दुष्यंत चौटाला बोले- कृषि कानूनों में कई संशोधनों की जरूरत
हरियाणा के उप मुख्यमंत्री और जननायक जनता पार्टी (JJP) के नेता दुष्यंत चौटाला ने कहा कि नए कृषि कानूनों में कई संशोधनों की जरूरत है। मीडिया को संबोधित करते हुए चौटाला ने किसानों से 'ठोस सुझाव' देने की अपील करते हुए कहा कि जब तक सरकार और किसानों के बीच बातचीत नहीं होगा, तब तक इस गतिरोध का हल नहीं निकल सकता। चौटाला ने कहा कि उनकी तरफ से संशोधनों को लेकर सुझाव दिए गए हैं।
हमने कई सुझाव दिए हैं, जो केंद्र ने माने भी- चौटाला
चंडीगढ़ में प्रेस को संबोधित करते हुए चौटाला ने कहा कि अगर सरकार बातचीत के लिए बुला रही है तो किसान संगठनों की भी जिम्मेदारी बनती है कि वो कदम आगे बढ़ाए। हजारों लोग ठंड में सड़कों पर बैठे हैं। उनके भले के लिए सोचना चाहिए। उन्होंने आगे कहा, "मैं मानता हूं कानूनों में कई संशोधन होने चाहिए। हमने पहले भी केंद्र को कई सुझाव दिए हैं, जिन्हें सरकार ने माना है। किसान यूनियनों के संशोधन भी माने गए हैं।"
चौटाला ने की मध्यस्थता की बात
हरियाणा में भाजपा सरकार को समर्थन दे रहे चौटाला ने कहा कि अगर गतिरोध तोड़ने के लिए उनकी भूमिका की जरूरत पड़ती है तो वो चर्चा के लिए तैयार हैं। साथ ही उन्होंने यह भी दोहराया कि अगर फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर किसी तरह की आंच आती है तो वो पद से इस्तीफा दे देंगे। बता दें कि किसान आंदोलन के बीच चौटाला राजनाथ सिंह समेत केंद्र के कई बड़े मंत्रियों से मुलाकात कर चुके हैं।
चौटाला का हो रहा विरोध
इससे पहले गुरुवार को किसानों के विरोध के कारण दुष्यंत चौटाला का उचाना दौरा रद्द करना पड़ा था। दरअसल, दुष्यंत हेलिकॉप्टर के जरिये उचाना आ रहे थे। उनका हेलिकॉप्टर लैंड होता, उससे पहले ही कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों ने हैलिपेड को खोद दिया और दुष्यंत के खिलाफ नारेबाजी की। किसानों का कहना था कि जब तक दुष्यंत किसानों का समर्थन नहीं करते तब तक उन्हें इस क्षेत्र में घुसने नहीं दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री खट्टर ने दिया विवादित बयान
किसान आंदोलन को लेकर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने विवादित बयान दिया है। पंचकूला में एक कार्यक्रम में बोलते हुए खट्टर ने कहा, "आजकल हम तमाशा देख रहे हैं, कानून रद्द करवाने के लिए दबाव बना रहे हैं। ये डेमोक्रेसी है क्या?" उन्होंने आगे कहा कि लोकतंत्र में सबको अपनी बात रखने का अधिकार है, लेकिन धींगामस्ती नहीं चलेगी। धींगामस्ती करने वालों को सहयोग दोगे, यह नहीं चलेगा।
केंद्र ने किसानों को फिर से बातचीत के लिए बुलाया
दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने प्रदर्शनकारी किसानों को फिर से बातचीत के लिए न्योता दिया है। कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने संयुक्त किसान मोर्चा को पत्र लिखकर कहा है कि सरकार किसानों के सभी मुद्दों पर बातचीत और उनका समाधान करने के लिए तैयार है। उन्होंने किसान संगठनों से अपनी मर्जी से तारीख और समय तय कर बैठक के लिए आने को कहा है। अभी तक इस प्रस्ताव पर किसानों की प्रतिक्रिया नहीं आई है।
इन तीन कानूनों का विरोध कर रहे हैं किसान
केंद्र सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लाई है। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से छुटकारा पाना चाहती है।