कृषि कानूनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे किसान, रद्द करने की मांग
क्या है खबर?
नए कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार और किसानों के बीच गतिरोध तेजी से बढ़ता रहा है। सरकार की ओर से कानूनों को निरस्त करने से इनकार करने के बाद किसानों ने देशभर में आंदोलन की चेतावनी दी है।
इसी बीच अब किसानों ने मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
इसके लिए भारतीय किसान यूनियन भानु गुट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए कानूनों को रद्द करने का आदेश देने की मांग की है।
मुद्दा
क्या है किसानों के विरोध का कारण?
सितंबर में लागू किए गए कृषि कानूनों को लेकर पिछले कई महीनों से विरोध कर रहे किसानों ने गत 25 नवंबर से अपने आंदोलन को तेज कर दिया।
उन्होंने सरकार के खिलाफ 'दिल्ली चलो' मार्च का आह्वान किया था। किसानों को डर है कि APMC मंडियों के बाहर व्यापार की अनुमति देने वाले कानून मंडियों को कमजोर कर देंगे और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) भी नहीं मिलेगा। इसके चलते कॉरपोरेट जगह के लोग किसानों का शोषण करेंगे।
प्रस्ताव
किसानों ने बुधवार को खारिज कर दिया था सरकार का प्रस्ताव
सरकार ने बुधवार को किसानों को 20 पन्नों का प्रस्ताव भेजा था। इसमें MSP व्यवस्था जारी रखने, APMC एक्ट में बदलाव करने तथा कृषि भूमि की कुर्की के संबंध विचार करने की बात कही थी।
इसके बाद शाम को हुई किसान नेताओं की बैठक में इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया था।
किसानों ने कहा था कि कानूनों को वापस लेने तक आंदोलन जारी रहेगा। किसानों ने 14 दिसंबर को देशभर में प्रदर्शन करने का भी ऐलान किया था।
अपील
केंद्रीय कृषि मंत्री ने किसानों से की प्रस्ताव स्वीकार करने की अपील
मामले में गुरुवार को कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने किसानों से प्रस्ताव स्वीकार करने की अपील करते हुए कहा सरकार किसानों के साथ खुले दिमाग से चर्चा के लिए तैयार है।
उन्होंने कहा कि सरकार किसानों से उन प्रावधानों पर बात करने के लिए तैयार हैं, जिन पर उन्हें आपत्ति है।
इसके बाद किसानों ने जवाब देते हुए कहा कि यदि सरकार कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती है तो पूरे देश में रेलवे ट्रैक को जाम कर दिया जाएगा।
याचिका
किसानों ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कानूनों को बताया अवैध
NDTV के अनुसार किसानों की ओर से एडवोकेट एपी सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
याचिका में किसानों ने तीनों कानूनों को अवैध और मनमाना करार दिया है। किसानों का कहना है कि इन कानूनों से कृषि उत्पादन के संघबद्ध होने और व्यावसायीकरण के लिए मार्ग प्रशस्त होगा।
याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि कानून असंवैधानिक हैं और इससे किसानों को बहुराष्ट्रीय कंपनियों के कॉरपोरेट लालच की दया पर रखा जाएगा।
जानकारी
पुरानी याचिकाओं पर भी सुनवाई की मांग
किसानों ने याचिका में पुरानी याचिकाओं सहित नई याचिका पर सुनवाई की भी मांग की है। बता दें कि इससे पहले भी कृषि कानूनों को चुनौती देने के लिए याचिका दायर की गई थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी किया था।
कूच
पंजाब से दिल्ली की ओर कूच करने लगे किसान
इधर, किसानों की देशभर में आंदोलन की चेतावनी के बाद अब पंजाब के जिलों से किसानों का दिल्ली की ओर कूच करना शुरू हो गया है।
राज्य के अमृतसर समेत कई जिलों से किसान पहले की तरह ट्रैक्टर-ट्रॉलियां लेकर दिल्ली की तरफ कूच रहे हैं।
हालांकि, पुलिस और प्रशासन सार्वजनिक परिवहन के वाहनों पर भी नजर रख रहा है। बताया जा रहा है किसान बसों आदि में भी दिल्ली जा रहे हैं। ऐसे में आंदोलन बढ़ता नजर आ रहा है।
भाजपा
भाजपा ने बनाई कृषि कानूनों के प्रति समर्थन बढ़ाने की योजना
इधर, भाजपा ने देशभर में कृषि कानूनों के प्रति समर्थन बढ़ाने की योजना बनाई है। इसके शुक्रवार से देशभर के 700 जिलों में 700 प्रेस कॉन्फ्रेंस और चौपालें आयोजित की जाएगी।
इसमें पार्टी पदाधिकारी किसानों से कृषि कानूनों पर सवाल-जवाब करेंगे और उन्हें कानूनों से होने वाले फायदों की जानकारी देंगे।
इतना ही इस अभियान में सरकार के मंत्री भी हिस्सा लेंगे और लोगों की आशंकाओं को दूर करने का प्रयास करेंगे।