हरियाणा: किसानों के समर्थन में निर्दलीय विधायक ने सरकार से वापस लिया समर्थन

कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में उतरे चरखी दादरी से निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान ने मंगलवार को हरियाणा सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। उन्होंने सोमवार को सरकार के किसानों के प्रति रुख पर नाराजगी जताते हुए पशुधन विकास बोर्ड के अध्यक्ष के पद से भी इस्तीफा दे दिया था। सांगवान ने इस कदम ने हरियाणा में भाजपा और जननायक जनता पार्टी (JJP) सरकार की मुश्किले बढ़ा दी हैं।
निर्दलीय विधायक सांगवान ने मंगलवार को हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष को पत्र भेजकर सरकार से अपना समर्थन वापस लेने की जानकारी दी। इस पत्र में उन्होंने लिखा कि वह ऐसी सरकार का समर्थन नहीं कर सकते जो किसानों के खिलाफ है और उन पर अत्याचार करती है। ऐसे में तत्काल प्रभाव से सरकार से उनका समर्थन वापस समझा जाए। बता दें कि इससे पहले सांगवान ने किसानों का समर्थन करते हुए सरकार को समर्थन जारी रखने की बात कही थी।
बता दें कि विधायक सांगवान ने हरियाणा सरकार ने अक्टूबर महीने में ही पशुधन विकास बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया था। इसके बाद कृषि कानूनों को लेकर शुरू हुए किसानों के विरोध को देखते हुए उन्होंने उनका समर्थन किया और सोमवार को पद से इस्तीफा दे दिया। उस दौरान उन्होंने कहा था कि उन्होंने सरकार से मिले लाभ के पद से इस्तीफा दे दिया है, लेकिन वह सरकार को दिया गया अपना समर्थन जारी रखेंगे।
बता दें कि सांगवान खाप प्रधान भी हैं और गत रविवार को चरखी दादरी के गांव खेड़ी बूरा स्थित सांगू धाम उनकी अध्यक्षता में 40 खाप पंचायतों की बैठक हुई है। इसमें सबसे पहले खाप की ओर से किसानों के आंदोलन को समर्थन देने की घोषणा की गई और खाप प्रतिनिधियों से राय मांगी। जिस पर सभी प्रतिनिधियों ने एकजुट दिखाते हुए कहा कि किसानों के समर्थन में एक दिसंबर को ट्रैक्टर-ट्रॉलियों से दिल्ली कूच करने का ऐलान किया था।
हरियाणा की भाजपा-JJP सरकार से समर्थन वापस लेने वाले सोमबीर सांगवान पहले निर्दलीय विधायक नहीं है। उनसे पहले भ्रष्टाचार के मुद्दे पर निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू भी सरकार से समर्थन वापस ले चुके हैं। ऐसे में यह सरकार के लिए चिंता की बात है।
सांगवान ने समर्थन वापस लेने के बाद कहा, "मैं पूरी तरह तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ हूं। समाज और खाप भी इन कानूनों के खिलाफ हैं। सरकार कहती है कि के कानून किसानों के लिए लाभ का सौदा है, जबकि किसानों को इनसे कोई लाभ नहीं दिखता है।" उन्होंने कहा, "किसान कैसे कानून पर भरोसा कर सकता हैं। यह उसी प्रकार है कि जैसे आपने किसी को घी दिया, लेकिन लेने वाले को भरोसा नहीं है कि वह घी है।"
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है जिनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का जमकर विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से छुटकारा पाना चाहती है।