केरल: लॉटरी बेचने वाले की जो टिकट नहीं बिकी, उसी ने जीता दिए 12 करोड़ रुपये
कहते हैं कि जब कि किसी पर किस्मत मेहरबान होती है तो ऊपर वाला उसे छप्पर फाड़कर देता है। ऐसा ही कुछ हुआ केरल के कोल्लम जिले के तेनकासी निवासी एक 46 वर्षीय लॉटरी टिकट वेंडर के साथ। दरअसल, उसकी कुछ लॉटरी टिकट बिकने से रह गई, जिन्हें उसने अपने पास रख लिया। उनमें से एक टिकट ने उसे केरल सरकार के क्रिसमस-न्यू ईयर बम्पर पुरस्कार में 12 करोड़ रुपये का पुरस्कार जिता दिया। इससे उसकी किस्मत बदल गई।
लॉटरी टिकट बेचकर कर रहा था परिवार का पालन
न्यूज मिनट के अनुसार तमिलनाडु राज्य की सीमा पर केरल के कोल्लम में अर्यानकवु के पास एरीवधर्मपुरम में एक सरकारी जमीन पर बने छोटे से घर में रहने वाला शरफुद्दीन साल 2013 में खाड़ी देश रियाद से वापस लौटा था। इसके बाद वह लॉटरी टिकट बेचकर परिवार का पेट पाल रहा था। कोरोना महामारी में उसका यह रोजगार भी ठप पड़ गया था। उसे लॉटरी टिकट बेचने में भी संघर्ष करना पड़ रहा था और कई टिकट नहीं बिके।
बिना बिके लॉटरी टिकट ने बदली किस्मत
शरफुद्दीन ने बताया कि उसका कई लॉटरी टिकट बिना बिके रह गए थे। इसी दौरान सरकार ने क्रिसमस-न्यू ईयर बम्पर ऑफर की घोषणा कर दी। गत दिनों जब इसकी घोषणा हुई तो उसके बिना बिके लॉटरी टिकट पर 12 करोड़ रुपये का पुरस्कार निकल आया। उन्होंने बताया कि पुरस्कार की घोषणा के बाद एकबारगी तो उन्हें यकीन नहीं हुआ, लेकिन यह हकीकत था। इस पुरस्कार को जीतने के बाद उसके परिवार में खुशी का माहौल बना हुआ है।
शरफुद्दीन को विभिन्न कटौतियों के बाद मिलेंगे 7.50 करोड़ रुपये
तिरुवनंतपुरम लॉटरी निदेशालय के अधिकारियों ने बताया कि शरफुद्दीन ने लॉटरी टिकट प्रस्तुत कर दिया है। ऐसे में 30 प्रतिशत टैक्स कटौती और 10 प्रतिशत एजेंट कमीशन के बाद उसे करीब 7.50 करोड़ रुपये मिलेंगे। अधिकारियों ने बताया कि यह शरफुद्दीन की बुलंद किस्मत का नतीजा है कि वह टिकट उसने नहीं बेचा और उसी पर यह जैकपॉट पुरस्कार निकल गया। इस पुरस्कार से शरफुद्दीन और उसके परिवार के दिन फिर जाएंगे।
पुरस्कार राशि से बनाऊंगा खुद का धर- शरफुद्दीन
शरफुद्दीन ने PTI से कहा, "जीती गई इनामी राशि से मैं अपने खुद के एक घर का निर्माण करना चाहता हूं। इसके अलावा मेरा सारा कर्जा भी चुका दूंगा। इसके बाद मैं खुद का अपना एक व्यवसाय शुरू करूंगा।" उन्होंने आगे कहा, "मैंने नौ साल तक रियाद में कई तरह के अजीबो-गरीब काम किए थे, लेकिन उसके बाद 2013 में वह वापस लौट आया था। उसके बाद से ही मैं अर्यानकवु के बाद लॉटरी टिकट बेच रहा हूं।"
अब तक जीते थे छोटे-मोटे पुरस्कार
बता दें कि शरफुद्दीन पिछले सात सालों से लॉटरी टिकट बेचने का काम कर रहे हैं और इस दौरान वह बस छोटे-मोटे पुरस्कार ही जीत पाए थे। उनके परिवार में उनकी मां, दो भाई, पत्नी और एक बेटा है। लॉटरी टिकट बेचकर घर का खर्च चलाना बहुत मुश्किल हो रहा था। ऐसे में अब उनको मिले इस जैकपॉट ने उनके सालों की तकलीफो पर मरहम लगाने का काम किया है। इससे उनकी और उनके परिवार की पूरी जिंदगी बदल जाएगी।
पिछले साल मंदिर के क्लर्क ने जीता था जैकपॉट
पछले साल यह पुरस्कार इडुक्की निवासी अनंतु विजयन (24) ने जीता था। उन्हें भी 12 करोड़ रुपये जीते थे। अनंतू भी एक साधारण परिवार से है। लॉटरी जीतने के दौरान वह एर्नाकुलम के एक मंदिर में क्लर्क के रूप में काम कर रहे थे।
भारत के इन राज्यों में खेली जाती है लॉटरी
भारत में लॉटरी रेगुलेशन एक्ट (1998) लागू है। इस एक्ट के तहत देश में लॉटरी खेलने पर पूरी तरह से प्रतिबंध है, लेकिन इसमें एक छूट दी गई है। उसके अनुसार यदि राज्य सरकारें अपनी आधिकारिक लॉटरी संचालित करना चाहे तो वह ऐसा कर सकती है। वर्तमान में केरल, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, पंजाब, वेस्ट बंगाल, असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, सिक्किम, नागालैंड और मिजोरम में आधिकारिक रूप से लॉटरी संचालित है। पहले कर्नाटक और तमिलनाडु में भी लॉटरी खेली जाती थी।