पंजाब: मुख्यमंत्री ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ पेश किए विधेयक, बोले- इस्तीफे से नहीं डरता
केंद्र सरकार की ओर से बनाए गए तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब और हरियाणा में जबरदस्त विरोध हो रहा है। इसी बीच पंजाब सरकार ने भी इन कानूनों के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पेश कर दिया है। प्रस्ताव पेश करने के बाद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस्तीफा देने से डर नहीं लगने की बात कही। उन्होंने कहा कि वह राज्य के किसानों के साथ हैं और किसी भी सूरत में उनका बुरा होता नहीं देख सकते।
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पेश किया बिल
नए कृषि कानूनों के खिलाफ बुलाए गए विशेष विधानसभा सत्र में मुख्यमंत्री सिंह ने तीन विरोधी विधेयकों को पटल पर रखा। इस दौरान उन्होंने कहा कि उनके ये बिल संसद द्वारा पारित कृषि अध्यादेशों और विद्युत अधिनियम में किए गए संसोधनों के खिलाफ हैं और उनकी सरकार किसानों की चिंता करती है। इसी तरह वित्तमंत्री ने सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 में संसोधन की मांग करते हुए विधेयक पेश किया। इस दौरान विपक्ष ने जमकर हंगामा किया।
मुझे इस्तीफा देने का डर नहीं है- सिंह
मुख्यमंत्री सिंह ने कृषि कानून विरोध विधेयक प्रस्तुत करने के बाद कहा, "मैं इस्तीफा देने से नहीं डरता हूं। मैं अपनी सरकार के बर्खास्त होने से नहीं डरता, लेकिन मैं किसानों को नुकसान नहीं होने दूंगा और उन्हें किसी भी कीमत पर बर्बाद नहीं होने दूंगा।" उन्होंने कहा, "कृषि राज्य का विषय है, लेकिन केन्द्र ने इसे नजरअंदाज कर दिया। मुझे काफी ताज्जुब हो रहा है कि आखिर भारत सरकार किसानों के साथ करना क्या चाहती है।"
मुख्यमंत्री ने विधानसभा में पेश किए ये विरोधी विधेयक
मुख्यमंत्री सिंह द्वारा पेश किए गए तीन विरोधी विधेयकों में किसान उत्पादन व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विशेष प्रावधान एवं पंजाब संशोधन विधेयक 2020, आवश्यक वस्तु (विशेष प्रावधान और पंजाब संशोधन) विधेयक 2020 और किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा (विशेष प्रावधान और पंजाब संशोधन) विधेयक 2020 शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इन विधेयकों के पास होने के बाद ये कानून राज्य में प्रभावी नहीं होंगे।
इन कानूनों को लेकर किसान कर रहे हैं विरोध
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा), मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक लेकर आई थी। लोकसभा और राज्यसभा में पास होने और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद इन विधेयकों ने कानून का रूप ले लिया। देभशर के किसान इनका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है इनके जरिए सरकार मंडियों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को खत्म करना चाहती है।
केंद्र सरकार ने बताया किसानों के लिए फायदेमंद
इधर, तीनों काूननों को लेकर केंद्र सरकार का कहना है कि इस बिल में किसानों के लिए फ्री मार्केट की बात कही गई है। सरकार का तर्क है कि इससे किसानों को फायदा मिलेगा और उनकी आय बढ़ेगी। किसान अपनी फसल जहां चाहें बेच सकेंगे।
नए कृषि कानूनों के विरोध में NDA से अलग हो गया था अकाली दल
केंद्र सरकार की ओर से नए कृषि कानून लाने के बाद राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) में फूट पड़ गई थी। गत 17 सितंबर को विरोध स्वरूप भाजपा के सबसे पुराने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल के कोटे से केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर ने इस्तीफा दे दिया था। उसके 10 दिन बाद ही अकाली दल ने NDA से अलग होने की घोषणा कर दी थी। अकाली दल नेता सुखबीर सिंह बादल ने कृषि कानूनों को किसानों के खिलाफ बताया था।