पंजाब: किसानों ने 15 दिन के लिए स्थगित किया रेल रोको आंदोलन, सरकार को दी चेतावनी
केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब की कई किसान यूनियनों द्वारा किया जा रहा रेल रोको आंदोलन आखिरकार शनिवार को थम गया। सरकार से वार्ता के बाद किसान यूनियनों ने आगामी 15 दिन के लिए आंदोलन को स्थगित करने की घोषणा करते हुए ट्रेनों के संचालन की अनुमति दे दी। हालांकि, किसान यूनियनों ने सरकार को 15 दिन में केंद्र सरकार से वार्ता नहीं करने पर दुबारा आंदोलन की चेतावनी भी दी है।
क्या है कृषि कानूनों से जुड़ा मुद्दा?
दरअसल, मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है जिनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडार सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का जमकर विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिए सरकार मंडियों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से छुटकारा पाना चाहती है।
किसान यूनियनों ने 24 सितंबर से शुरू किया था रेल रोको आंदोलन
बता दें कि कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब की किसान यूनियनों ने 24 सितंबर से रेल रोको आंदोलन की शुरुआत की थी। इसके लिए किसानों ने कई जगहों पर रेलवे ट्रैक पर पड़ाव जमा लिया था और कई जगहों पर पटरियों को उखाड़ दिया था। पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सरकार ने राज्य की कमजोर आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए किसानों से कई बाद वार्ता कर आंदोलन सप्ताह कराने की कोशिश की थी, लेकिन सफलता नहीं मिली।
रेल रोको आंदोलन से रेलवे को लगा 2,200 करोड़ का नुकसान
किसान यूनियनों द्वारा पिछले 55 दिनों से किया जा रहे आंदोलन के तहत मालगाड़ियों के 3,850 रैक पर लदान नहीं हो सका और 2352 यात्री ट्रेनों को रद्द करना पड़ा। इसका खामियाजा आम लोगों के साथ राज्य सरकार को भी उठाना पड़ा। सबसे ज्यादा नुकसान रेलवे को 2,200 करोड़ रुपये का हुआ है। आंदोलन के कारण पंजाब के बाहर 230 रैक फंसे रहे। इनमें 78 कोयला, 34 खाद, आठ-आठ सीमेंट और पेट्रोलियम पदार्थो तथा 102 रैक अन्य सामग्री के हैं।
किसानों को नहीं मिल सका है आवश्यक उर्वरक
किसानों के आंदोलन के कारण पिछले 55 दिनों में राज्य में एक भी मालगाड़ी नहीं पहुंची है। इससे जहां किसानों को गेहूं की बुवाई के लिए आवश्यक उर्वरक की आपूर्ति नहीं हो पाई, वहीं थर्मल प्लांटों के लिए कोयले की आपूर्ति भी बाधित रही है।
राज्य सरकार को केंद्र से बातचीत कर निकालना होगा हल- किसान यूनियन
पंजाब सरकार से हुई बातचीत के बाद प्रदर्शन कर रही किसान यूनियनों के पदाधिकारियों ने 15 दिन के लिए आंदोलन को स्थगित करने की घोषणा कर दी। पदाधिकारियों ने कहा कि उनकी ओर से आगामी 15 दिनों में ट्रेनों के संचालन में कोई बाधा उत्पन्न नहीं की जाएगी, लेकिन सरकार को केंद्र से बातचीत कर मामले का हल निकालना होगा। यदि सरकार केंद्र से वार्ता नहीं करती है या विफल रहती है तो आंदोलन फिर से शुरू किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर दी आंदोलन खत्म होने की जानकारी
किसान यूनियनों के आंदोलन स्थगित करने की घोषणा के बाद मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। उन्होंने ट्वीट किया, 'किसान यूनियनों के साथ एक सार्थक बैठक हुई। उन्हें बताते हुए खुशी है कि 23 नवंबर की रात से किसान यूनियन ने 15 दिनों के लिए रेल आंदोलन को स्थगित करने का निर्णय किया है। मैं इस कदम का स्वागत करता हूं क्योंकि यह अर्थव्यवस्था बनाएगा। मैं केंद्र सरकार से रेल सेवाओं की बहाली का आग्रह करता हूं।'