पत्र में कहा गया है कि सरकार किसानों के उठाए सभी मुद्दों का तर्कपूर्ण समाधान करने के लिए तत्पर है। आंदोलनकारी किसानों के साथ सरकार ने सम्मानजनक और खुले दिल से बात की है और आगे भी वार्ता की पेशकश की है। पत्र में किसानों से अगली बैठक के लिए अपनी सुविधानुसार तारीख और समय चुनने की अपील की गई है। साथ ही उन मुद्दों का विवरण मांगा गया है, जिन पर किसान बातचीत करना चाहते हैं।
यहां देखिये सरकार के पत्र की कॉपी
किसान संगठन बोले- कानून लागू होने से किसानों का नुकसान
सरकार की तरफ से पत्र मिलने से पहले किसान संगठनों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। इसमें कहा गया है कि देशभर के किसान आंदोलनरत है। पंजाब केवल इसका नेतृत्व कर रहा है। मोदी सरकार ने सरकारी संपत्तियों का निजीकरण कर दिया है। कृषि के साथ भी यही किया जा रहा है। किसान नेताओं ने आगे कहा कि नए कानूनों से खेती का पूरा सिस्टम बदल जाएगा, जिससे किसानों को नुकसान होगा।
बातचीत का एक प्रस्ताव ठुकरा चुके हैं किसान
इससे पहले बुधवार को किसानों ने सोमवार को भेजे गए वार्ता के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। संयुक्त किसान मोर्चा ने अपने बयान में कहा था कि किसानों की मांग तीनों कृषि क़ानून रद्द करने की है, लेकिन सरकार संशोधन से आगे नहीं बढ़ रही। किसान कानून रद्द करने की मांग कर रहे हैं। सरकार का प्रस्ताव अस्पष्ट है और इसका जबाव देना वाजिब नहीं है। सरकार ठोस प्रस्ताव भेजती है तो किसान बातचीत के लिए राजी है।
किसान विरोध क्यों कर रहे हैं?
केंद्र सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लाई है। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से छुटकारा पाना चाहती है।