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    तबलीगी जमात मामला: अभिव्यक्ति की आजादी का हो रहा सबसे अधिक दुरुपयोग- सुप्रीम कोर्ट

    तबलीगी जमात मामला: अभिव्यक्ति की आजादी का हो रहा सबसे अधिक दुरुपयोग- सुप्रीम कोर्ट

    लेखन भारत शर्मा
    Oct 08, 2020
    05:44 pm

    क्या है खबर?

    मीडिया के जरिए तबलीगी जमात की छवि खराब करने से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए आज सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाल ही के दिनों में अभिव्यक्ति की आजादी का सबसे ज्यादा दुरुपयोग हुआ है।

    सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से एक जूनियर अधिकारी के हलफनामा दाखिल करने को लेकर भी सख्त नाराजगी जताई और सरकार को दोबारा हलफनामा दाखिल करने के आदेश दिए। अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।

    प्रकरण

    प्रशासन की रोक के बावजूद तबलीगी जमात ने मार्च में आयोजित किया था कार्यक्रम

    कोरोना वायरस महामारी के प्रसार को रोकने के लिए धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन पर रोक के बावजूद तबीलीगी जमात ने निजामुद्दीन स्थित मरकज मस्जिद में 13 से 24 मार्च के बीच एक धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किया था।

    इसमें देश-विदेश के 16,500 लोगों ने हिस्सा लिया था और ये संक्रमण का एक बड़ा केंद्र बन गया। जांच में इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले सैकड़ों लोगों को संक्रमित पाया गया और 30 मार्च को मस्जिद को सील कर दिया गया।

    याचिका

    जमीयत उलमा-ए-हिंद आदि ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी याचिका

    मामले में तबलीगी जमात को लेकर जमकर मीडिया में जमकर नकारात्मक खबरें प्रकाशित हुई थीं और जमीयत उलमा-ए-हिंद, पीस पार्टी, मस्जिद मदारिस और वक्फ इंस्टीट्यूट के डीजे होली फेडरेशन और अब्दुल कुद्दस लस्कर इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए थे।

    अपनी याचिका में उन्होंने मीडिया कवरेज को दुर्भावना भरा बताया था। इसमें कहा गया था कि मीडिया मुसलमान को कोरोना फैलाने के लिए जिम्मेदार ठहरा रहा है और ऐसी झूठी खबर फैलाने वालों पर कार्रवाई की जाए।

    टिप्पणी

    मामले में सुप्रीम कोर्ट ने की तीखी टिप्पणी

    आज वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामा सुब्रमण्यन की पीठ ने कहा कि हाल ही के दिनों में अभिव्यक्ति की आजादी का सबसे ज्यादा दुरुपयोग हुआ है।

    मामले को गंभीर बताते हुए पीठ ने केंद्र को यह स्पष्ट करने को कहा कि कि टेलीविजन चैनलों के अवैध प्रसारण पर प्रतिबंध लगाने के लिए किन प्रावधान का इस्तेमाल किया जाएगा।

    नाराजगी

    सुप्रीम कोर्ट ने जूनियर अधिकारी द्वारा हलफनामा दाखिल करने पर जताई नाराजगी

    सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सचिव की जगह एक जूनियर अधिकारी द्वारा हलफनामा दाखिल करने पर भी नाराजगी जताई।

    चीफ जस्टिस बोबड़े ने केंद्र की ओर से प्रस्तुत हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, "आप कोर्ट के साथ ऐसा व्यवहार नहीं कर सकते। हलफनामा गोलमोल है और इसमें कुछ टीवी चैनलों पर लगाए गए आरोपों पर प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। ऐसे में नया हलफनामा दायर किया जाना चाहिए।"

    बचाव

    हलफनामे में केंद्र ने किया मीडिया का बचाव

    केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में प्रेस की स्वतंत्रता का हवाला देते हुए कहा था कि वह मीडिया को जमात के मुद्दे पर रिपोर्टिंग करने से नहीं रोक सकती। सरकार ने मरकज के बारे में मीडिया में प्रकाशित अधिकांश रिपोर्ट्स को सही बताया।

    केंद्र ने मामले को न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (NBSA) के पास भेजने की सलाह भी दी, जिसके बाद कोर्ट ने कहा कि NBA और प्रेस काउंसिल की रिपोर्ट देखने के बाद ही आगे की सुनवाई होगी।

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