किसानों का 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान, कानून वापस लेने की मांग पर अड़े

कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठनों ने प्रदर्शन को तेज करने की योजना बनाई है। सरकार के साथ चार दौर की वार्ता में भी मुद्दे पर सहमति न बनने के बाद किसानों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है। किसान नेताओं का कहना है कि अगर सरकार इन तीन कानूनों को वापस नहीं लेती है तो किसान 8 दिसंबर को भारत बंद करेंगे। आइये, यह पूरी खबर जानते हैं।
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है जिनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का जमकर विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से छुटकारा पाना चाहती है।
सरकार और किसानों के बीच सहमति बनाने के लिए अब तक चार दौर की वार्ता हो चुकी है। सरकार कानूनों में संशोधन की बात कह रही है तो किसान कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। 5 दिसंबर को पांचवी वार्ता होगी।
सरकार से बातचीत से एक दिन पहले भारतीय किसान यूनियन (BKU) के महासचिव एचएस लाखोवाल ने सिंघु बॉर्डर से कहा, "कल हमने सरकार से साफ कह दिया था कि कृषि कानून वापस लिए जाने चाहिए। 5 दिसंबर को पूरे देश में मोदी सरकार और कॉर्पोरेट घरानों के पुतले फूंके जाएंगे। 7 दिसंबर को सभी वीर अपने मेडल वापस करेंगे। 8 दिसंबर को हमने भारत बंद का आह्वान किया है और एक दिन के लिए सभी टोल प्लाजा फ्री किए जाएंगे।"
BKU से ही जुड़े हन्नान मोल्लाह ने कहा कि कानूनों में संशोधन स्वीकार नहीं किया जाएगा। साथ ही उन्होंने इन प्रदर्शनों को सिर्फ पंजाब का आंदोलन कहने पर भी नाराजगी व्यक्त की। मोल्लाह ने कहा, "इसे सिर्फ पंजाब आंदोलन बोलना सरकार की साजिश है, मगर आज किसानों ने दिखाया कि ये आंदोलन पूरे भारत में हो रहा है और आगे भी होगा। हमने फैसला लिया है कि अगर सरकार कल कोई संशोधन रखेगी तो हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे।"
दूसरी तरफ दिल्ली-गाजियाबाद बॉर्डर पर किसान प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रहे भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने भारत बंद का आह्वान करते हुए गणतंत्र दिवस के मौके पर राजपथ पर होने वाली परेड में किसानों की भागीदारी की मांग की है। उन्होंने कहा कि इस बार 26 जनवरी की परेड में किसानों के पूरे सिस्टम को शामिल किया जाए। ट्रैक्टर उबड़-खाबड़ जमीन पर ही चला है उसे भी राजपथ की मखमली सड़क पर चलने का मौका मिलना चाहिए।
इससे पहले लाखों ट्रक वालों का प्रतिनिधित्व करने वाली ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (AIMTC) भी 8 दिसंबर को किसानों के समर्थन में हड़ताल करने की धमकी दे चुकी है। AIMTC के प्रमुख कुलतरण सिंह अटवाल ने कहा था कि अगर किसानों की मांगें नहीं मानी गई तो ट्रांसपोर्टर 8 दिसंबर से उत्तर भारत में अपना संचालन बंद कर देंगे। इसके बाद भी सरकार मांग नहीं मानती है तो पूरे देश में चक्का जाम कर ट्रक रोक दिए जाएंगे।
अलग-अलग सामाजिक और मजदूर संगठनों के अलावा अब विपक्षी पार्टियों ने भी किसानों को समर्थन दिया है। आठ विपक्षी दलों ने आज संयुक्त बयान जारी कर प्रदर्शनकारी किसानों का समर्थन किया है। बयान जारी करने वाले नेताओं में NCP प्रमुख शरद पवार, TMK के टीआर बालू, CPM महासचिव सीताराम येचुरी, CPI महासचिव डी राजा, RJP सांसद मनोज झा, CPI (ML) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य, AIFB के देबब्रत बिस्वास और RSP के महासचिव मनोज भट्टाचार्य शामिल हैं।