प्रयोग के तौर पर लागू होने दें कृषि कानून, फायदा न हुआ तो बदलाव करेंगे- राजनाथ
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किसानों से प्रयोग के तौर पर नए कृषि कानूनों को लागू होने देने की बात कही है। दिल्ली के द्वारका इलाके में एक सभा को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रदर्शनकारी किसान कृषि कानूनों को प्रयोग के तौर पर एक-दो साल के लिए लागू होने दें। इसके बाद अगर इनसे फायदा नहीं होता है तो सरकार इनमें संशोधन करने को तैयार है। आइये, पूरी खबर जानते हैं।
कृषि कानूनों का विरोध क्यों कर रहे किसान?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है जिनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का जमकर विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से छुटकारा पाना चाहती है।
बातचीत के जरिये हो शंका का समाधान- राजनाथ
राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में कहा, "मैं आप लोगों से निवेदन करता हूं कि इन कानूनों को एक प्रयोग के तौर पर देश में लागू होने दें। अगर इनसे किसानों को फायदा नहीं हुआ तो सरकार सभी जरूरी संशोधन करने के लिए तैयार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि किसानों के मन में जो भी शंका है, उसे बातचीत के जरिए सुलझाया जाए।" उन्होंने किसानों से बातचीत के लिए आगे आने और आंदोलन खत्म करने की अपील की।
किसानों के प्रति बहुत सम्मान- राजनाथ सिंह
राजनाथ सिंह ने कहा, "कृषि कानूनों का विरोध करने वाले लोग किसान हैं। हमारे मन में उनके प्रति बहुत सम्मान है। मैं एक किसान का बेटा हूं और आपको भरोसा देता हूं कि मोदी सरकार किसानों के हितों के खिलाफ जाकर कोई काम नहीं करेगी।"
प्रधानमंत्री मोदी ने भी किया था किसानों से संवाद
इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये किसानों से बात की थी। इस दौरान उन्होंने विपक्ष पर जमकर निशाना साधा और उस पर कृषि कानूनों पर झूठ फैलाने का आरोप लगाया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कुछ लोग अपनी राजनीतिक विचारधारा किसानों पर थोप रहे हैं और कह रहे हैं कि नए कानूनों से किसानों को नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि जो लोग चुनाव हार गए, वो आज राजनीति चमकाने के लिए इवेंट कर रहे हैं।
कृषि कानूनों के विरोधियों से भी बात करने को तैयार- प्रधानमंत्री
अपने संबोधन के अंत में प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार कृषि कानूनों के विरोधियों से भी बात करने को तैयार है, लेकिन बात तथ्यों पर होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों की नीतियों की वजह से किसान गरीब होता गया और किसानों की इस दशा को बदलना जरूरी था। उन्होंने आगे कहा कि नए कृषि कानूनों के बाद किसान अपनी फसल कहीं भी बेच सकता है और उन्हें फायदा पहुंचाने में कुछ भी गलत नहीं है।
सरकार ने किसानों को बातचीत के लिए फिर न्योता दिया
अब तक सरकार और किसानों के बीच गतिरोध का हल निकालने के लिए पांच दौर की औपचारिक और एक अनौपचारिक वार्ता हो चुकी है, लेकिन समाधान नहीं निकल पाया है। सरकार कानूनों में संशोधन के लिए तैयार है, लेकिन किसान कानूनों को रद्द करने की जिद पर अड़े हुए हैं। इसी बीच केंद्र सरकार ने गुरुवार को एक बार फिर किसानों को बातचीत के लिए न्योता भेजा है। इस पर किसान आज फैसला ले सकते हैं।