नागरिकता कानून बने बीता एक साल, अब तक नहीं बन पाए नियम
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को हरी झंडी मिले एक साल से अधिक समय हो चुका है, लेकिन गृह मंत्रालय अभी तक इससे जुड़े नियम नहीं बना पाया है। जब तक कानून के नियम नहीं बन जाते, तब तक यह लागू नहीं हो सकता। ऐसे में एक तरह से यह कानून अभी निष्प्रभावी है। बीते साल दिसंबर में पारित हुए इस कानून के खिलाफ देशभर में जबरदस्त प्रदर्शन हुए थे। शाहीन बाग में इसके खिलाफ कई महीनों लंबा प्रदर्शन चला था।
क्या है नागरिकता संसोधन कानून?
पिछले दिसंबर में संसद से पारित हुए CAA में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आने वाले हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी धर्म के लोगों को आसानी से भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है। मुस्लिमों को इस कानून से बाहर रखने के कारण इसका विरोध हो रहा है और इसे देश के धर्मनिरपेक्ष चरित्र के खिलाफ बताया जा रहा है। इसी कारण दिल्ली और लखनऊ समेत देशभर के अलग-अलग शहरों में इसके खिलाफ प्रदर्शन हुए थे।
नियम बनाने में थोड़ा समय लग सकता है- सूत्र
द प्रिंट ने गृह मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से लिखा है कि अभी तक कानून के नियम तैयार नहीं हुए हैं। इन पर काम किया जा रहा है। एक अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर बताया कि यह पेचीदा प्रक्रिया है। इसमें थोड़ा समय लग सकता है। सरकार के पास अभी समय है। संसदीय कार्यों के मैनुअल के मुताबिक, कानून बनने के छह महीने के भीतर उससे संबंधित मंत्रालय को उसके नियम बनाने होते हैं।
छह महीनों में नियम न बनें तो?
अगर कोई मंत्रालय या विभाग किसी कानून पर तय छह महीनों के समय में नियम नहीं बना पाता है तो उन्हें संसदीय समिति से इसका कारण बताते हुए समय की मांग करने होती है। छह महीने बीतने के बाद एक बार में तीन महीने से ज्यादा समय की मांग नहीं की जा सकती। रिपोर्ट के मुताबिक, गृह मंत्रालय अब तक दो बार नागरिकता संशोधन कानून से जुड़े नियम बनाने के लिए अतिरिक्त समय की मांग कर चुका है।
जनवरी तक बन सकते हैं नियम- अधिकारी
CAA के नियमों को अंतिम रूप देने के लिए गृह मंत्रालय ने सबसे पहले जुलाई में तीन महीने का अतिरिक्त समय मांगा था। यह समय अक्टूबर में खत्म हो गया, लेकिन नियम नहीं बने। इसके बाद फिर तीन महीने का समय मांगा गया, जो जनवरी तक है। अधिकारी ने बताया कि सरकार के पास अब जनवरी तक का समय है और उम्मीद है कि तब तक यह काम पूरा कर लिया जाएगा।
इन आधारों पर भी हो रहा था कानून का विरोध
नागरिकता संसोधन कानून को संसद से मंजूरी मिलने के बाद देशभर में इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे। विपक्षी पार्टियों और इस कानून का विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि यह कानून धर्म के आधार पर भेदभाव करता है, जो संविधान का उल्लंघन है। उनका यह भी कहना है कि यह कानून नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (NRC) के साथ मिलकर मुसलमानों को निशाना बनाने के लिए लाया गया है।